देहरादून: प्रदेश में कई सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हैं. ऐसे में मानसून की दस्तक के साथ उत्तराखंड शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूल फिर राजनीतिक चर्चा का विषय बन गए हैं. बरसात आते ही सरकारी स्कूलों के भवनों की जर्जर स्थिति पर सत्ताधारी दल और विपक्षी पार्टी आमने-सामने हैं. इस बार विरोधी दल ने स्कूलों की खस्ताहाल हालत पर सरकार की घेराबंदी की है और राज्य भर में जर्जर भवनों की बड़ी संख्या पर शिक्षा विभाग और विभागीय मंत्री को आड़े हाथ लेने की कोशिश की है.
कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल: उत्तराखंड में गर्मियों की छुट्टियां बीतने के बाद सरकारी स्कूल खुल चुके हैं. इस बीच राज्य में मानसून की दस्तक भी हो चुकी है और लगातार राज्य भर में बारिश का सिलसिला शुरू हो चुका है. इन्हीं परिस्थितियों के बीच उत्तराखंड कांग्रेस ने इस बार सरकारी स्कूलों के खस्ताहाल को मुद्दा बनाया है. दरअसल, राज्य के 11375 सरकारी स्कूल खोले जा चुके हैं, जिनमें से करीब 2785 स्कूलों के भवन या तो जर्जर है या फिर इनमें मरम्मत की आवश्यकता मानी जा रही है. प्रदेश में मानसून पहुंच चुका है और तमाम जिलों में तेज बारिश भी देखने को मिली है. ऐसे में जर्जर भवनों के खतरे को बताकर कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं.
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कब सुधरेगी जर्जर भवनों की हालत: इस दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने तो सरकारी स्कूलों की बदहाली पर बयान देते हुए विद्यालयों में छात्राओं के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं किए जाने की बात कह कर सरकार को आड़े हाथ लिया है. यही नहीं लंबे समय से राज्य में भाजपा सरकार होने के बावजूद जर्जर भवनों के हालात नहीं सुधरने पर भी हैरानी जाहिर की है. करन माहरा कहते हैं कि शिक्षा मंत्री हाईटेक स्कूल खोलने की बात करते हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाएं भी विद्यालयों तक नहीं पहुंचाई गई है और इसलिए देश में उत्तराखंड की शैक्षणिक कार्यों को लेकर रैंकिंग गिरी है.
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सरकारें देती हैं अपना तर्क: शिक्षा विभाग राज्य में जर्जर भवनों के हालात सुधारने की बात अक्सर कहता हुआ दिखाई दिया है. इसके अलावा विभाग की तरफ से यह भी निर्देश जारी किए गए हैं कि जो भी स्कूल पूरी तरह से जर्जर हैं, वहां पर बच्चों को शैक्षणिक कार्य ना करवाए जाएं, इसकी जगह इन बच्चों के लिए दूसरे स्थान पर शैक्षणिक कार्य की व्यवस्था करने के भी निर्देश है. उधर दूसरी तरफ विभाग ने 2026 तक सभी जर्जर स्कूलों को ठीक करने का भी प्लान तैयार किया है. हालांकि इतने सालों में स्कूलों के हालात क्यों नहीं सुधरे इस बारे में तमाम सरकारें अपना-अपना तर्क देती रही हैं.
मामले में बीजेपी ने क्या कहा: शिक्षा क्षेत्र में स्कूलों की बदहाली का मुद्दा कांग्रेस ने उठाया तो भाजपा ने भी अपनी सरकार का बचाव करने के लिए बयान देने में देरी नहीं की. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग की तरफ से जर्जर भवनों की मरम्मत के लिए बजट का प्रावधान किया जा चुका है और इसके लिए विभागीय स्तर पर प्रस्ताव भी मांगे जा चुके हैं. उधर फौरी तौर पर जिन स्कूलों में हालात ज्यादा खराब है, वहां बच्चों को अन्य भवनों में पढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं.