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नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन, जातीय-क्षेत्रीय संतुलन साधने में लगा कांग्रेस हाईकमान

इंदिरा हृदयेश (indira hridayesh) के निधन के बाद उत्तराखंड में खाली हुई नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition in uttarakhand) की कुर्सी को लेकर कांग्रेस (uttarakhand congress) में घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस हाईकमान अभीतक नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा नहीं कर पाया है. हालांकि दिल्ली में बैठकों का दौरा जारी है.

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Published : Jun 28, 2021, 3:57 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 6:11 PM IST

देहरादून: दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष को लेकर मंथन चल रहा है, लेकिन अभीतक किसी भी नाम पर सहमति नहीं बन पाई है. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition in uttarakhand) की कुर्सी खाली है. इस कुर्सी पर किसे काबिज किया जाए, इसको लेकर कांग्रेस में माथापच्ची चल रही है. यही कारण है कि उत्तराखंड के तमाम बड़े नेता दिल्ली (congress meeting in delhi) में बैठक कर रहे हैं.

दिल्ली में बैठे हाईकमान को निर्णय लेना है कि उत्तराखंड (uttarakhand congress) में नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition in uttarakhand) किसे बनाया जाए. कांग्रेस नेता गरिमा दसौनी ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश की तेरहवीं के बाद ही इस विषय पर मंथन किया जाएगा. उत्तराखंड कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व दिल्ली में बैठक करके नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन कर रहा है. इसके साथ ही भविष्य की रणनीति भी तैयार की जा रही है. बहुत जल्द नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लग जाएगी.

पढ़ें- उत्तराखंड को मिली 19 करोड़ 28 लाख की लागत के 6 पुलों की सौगात, रक्षा मंत्री ने किया लोकार्पण

दरअसल, उत्तराखंड कांग्रेस में पहले से ही गुटबाजी देखने को मिल रही है. वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी मुश्किल ये खड़ी हो गयी है कि वो नेता प्रतिपक्ष की कमान किसे सौंपे. क्योंकि आगामी चुनाव को देखते हुए हाईकमान को बहुत सी बातों को ध्यान में रखना होगा.

नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन

आलाकमान नहीं चाहता है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में खेमेबाजी शुरू हो जाए. इसीलिए आलाकमान बीच का रास्ता निकालने में लगा हुआ है. पार्टी के कुछ नेताओं की मानें तो शनिवार रात को उत्तराखंड कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से भी मिले थे. उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी लगातार विधायकों से बातचीत कर रहे हैं. रविवार को भी नेता प्रतिपक्ष के नाम पर बैठकों का दौर चला और आज सोमवार को भी बैठक हो रही है.

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 में सिर्फ 11 सीटें जीती थीं. तब 11 सदस्यीय विधायक दल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश (indira hridayesh) को विधानमंडल दल का नेता बनाया गया था. उन्हें ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी. बीते दिनों दिल्ली में हुए एक पार्टी कार्यक्रम में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

अब पार्टी के पास 10 विधायक हैं. इनमें किसी एक को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देनी है. इन 10 विधायकों में से एक चकराता विधायक प्रीतम सिंह पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. अब हाईकमान को 9 विधायकों में किसी एक नाम पर मोहर लगानी है.

पढ़ें- 2022 तक CM बने रहेंगे तीरथ सिंह रावत!, जानिए क्या कहते हैं अंकशास्त्री

पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, जसपुर विधायक आदेश चौहान, उत्तरकाशी विधायक राजकुमार और उपनेता का दायित्व संभाल रहे विधायक करण माहरा (इन चारों में से किसी एक को) को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देने पर अड़ा है. जबकि भगवानपुर विधायक ममता राकेश, पीरान कलियर विधायक फुरकान अहमद इससे राजी नहीं है. वैसे कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सबसे अच्छा चेहरा विधायक काजी निजामुद्दीन है, जो सदन में सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं रखते हैं. लेकिन सुनने में आ रहा है कि वे राष्ट्रीय सचिव होने के नाते किसी गुटबाजी में नहीं दिखना चाहते हैं.

इसके अलावा पार्टी उपनेता करन माहरा को भी नेता प्रतिपक्ष बना सकती है. लेकिन यहां जातीय समीकरण गड़बड़ा जाएगा. क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष दोनों ठाकुर हो जाएंगे. वहीं पार्टी को गढ़वाल और कुमाऊं का क्षेत्रीय संतुलन भी बना कर रखना है. पार्टी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि वो जातीय और क्षेत्रीय दोनों समीकरणों को साधकर चलना चाहती है. ताकि आगामी चुनाव में उसे इसका फायदा मिले और पार्टी में गुटबाजी भी न हो.

देहरादून: दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष को लेकर मंथन चल रहा है, लेकिन अभीतक किसी भी नाम पर सहमति नहीं बन पाई है. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition in uttarakhand) की कुर्सी खाली है. इस कुर्सी पर किसे काबिज किया जाए, इसको लेकर कांग्रेस में माथापच्ची चल रही है. यही कारण है कि उत्तराखंड के तमाम बड़े नेता दिल्ली (congress meeting in delhi) में बैठक कर रहे हैं.

दिल्ली में बैठे हाईकमान को निर्णय लेना है कि उत्तराखंड (uttarakhand congress) में नेता प्रतिपक्ष (leader of opposition in uttarakhand) किसे बनाया जाए. कांग्रेस नेता गरिमा दसौनी ने बताया कि कांग्रेस आलाकमान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश की तेरहवीं के बाद ही इस विषय पर मंथन किया जाएगा. उत्तराखंड कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व दिल्ली में बैठक करके नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन कर रहा है. इसके साथ ही भविष्य की रणनीति भी तैयार की जा रही है. बहुत जल्द नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मुहर लग जाएगी.

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दरअसल, उत्तराखंड कांग्रेस में पहले से ही गुटबाजी देखने को मिल रही है. वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस के सामने बड़ी मुश्किल ये खड़ी हो गयी है कि वो नेता प्रतिपक्ष की कमान किसे सौंपे. क्योंकि आगामी चुनाव को देखते हुए हाईकमान को बहुत सी बातों को ध्यान में रखना होगा.

नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन

आलाकमान नहीं चाहता है कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में खेमेबाजी शुरू हो जाए. इसीलिए आलाकमान बीच का रास्ता निकालने में लगा हुआ है. पार्टी के कुछ नेताओं की मानें तो शनिवार रात को उत्तराखंड कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से भी मिले थे. उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी लगातार विधायकों से बातचीत कर रहे हैं. रविवार को भी नेता प्रतिपक्ष के नाम पर बैठकों का दौर चला और आज सोमवार को भी बैठक हो रही है.

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 में सिर्फ 11 सीटें जीती थीं. तब 11 सदस्यीय विधायक दल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता इंदिरा हृदयेश (indira hridayesh) को विधानमंडल दल का नेता बनाया गया था. उन्हें ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी. बीते दिनों दिल्ली में हुए एक पार्टी कार्यक्रम में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

अब पार्टी के पास 10 विधायक हैं. इनमें किसी एक को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देनी है. इन 10 विधायकों में से एक चकराता विधायक प्रीतम सिंह पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. अब हाईकमान को 9 विधायकों में किसी एक नाम पर मोहर लगानी है.

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पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, जसपुर विधायक आदेश चौहान, उत्तरकाशी विधायक राजकुमार और उपनेता का दायित्व संभाल रहे विधायक करण माहरा (इन चारों में से किसी एक को) को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देने पर अड़ा है. जबकि भगवानपुर विधायक ममता राकेश, पीरान कलियर विधायक फुरकान अहमद इससे राजी नहीं है. वैसे कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सबसे अच्छा चेहरा विधायक काजी निजामुद्दीन है, जो सदन में सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं रखते हैं. लेकिन सुनने में आ रहा है कि वे राष्ट्रीय सचिव होने के नाते किसी गुटबाजी में नहीं दिखना चाहते हैं.

इसके अलावा पार्टी उपनेता करन माहरा को भी नेता प्रतिपक्ष बना सकती है. लेकिन यहां जातीय समीकरण गड़बड़ा जाएगा. क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष दोनों ठाकुर हो जाएंगे. वहीं पार्टी को गढ़वाल और कुमाऊं का क्षेत्रीय संतुलन भी बना कर रखना है. पार्टी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि वो जातीय और क्षेत्रीय दोनों समीकरणों को साधकर चलना चाहती है. ताकि आगामी चुनाव में उसे इसका फायदा मिले और पार्टी में गुटबाजी भी न हो.

Last Updated : Jul 17, 2021, 6:11 PM IST
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