देहरादून: कोरोना संक्रमण काल के दौरान दून मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स पर रखे गए 462 उपनल कर्मचारियों की नौकरी पर सेवा समाप्ति की तलवार लटक गई है. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम के सह प्रबंधक को इस संबंध में पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के प्रसार को रोकने और उपचार के लिए आउट सोर्स संस्था उपनल के माध्यम से 462 विभिन्न संवर्ग के कार्य में को 11 माह के लिए तैनात किया गया था. ऐसे में कांग्रेस ने इन आउटसोर्स कर्मियों को समयोजित करने की मांग उठाई है.
दरअसल, इन उपनल कर्मचारियों को अलग-अलग समय पर आवश्यकतानुसार सेवा विस्तार भी दिया गया. ऐसे में अब शासन द्वारा इन आउटसोर्स कर्मियों की कार्य अवधि 31 मार्च 2022 तक है विस्तारित की गई है और उच्चाधिकारियों की ओर से इनकी सेवा विस्तार को लेकर कोई भी निर्देश प्राप्त नहीं है. लिहाजा, आउटसोर्स कर्मियों से 31 मार्च के बाद कार्य लिया जाना संभव नहीं है. भविष्य में यदि संस्थान को इन आउट सोर्स सेवाओं की आवश्यकता होगी तो इन आउटसोर्स कर्मियों को वरीयता दी जा सकती है.
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इधर, कांग्रेस ने भी दून अस्पताल के उपनल कर्मियों को तत्काल समायोजित करने की मांग उठाई है. कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि का कहना है कि दून अस्पताल में उपनल के माध्यम से सेवायोजित विभिन्न संवर्ग के 462 कर्मचारियों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. ऐसे में उन्होंने कड़ा एतराज जताते हुए उपनल के माध्यम से लगाए गए अल्प वेतनभोगी कर्मचारियों को भगवान भरोसे छोड़ने को नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया है.
कांग्रेस पार्टी का कहना है पहले ही राज्य में बेरोजगारी भयावह रूप ले चुकी है और डबल इंजन सरकार के कारनामों को ही नतीजा कि देशभर में बढ़ती बेरोजगारी के मामले में छोटा सा राज्य उत्तराखंड चौथे स्थान पर है. कांग्रेस सरकार से एक बार फिर राज्य सरकार से आग्रह किया है कि उपनल के इन कार्मिकों को तत्काल समायोजित किया जाए अन्यथा इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं.