देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन भी हंगामेदार रहा. दूसरे दिन सदन में विपक्ष ने विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाया. विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों का आरोप है कि उन्हें सरकारी कार्यक्रमों में न तो बुलाया जा रहा है और न ही सरकारी बैठकों की सूचना दी जा रही है. इसके साथ ही अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में विपक्ष ने वीआईपी के नाम को लेकर भी बड़ा हंगामा किया. इस मामले पर कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सीबीआई जांच करवाने की मांग की.
दरअसल, उत्तराखंड में बीते दिनों से बेहद चर्चाओं में चल रहा अंकिता भंडारी हत्याकांड का मामला विधानसभा सत्र में भी बार-बार विपक्ष द्वारा उठाया जा रहा है. सरकार और पुलिस अधिकारियों से कई बार ये सवाल किया गया है कि आखिरकार वह वीआईपी कौन है जिसका जिक्र अंकिता हत्याकांड में आ रहा है. इसको लेकर विपक्ष ने सदन में आरोप लगाया कि इसमें सरकार वीवीआईपी को बचा रही है. इसका जवाब संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने दिया है.
अंकिता हत्याकांड का मामले पर गहमा-गहमी: प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में हुए अंकिता हत्याकांड को लेकर अबतक की जांच में यह साफ हो गया है कि कोई भी वीआईपी रिजॉर्ट में नहीं था. अग्रवाल ने कहा कि बार-बार एक ही मुद्दे को उठाना सही नहीं है. हम लोगों की भावनाओं की कद्र करते हैं लेकिन अब तक की जांच में जो सामने आया है वो ये है कि किसी भी होटल या रिजॉर्ट में जो लग्जरी सूट होते हैं उनमें आने वाले गेस्ट को वीआईपी ही कहा जाता है.
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VIP पर संसदीय कार्यमंत्री का सीधा जवाब: प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यह सभी बातें भ्रामक हैं कि कोई वीआईपी का नाम इस पूरे मामले में आ रहा था. विपक्ष की सीबीआई जांच की मांग को लेकर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष को तो सीबीआई पर भरोसा ही नहीं है तो इस मांग को कोई औचित्य नहीं रह जाता है. मंत्री ने ये बयान देकर कहीं ना कहीं वीआईपी के नाम पर भी ब्रेक लगा दिया है और सरकार पर उठ रहे सवालों को भी सिरे से खारिज कर दिया है. लेकिन हैरानी की बात ये भी है कि अब तक एसआईटी या पुलिस के किसी भी अधिकारी ने इस मामले से जुड़े बयानों में इस तरह का बयान नहीं दिया है. हालांकि, सरकार के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नजर नहीं आया.
कांग्रेस ने लगाया नजरअंदाज करने का आरोप: सदन में विपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के विधायकों को नजरअंदाज किया जा रहा है और लोकतंत्र की अनदेखी के साथ ही निर्वाचित विधायकों के प्रोटोकॉल को भी तोड़ा जा रहा है. जबकि विधानसभा से होने वाले कार्यक्रमों में अधिकारी अक्सर विधायकों को जानकारी नहीं देते हैं. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि वो भी विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस प्रकार का व्यवहार नहीं देखा, जो इस समय सरकार की ओर से विपक्ष के विधायकों के साथ किया जा रहा है.