देहरादून: प्रदेश में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं में गड़बड़ी और विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर इन दिनों राजनीति भी खूब गर्माई हुई है. विधानसभा में बैक डोर से हुई नियुक्तियों में लगातार रोज कुछ न कुछ खुलासे होते जा रहे हैं. नियुक्तियों को लेकर राजनीतिक रूप से सरकार और कांग्रेस आमने-सामने हैं. इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने रायता पार्टी के जरिए संभवत नियुक्तियों पर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की. उनकी रायता पार्टी का वीडियो ऐसे समय पोस्ट किया गया जब प्रदेश में आरएसएस के प्रांत प्रचारक द्वारा नियुक्ति दिलाए जाने से जुड़ी एक सूची वायरल हो रही है और उस पर संघ से जुड़े लोग मुकदमा तक करवा चुके हैं.
हरीश रावत उत्तराखंड के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जो जनता के बीच सक्रिय रहते हैं. वहीं उन्हें अक्सर पार्टी देते देखा गया है, भले ही वो सत्ता में काबिज हो या नहीं, लेकिन उनकी पार्टी के भी सियासी मायने होते हैं. वहीं पिछले 48 घंटों में नियुक्तियों को लेकर एक ऐसी सूची जारी हुई है जिसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक पर सवाल खड़े किए. इस सूची के वायरल होने के बाद हालांकि संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने पुलिस में इसकी शिकायत कर मुकदमा भी दर्ज कराया है. खास बात यह है कि हरीश रावत ने भी नियुक्ति को लेकर इससे जुड़ी पोस्ट की थी, जिसे आरएसएस पदाधिकारियों की शिकायत के बाद हरीश रावत ने हटा दिया.
लेकिन इस संदेश के साथ कि वह जल्द एक नई सूची डालेंगे. इसके बाद उनकी पोस्ट पर रायता पार्टी देते हुए एक वीडियो जारी किया गया. यूं तो उनकी तरफ से दी जाने वाली ऐसी पार्टियां सामान्य होती है लेकिन हरीश रावत की हर पार्टी और बयान के पीछे मकसद होता है. लिहाजा माना जा रहा है कि हरीश रावत ने ऐसे मौके पर रायता पार्टी देना और उसका वीडियो अपलोड करना किसी संदेश को दे रहा है. माना जा रहा है कि नियुक्ति को लेकर भले ही शिकायत की गई हो, लेकिन जनता के बीच जो संदेश देने की कोशिश की गई थी वह पहुंच गया है. ऐसा कांग्रेस मान रही है लिहाजा रायता पार्टी के जरिए संभवत मामले पर रायता फैलने का कोई संदेश देने की भी कोशिश हो सकती है.
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बहरहाल हरीश रावत के इस रुख पर भाजपा उनके बगावती तेवर का मुद्दा उठाकर हरीश रावत पर सीधा प्रहार कर रही है और उन्हें अपनी ही पार्टी के खिलाफत वाला नेता बताने की कोशिश कर रही है.हरीश रावत पर भाजपा के आरोपों के बीच कांग्रेस भी अपने नेता के बचाव में उतरी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा ने कहा कि पहले भाजपा को यह जवाब देना चाहिए कि आर एस एस पदाधिकारियों को लेकर उनका क्या स्टैंड है और वह अब तक भाई भतीजावाद के तहत हुई नियुक्ति पर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं.