देहरादून: उत्तराखंड में 2017 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार को हिला देने वाले बागियों ने अब बीजेपी की नाक में दम कर रखा है. हालत ये है कि कांग्रेस से आए बागी विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को बीजेपी बाहर का रास्त तक दिखा चुकी है. वहीं दूसरी ओर विधायक उमेश शर्मा (काऊ) भी फिलहाल अनुशासनहीनता को लेकर जांच के दायरे में हैं. उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि आखिर बगावत करने पर बागी क्यों आमादा हैं?
2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार को झटका देने वाले बागियों ने अब बीजेपी के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. ताजा मामला उमेश शर्मा से जुड़ा है, जिनको अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी किया गया है. इससे पहले एक विधायक को तो पार्टी से बाहर का रास्ता तक दिखा दिया गया है.
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इसके अलावा दो मंत्रियों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. यह सभी नेता वो हैं जो कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस से बीजेपी में आए नेता पार्टी की रीति नीतियों के हिसाब से सेट हो पा रहे हैं. इस पर कांग्रेस का मानना है कि जो नेता कांग्रेस जैसी लोकतांत्रिक पार्टी में बगावत कर गए वह बीजेपी की रीती नीतियों पर कैसे एडजस्ट हो सकते हैं.
कांग्रेस के लिए मुसीबत बन चुके बागी बीजेपी में आने के बाद कई बार अनुशासनहीनता को लेकर निशाने पर रहे हैं. कांग्रेस से बागी हुए तीन विधायक तो सरकार में मंत्री भी हैं. उनकों लेकर भी खबरें हैं कि मौजूदा कामकाज की व्यवस्था को लेकर वो भी खुश नहीं हैं.
हाल ही में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के कर्मचारियों के आरक्षण के मुद्दे पर सरकार से नाराज होने की बात सार्वजनिक भी हुई थी, जबकि हरक सिंह रावत ने भी उनके विभाग में मुख्यमंत्री की दखलअंदाजी पर अपनी नाराजगी जताई थी. उधर सुबोध उनियाल के भी नाराज रहने की बात सामने आ रही है.
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इससे साफ है कि कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए विधायक पार्टी के माहौल को नहीं अपना पा रहे हैं. यही कारण है कि उनकी नाराजगी सार्वजनिक रूप से भी सामने दिखाई देने लगती है. हालांकि बीजेपी इस बात को मानने से इनकार कर रही है और अनुशासनहीनता के कुछ मामले सामने आने पर अपने स्तर से इन पर कार्रवाई की बात कह रही है.