देहरादून: उत्तराखंड में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (Urban Development Minister Premchand Agarwal) इन दिनों खूब सुर्खियां बटौर रहे हैं. एक तरफ उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर नियुक्ति मामले (Uttarakhand Vidhan Sabha Backdoor Appointment) को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें लोगों की ओर से खूब खरी-खोटी सुनाई जा रही है. दूसरी तरफ जीरो सेशन में अपने शहरी विकास विभाग में 74 कर्मियों के ट्रांसफर (Transfer in urban development department) कर विदेश रवाना होने पर विपक्ष के जुबानी हमले सहने पड़ रहे हैं.
ये है विदेश जाने का कारणः शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विदेश जाने की खबर तब सामने आई जब मुख्यमंत्री कार्यालय से उनके द्वारा जीरो सेशन में किए गए ट्रांसफर पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई. जानकारी लेने पर पता चला कि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल अपने कुछ अधिकारियों के साथ विदेश दौरे के लिए उड़ान भर चुके हैं. मंत्री अग्रवाल के निजी पीआरओ राजेंद्र नेगी से मिली जानकारी के मुताबिक, शहरी विकास विभाग मंत्री के तहत ऋषिकेश और हरिद्वार से कूड़ा निस्तारण प्रोजेक्ट पर स्टडी के लिए जर्मनी गए हैं तो वहीं इनके साथ अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन शहरी विकास निदेशक नवनीत पांडे के अलावा ऋषिकेश और हरिद्वार के नगर आयुक्त भी इस दौरे के लिए जर्मनी गए हैं. कैबिनेट मंत्री के इस विदेश दौरे को लेकर सोशल मीडिया पर कई लोग आलोचना भी कर रहे हैं.
कांग्रेस का सवालः मुख्यमंत्री धामी द्वारा मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के ट्रांसफर पर रोक लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने मामले पर मंत्री के विदेश जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि जब किसी व्यक्ति के खिलाफ जांच चल रही है, तो ऐसे में उसे किसी भी समय पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है. लिहाजा ऐसे व्यक्ति के राज्य छोड़कर या फिर विदेश जाने पर रोक होती है. लेकिन उत्तराखंड में भाजपा नेता के लिए शायद अलग नियम हैं और आम लोगों के लिए अलग.
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कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने यहां तक संदेह जताते हुए कहा कि कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जर्मनी खुद गए हैं या फिर भेजा गया है. इस बात को भी जांच के दायरे में रखना चाहिए. गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर नियुक्ति मामले को लेकर 3 सदस्यीय जांच कमेटी की जांच जारी है. सीएम धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को जांच के लिखे पत्र के बाद विस अध्यक्ष ने जांच कमेटी गठित की है. जांच के दायरे में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी हैं.
भाजपा का जवाबः विवादों में फंसे मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर ये भी आरोप लग रहा हैं कि उन्होंने नियम के विरुद्ध शून्यकाल में अपने विभाग शहरी विकास से 74 लोगों का ट्रांसफर कर विदेश चले गए. हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विवाद खड़ा हो पहले ही इन तबादलों पर रोक लगा दी. हालांकि, सवाल संगठन से भी किया जा रहा है कि आखिर पार्टी कब तक सरकार और संगठन की इस तरह से धूमिल होती छवि को बर्दाश्त करती रहेगी या फिर प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ कुछ एक्शन लेगी. ऐसे में भाजपा नेता विनय गोयल संगठन की ओर से पल्ला झाड़ते हुए ये कह गए कि मंत्रिंमंडल मुख्यमंत्री के अधीन आता है, संगठन उक्त मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
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क्या था मामला? दरअसल, बीती 17 सितंबर देर रात शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने शहरी विकास विभाग में 74 लोगों के ट्रांसफर की लिस्ट (Officers Transfer in Urban Development Department) तैयार की थी. ट्रांसफर की इस लिस्ट पर मंजूरी देने के बाद सुबह होते ही शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल जर्मनी के लिए रवाना हो गए. लेकिन मंत्री अग्रवाल के जर्मनी के लिए उड़ान भरने से कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह फैसला पलट दिया और तत्काल प्रभाव से इन तबादलों को निरस्त कर दिया.
उत्तराखंड विधानसभा में नौकरी पर घिरे प्रेमचंद अग्रवालः बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में भर्ती (Job in Uttarakhand Assembly) के लिए जमकर भाई भतीजावाद किया गया. विधानसभा में 72 लोगों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री के स्टाफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत से लेकर पीआरओ नंदन बिष्ट तक की पत्नी की विधानसभा में नौकरी पर लगवाई गईं. ऐसे में बेरोजगार युवाओं को अंधेरे में रखा गया. वो नियुक्तियों का इंतजार करते रह गए.
इतना ही नहीं मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (Finance Minister Premchand Agrawal) के पीआरओ की पत्नी और रिश्तेदार को भी नौकरी (Uttarakhand Assembly Recruitment Scam) दी गई है. बकायदा तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस बात को कबूला कि बिना विज्ञप्ति के 72 लोगों की नियुक्ति की गई. जिसके बाद मामला तूल पकड़ा. उन्होंने इसके लिए विशेषाधिकार का हवाला दिया था.