देहरादूनः उत्तराखंड में भाजपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद 2022 का किला भी फतह किया. इसके साथ हर 5 साल में सरकार बदलने का रिकॉर्ड भी ध्वस्त किया. दूसरी तरफ 2019 के लोकसभा चुनाव और निकाय चुनाव में भी भाजपा ने विरोधी कांग्रेस को करारी शिकस्त दी. इन हार के बाद प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कुछ ठीक नहीं दिख रही. यही वजह है कि अब कांग्रेस अन्य दलों के साथ मिलकर भाजपा को टारगेट करने का प्लान तैयार कर रही है.
छोटे दलों को साथ जोड़कर कांग्रेस करेगी मुकाबला: एक तरफ भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के 9 साल पूरा होने पर देश भर में महा जनसंपर्क अभियान चलाने जा रही है. तो दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस छोटे-छोटे दलों को अपने साथ जोड़कर भाजपा से चुनावी जंग लड़ने की रणनीति तैयार कर रही है. कांग्रेस प्रदेश के उन दलों को अपने साथ रही है जिनका फिलहाल प्रदेश में कोई वर्चस्व नहीं है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या कांग्रेस भाजपा से मुकाबला करने में सक्षम नहीं है.
कांग्रेस के सर्वदलीय दलों में क्षेत्रीय, सपा-बपसा नहीं: कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने हाल ही में सर्वदलीय बैठक आयोजित की थी. बैठक में, सीपीआई, भाकपा माले और सीपीआईएम के पदाधिकारी शामिल हुए थे. लेकिन प्रदेश के सपा-बसपा के प्रतिनिधि बैठक के लिए नहीं बुलाए गए. यहां तक कि क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल को भी बैठक का न्योता नहीं था. 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा के दो विधायकों के जीत हासिल की है. बावजूद इसके बसपा को शामिल नहीं किया गया. ऐसे में तय है कि जिन पार्टियों को लेकर कांग्रेस आगे बढ़ रही है, आने वाले समय में इन्हीं पार्टियों को अपने कंधे पर लादकर ढोना होगा.
भाजपा को नहीं है लोकतंत्र पर भरोसा: छोटे दलों के साथ मिलकर कांग्रेस, भाजपा संगठन और सरकार पर सवाल उठा रही है. साथ ही प्रदेश के उन तमाम ज्वलंत मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरने जा रही है. इस पूरे मामले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि सभी दलों को एक साथ मिलकर आगे आना चाहिए, क्योंकि इस वक्त जरूरत है कि विपक्ष एक साथ खड़ा हो. साथ ही कहा कि भाजपा को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है. यही वजह है कि पिछले 9 सालों में जनता द्वारा अलग-अलग राज्यों चुनी हुई 10 सरकारों को गिरा दिया गया. इसलिए आवश्यक है कि सभी विपक्षी दल एक हो.
परिस्थितियां तय करेगी अन्य दलों का सहयोग: करन माहरा ने कहा कि प्रदेश और देश में तमाम बड़े ज्वलंत मुद्दे हैं. सभी विपक्षी दलों को इन मुद्दों को लेकर जनता को जागरूक करना चाहिए. क्योंकि सरकार बहुमत का लाभ उठाकर अपने गलत कामों को ढकने का काम कर रही है. भाजपा सरकार मंदिर, मस्जिद, मदरसे, मजार और लैंड जिहाद के नाम पर असल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने का काम कर रही है. दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के सवाल पर करन माहरा ने कहा कि उस समय की परिस्थितियां तय करेंगी कि क्या होगा.
ज्वलंत मुद्दों पर होगा संघर्ष :कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा सरकार की कमियों को जनता के बीच ले जाने के सवाल पर भाकपा माले के प्रदेश सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि प्रदेश में जो जनता के सवाल है उसको छोड़कर बाकी अन्य विषयों पर चर्चा हो रही है. लेकिन जिस सरकार ने खुद जमीनों को बेचने के लिए कानून पारित कर दिया हो, उसके बाद लैंड जिहाद की बात करें तो ये सिर्फ सामुदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति है.
भाजपा सरकार को बेदखल करना ही उद्देश्य: इस मामले पर सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य समर भंडारी ने कहा कि भाजपा सरकार जब से सत्ता में आई है संविधान और धर्मनिरपेक्षता पर हमला कर रही है. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर हमारी भाईचारे की विरासत पर हमला कर रही है. देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम कर रही है. ऐसे में यही एक रास्ता है कि विपक्ष एकजुट हो और गंभीरता से हस्तक्षेप की शुरुआत हो.
सिर्फ विरोध के लिए राजनीति कर रहा है विपक्ष: विपक्षी दलों का एक होकर भाजपा सरकार के खिलाफ मुखर होने के सवाल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है और जो भी मुद्दे विपक्षी उठा रहा हैं, वह सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक मुद्दे हैं. लेकिन देश की जनता एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में चाहती है. क्योंकि पीएम मोदी के कार्यकाल में ही भारत का मान-सम्मान वैश्विक स्तर पर ना सिर्फ बढ़ा है बल्कि एक नए मुकाम तक पहुंचा है.
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