देहरादून: प्रदेश सरकार ने प्रदेश लौट रहे प्रवासी मजदूरों की मदद का जिम्मा ग्राम प्रधानों को सौंपा है. कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को हास्यास्पद करार दिया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि वापसी कर रहे प्रवासी लोगों की मदद और उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगाए गए ग्राम प्रधानों को सरकार ने एक रुपए भी नहीं दिए हैं. ऐसे में अब प्रवासियों की सेवा कर रहे प्रधानों की जेब में एक फूटी कौड़ी नहीं बची है.
प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रवासी प्रदेश में जहां-जहां पहुंच रहे हैं. वहां की जानकारी उनके पास आ रही है. एक तरफ तो सरकार लंबे चौड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ ग्राम प्रधानों को खाली हाथ ही प्रवासियों की मदद के लिए लगा दिया है. उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधानों के पास इस समय ना तो मास्क और सैनिटाइजर खरीदने के लिए पैसे हैं और ना ही वो गांव पहुंचने वाले प्रवासियों के लिए भोजन की व्यवस्था कर पा रहे हैं.
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उधर प्रवासी लोगों को ना तो क्वारंटाइन किया जा रहा है और ना ही उनकी किसी प्रकार की शारीरिक जांच की जा रही है. जहां जाचें हो भी रही हैं, वहां सिर्फ जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. वहीं, प्रीतम सिंह ने कहा, कि इन हालातों में कुछ ही दिनों के भीतर राज्य के तमाम गांवों में कोरोना महामारी अपने पैर पसार लेगी.
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने राज्य सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि जो प्रवासी वापसी कर रहे हैं, उनको राज्य के मुख्य द्वारों जिसमें हरिद्वार, टनकपुर, कोटद्वार, रुड़की और विकासनगर शामिल हैं, उन स्थानों पर लोगों के लिए क्वरंटाइन सेंटर बनाने चाहिए, ताकि गांवों तक कोरोना महामारी ना फैले और वहीं उनके खाने-पीने, रहने और दवाओं का बंदोबस्त किया जाए.