देहरादून: कोरोना काल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से दून अस्पताल में तैनात 610 आउटसोर्सिंग कर्मियों की 31 मार्च को सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. इसके विरोध में कर्मी अपनी मांगों को कई दिनों से आंदोलनरत हैं. वहीं, उनके समर्थन में कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह और राजेंद्र भंडारी धरना स्थल पर पहुंचे और उनकी मांगों को जायज ठहराया. साथ ही राज्य सरकार को जमकर कोसा.
प्रीतम सिंह ने कहा सरकार गठन के बाद भाजपा ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हटाने का काम किया है. ऐसे में आज आउटसोर्सिंग कर्मी धरने पर बैठे हुए हैं. इसलिए मजबूरन कांग्रेस को भी इन साथियों के साथ धरने पर बैठना पड़ा है. हम नहीं चाहते थे कि सरकार के खिलाफ इतनी जल्दी कोई आंदोलन करें, लेकिन सरकार ने इतनी अल्प अवधि में ही अपना असली चेहरा दिखा दिया.
प्रीतम सिंह ने कहा भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश के युवाओं से वादा किया था कि हम जब सत्ता में आएंगे तो, हम रोजगार देने का काम करेंगे, लेकिन सरकार ने ठीक इसके उलट काम किया है. सरकार ने काम कर रहे युवाओं का रोजगार खत्म करने का काम किया है. इस विषय में हम मुख्यमंत्री के समक्ष इन कर्मचारियों को पुनः सेवा में बहाल किए जाने की मांग करेंगे.
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वहीं, स्वास्थ्य कर्मियों के धरना स्थल पर पहुंचे बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी ने भी सरकार पर जमकर हमला किया है. उन्होंने सरकार पर कटाक्ष किया कि लोकप्रिय सरकार का गठन हो चुका है और अच्छे दिनों की सरकार बन गई है. यह अच्छे दिन ही कहे जा सकते हैं कि जिनका रोजगार है, उनके रोजगार भी छीन लो, जो प्यासा है उसे पानी मत दो और जिनके सर पर छत नहीं है, उन्हें घर मत दो.
उन्होंने कहा ताज्जुब है कि जिन कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए कोरोना काल में लोगों की जानें बचाई और जो अल्प वेतनभोगी थे, वो कर्मचारी आज सड़कों पर बैठे हुए हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार को रोजगार देने की बात करनी चाहिए थी, लेकिन वह युवाओं के रोजगार छीन रही है. हम सरकार से मांग करते हैं कि कम वेतन में काम कर रहे जितने भी संविदा कर्मी हैं, उन्हें बीपीएल कैटेगरी में रखा जाए और उन को रोजगार मुहैया कराया जाए, लेकिन यह सरकार बहुत आसानी से सुनने वाली नहीं है.