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#KhelRatnaDhyanChand:'गांधी-नेहरू का नाम कहां-कहां से मिटाएगी BJP', हरदा ने मांगा भारत रत्न

खेल रत्न पुरस्कार अब राजीव गांधी के नाम पर नहीं बल्कि हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम से जाना जाएगा. केंद्र सरकार के इस फैसले की कांग्रेसियों ने आलोचना की है. हरीश रावत का भी इस मामले पर बयान आया है. उन्होंने लगे हाथ मांग कर दी कि ध्यानचंद को भारत रत्न दिया जाए.

मेजर ध्यानचंद खेल रतन
मेजर ध्यानचंद खेल रतन
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Published : Aug 6, 2021, 4:00 PM IST

Updated : Aug 6, 2021, 6:48 PM IST

देहरादून: केंद्र सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर हॉकी के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ये ऐलान किया. केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि कहां-कहां से मिटाओगे गांधी-नेहरू का नाम.

हरीश रावत ने कहा कि गांधी-नेहरू परिवार का नाम भाजपा कहां-कहां से मिटाएगी. क्योंकि देश की हर एक प्रमुख इमारत में उनका अक्श है. हरीश रावत ने कांग्रेस की तरफ से यह मांग की है कि ध्यानचंद को भारतीय जनता पार्टी की सरकार भारत रत्न से नवाजे.

हरीश रावत ने पीएम मोदी पर साधा निशाना.

हरीश रावत की मानें तो भाजपा और आरएसएस यह चाहते हैं कि किसी न किसी तरीके से गांधी-नेहरू परिवार का नाम हर जगह से हटाया जाए. क्योंकि उन्हें पता है कि जब तक गांधी-नेहरू परिवार रहेगा तब तक देश की राजनीति भाजपा के अनुकूल नहीं चल सकती.

पढ़ें- Major Dhyan Chand Award: CM धामी ने फैसले का किया स्वागत, कहा- गर्व का विषय

हरीश रावत ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाने में गांधी-नेहरू परिवार मुख्य स्तंभ हैं. अगर इस स्तंभ को ही हटाया जाएगा तो स्वभाविक है कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस देश में अपने हिसाब से राजनीति करेंगे.

हरीश रावत ने कहा कि खेल रत्न का नाम राजीव गांधी से बदलकर ध्यानचंद करना यह देश और दो लोगों में खटास पैदा करता है. भाजपा की नीति सही नहीं है. हरीश रावत ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि ध्यानचंद ने खेलों के लिए बेहद बड़े काम किए हैं और उनको सम्मान मिलना चाहिए. साथ ही हरीश रावत ने कहा कि राजीव गांधी ने भारतीय खेलों के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए हैं, जो पूर्व से लेकर अब तक देखे जा सकते हैं.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी कि देश की जनता लंबे समय से राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का नाम किसी खिलाड़ी के नाम होने की मांग कर रही थी. लिहाज हमारी सरकार ने यह निर्णय लेती है कि अब राष्ट्रीय खेल पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर होगा.

पढ़ें- Major Dhyan Chand के नाम पर मिलेगा राजीव गांधी खेल रत्न, पीएम ने किया एलान

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत: तत्कालीन सरकार ने 1991-92 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत की थी. यह पुरस्कार भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है. हालांकि अब इसका नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है. इसको जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र के साथ अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है. सबसे पहले खेल रत्न पुरस्कार भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था. अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है.

कौन हैं मेजर ध्यानचंद: केंद्र सरकार ने जिस खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखा है, उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को यूपी के प्रयागराज में हुआ था. भारत में 29 अगस्त खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. ध्यानचंद सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना (ब्रिटिश काल) में भर्ती हो गए थे.

ध्यानचंद हॉकी के जादूगर: बताया जाता है कि वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा. उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था. 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए. तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं. तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा.

देहरादून: केंद्र सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर हॉकी के जादूगर के नाम से प्रसिद्ध मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ये ऐलान किया. केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि कहां-कहां से मिटाओगे गांधी-नेहरू का नाम.

हरीश रावत ने कहा कि गांधी-नेहरू परिवार का नाम भाजपा कहां-कहां से मिटाएगी. क्योंकि देश की हर एक प्रमुख इमारत में उनका अक्श है. हरीश रावत ने कांग्रेस की तरफ से यह मांग की है कि ध्यानचंद को भारतीय जनता पार्टी की सरकार भारत रत्न से नवाजे.

हरीश रावत ने पीएम मोदी पर साधा निशाना.

हरीश रावत की मानें तो भाजपा और आरएसएस यह चाहते हैं कि किसी न किसी तरीके से गांधी-नेहरू परिवार का नाम हर जगह से हटाया जाए. क्योंकि उन्हें पता है कि जब तक गांधी-नेहरू परिवार रहेगा तब तक देश की राजनीति भाजपा के अनुकूल नहीं चल सकती.

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हरीश रावत ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाने में गांधी-नेहरू परिवार मुख्य स्तंभ हैं. अगर इस स्तंभ को ही हटाया जाएगा तो स्वभाविक है कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस देश में अपने हिसाब से राजनीति करेंगे.

हरीश रावत ने कहा कि खेल रत्न का नाम राजीव गांधी से बदलकर ध्यानचंद करना यह देश और दो लोगों में खटास पैदा करता है. भाजपा की नीति सही नहीं है. हरीश रावत ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि ध्यानचंद ने खेलों के लिए बेहद बड़े काम किए हैं और उनको सम्मान मिलना चाहिए. साथ ही हरीश रावत ने कहा कि राजीव गांधी ने भारतीय खेलों के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए हैं, जो पूर्व से लेकर अब तक देखे जा सकते हैं.

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी कि देश की जनता लंबे समय से राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का नाम किसी खिलाड़ी के नाम होने की मांग कर रही थी. लिहाज हमारी सरकार ने यह निर्णय लेती है कि अब राष्ट्रीय खेल पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर होगा.

पढ़ें- Major Dhyan Chand के नाम पर मिलेगा राजीव गांधी खेल रत्न, पीएम ने किया एलान

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत: तत्कालीन सरकार ने 1991-92 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार की शुरुआत की थी. यह पुरस्कार भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है. हालांकि अब इसका नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है. इसको जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र के साथ अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है. सबसे पहले खेल रत्न पुरस्कार भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था. अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है.

कौन हैं मेजर ध्यानचंद: केंद्र सरकार ने जिस खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर खेल रत्न पुरस्कार का नाम रखा है, उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को यूपी के प्रयागराज में हुआ था. भारत में 29 अगस्त खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. ध्यानचंद सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना (ब्रिटिश काल) में भर्ती हो गए थे.

ध्यानचंद हॉकी के जादूगर: बताया जाता है कि वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा. उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 में ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था. 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए. तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं. तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा.

Last Updated : Aug 6, 2021, 6:48 PM IST
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