देहरादूनः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मनाने के लिए पार्टी के करीब 200 नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है. इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में मिली हार को लेकर भले ही मंथन और चिंतन किया गया हो, लेकिन हार की नैतिक जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है. वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने इस्तीफों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जिन नेताओं ने त्यागपत्र देने की शुरुआत की है, वो स्वागत योग्य कदम है. उसी तर्ज पर शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं को भी हार की जिम्मेदारी लेते हुए त्यागपत्र दे देना चाहिए.
गौर है कि बीते शुक्रवार को राहुल गांधी को मनाने के लिए पार्टी के करीब 200 नेताओं ने इस्तीफा दिया था. इनमें दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया और हरियाणा महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा चौहान जैसे शीर्ष नेता शामिल थे. ऐसे में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस में भी अटकलें लगाई जा रही थी कि पार्टी के शीर्ष पदों पर बैठे नेता हार की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अपना इस्तीफा देंगे.
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वहीं, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि राहुल गांधी का अनुसरण करते हुए शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं को त्यागपत्र दे देना चाहिए. जिससे राहुल गांधी को नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी और प्रदेश नेतृत्व में बदलाव करने के लिए फ्री हैंड मिल सके. पूरे देश के कांग्रेसी चाहते हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर बने रहें. राहुल गांधी ने नैतिकता के आधार पर हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिया है. कुछ नेताओं ने पार्टी हित को ध्यान में रखते हुए अपना इस्तीफे भी दिया है.
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उन्होंने कहा कि ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि अन्य नेता भी हार की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अपना त्यागपत्र देंगे, लेकिन कोई इस्तीफा देने को तैयार नहीं है. कई कांग्रेसी नेता मुख्य पोस्ट पर बैठे और चुनाव संचालन की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं. ऐसे महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए कांग्रेसी नेताओं को राहुल गांधी का अनुसरण करते हुए और हार की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए.
जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि इससे राहुल गांधी को नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करने के लिए फ्री हैंड मिल जाएगा. साथ ही प्रदेश नेतृत्व में जहां भी बदलाव की आवश्यकता होगी, वहां पर बदलाव किया जा सकेगा, लेकिन ऐसा नहीं कर कुछ कांग्रेसी नेताओं ने कुर्सी में बने रहने का मोह दिखाया है, जो पार्टी हित में नहीं है.