देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा बैक डोर भर्तियों (uttarakhand assembly Back Door Recruitment ) की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति जाहिर की है. कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी (Assembly Speaker Ritu Khanduri) द्वारा गठित की गई समिति पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि पूर्व आईएएस अधिकारियों द्वारा करवाई जा रही जांच कैसे मुनासिब है? इन भर्तियों का उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से जांच करवाई जाए.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Congress state president Karan Mahara) ने कहा हमारे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यों वाली विधानसभा में करीब 543 कर्मचारी हैं. जबकि उत्तराखंड प्रदेश की छोटी सी 70 सदस्यों वाली विधानसभा में 560 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, जो अपने आप में नियुक्तियों में हुई बंदरबांट की ओर इशारा कर रहे हैं. वहीं, सरकार ने विधानसभा में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है.
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उन्होंने कहा उत्तराखंड विधानसभा भर्ती मामले की जांच (uttarakhand assembly recruitment case investigation) रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों द्वारा करवाई जा रही है. यह कैसे मुनासिब है? जबकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है. जिसकी किसी भी मामले की जांच का अधिकार केवल उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में निहित होता है. ऐसे में सरकार के अधीन कार्य करने वाले लोक सेवकों द्वारा की जाने वाली जांच की निष्पक्षता संदेहास्पद है.
करन माहरा ने कहा इन भर्तियों की जांच जनहित में होनी चाहिए. साथ ही विधानसभा में हुई सभी प्रकार की भर्तियों की जांच वर्ष 2012 के बाद से नहीं, बल्कि साल 2000 से की जानी चाहिए. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने समिति के गठन पर असंतोष जताया है. साथ ही विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की देखरेख में करवाने की मांग की है.