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मिशन 2022: बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर लड़ा जाएगा आगामी विधानसभा चुनाव

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 अब एक साल से भी कम का वक्त रह गया है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियों जोर-शोर से चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है. अब देखना यह होगी कि प्रदेश की मुख्य राजनीतिक दलों समेत अन्य दल किन मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ने जा रही है.

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Published : Aug 9, 2021, 10:40 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) को लेकर प्रदेश की मुख्य राजनीतिक दलों समेत अन्य दल तैयारियों में जुटा हुआ है. सभी राजनीतिक दल जनता के बीच रखने के लिए नये-नये मुद्दों को लेकर आ रहे है. अभी तक यह देखने को मिला है कि राजनीतिक दल प्रदेश की मूलभूत सुविधाओं के साथ ही बेरोजगारी के मुद्दे पर मुख्य रूप से फोकस कर रही है. इसका किस राजनीतिक दल को फायदा मिलेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

मिशन 2022 में महज कुछ ही महीनों का वक्त बचा है. ऐसे में उत्तराखंड राज्य की दो मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी रणनीतियों को बनाने में जुट गई है. जहां एक और सत्ताधारी पार्टी भाजपा साल 2017 में जारी किए गए घोषणापत्र को पूरा करने की कवायद में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस भाजपा के उन वादों को उठाने की कोशिश कर रही है. जो वादे भाजपा ने साल 2017 में किए थे और उसे अभी तक पूरा नहीं कर पाए हैं. इन सबके अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य के परिपेक्ष में मूलभूत सुविधाएं हमेशा से एक अहम मुद्दा रहा है. जिसे हर विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दल बनाने की कोशिश करते हैं.

बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर लड़ा जाएगा आगामी विधानसभा चुनाव .

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि मुख्य रूप से आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी यानी भाजपा अपने इन 5 सालों में किए गए विकास कार्यों के साथ ही पूरे किए गए वादों को लेकर जनता के बीच जाएगी. तो वहीं विपक्षी दल को इस बात को और फायदा मिलेगा कि जो सत्ताधारी पार्टी ने वादा किया था और जिन वादों को पूरा नहीं कर पाई है. उन मुद्दों को लेकर कांग्रेस जनता के बीच जाएगी. ऐसे में विपक्षी दलों के पास 100 दिन में लोकायुक्त बनाना, भू-कानून का मुद्दा, मुफ्त बिजली, बेरोजगारी समेत जनता से जुड़े अन्य मुद्दे हावी होंगे.

सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के क्या मुद्दे होंगे इसकी तैयारियां की जा रही हैं. लेकिन अभी फिलहाल साथ 2017 में जो घोषणा पत्र जारी किया गया था, उन सभी वादों को पूरा किया जा रहा है. हालांकि अभी तक 80 से 85 फीसदी वादों को पूरा किया जा चुका है. जिसे पूरा करने के बाद आगामी चुनाव के लिए मुद्दों को तैयार किया जाएगा. जिन मुद्दों को लेकर भाजपा जनता के दरवाजे पर जाएगी.

कांग्रेस के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है. क्योंकि आज प्रदेश भर में लाखों की संख्या में बेरोजगार युवा रोजगार की तलाश में है. इन सबके अतिरिक्त पलायन, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला उत्पीड़न, किसान समेत तमाम मुद्दे हैं लेकिन आगामी चुनाव में मुख्य रूप से बेरोजगारी और महंगाई मुद्दा अहम रहने वाला है. लिहाजा, कांग्रेस इन तमाम मुद्दों को लेकर जनता के बीच आएगी और भाजपा की पोल खोलेगी.

पढ़ें: भूस्खलन से ऋषिकेश-गंगोत्री NH-94 बंद, उफनती नदी से आवाजाही करने को मजबूर लोग

बता दें कि, उत्तराखंड राज्य में इन दिनों बेरोजगारी, ऊर्जा, भू-कानून, देवस्थानम बोर्ड, महंगाई समेत कई मुद्दे चर्चाओं में है. ऐसे में अभी राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान बनाने की कोशिश कर सकते हैं. सभी राजनीतिक दल आगामी चुनाव के दृष्टिगत अपने-अपने अहम मुद्दों को तैयार करने में जुट गई है, जिन मुद्दों को लेकर वह जनता के बीच जाएगी. ताकि चुनाव में जीत हासिल कर सके.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) को लेकर प्रदेश की मुख्य राजनीतिक दलों समेत अन्य दल तैयारियों में जुटा हुआ है. सभी राजनीतिक दल जनता के बीच रखने के लिए नये-नये मुद्दों को लेकर आ रहे है. अभी तक यह देखने को मिला है कि राजनीतिक दल प्रदेश की मूलभूत सुविधाओं के साथ ही बेरोजगारी के मुद्दे पर मुख्य रूप से फोकस कर रही है. इसका किस राजनीतिक दल को फायदा मिलेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

मिशन 2022 में महज कुछ ही महीनों का वक्त बचा है. ऐसे में उत्तराखंड राज्य की दो मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी रणनीतियों को बनाने में जुट गई है. जहां एक और सत्ताधारी पार्टी भाजपा साल 2017 में जारी किए गए घोषणापत्र को पूरा करने की कवायद में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस भाजपा के उन वादों को उठाने की कोशिश कर रही है. जो वादे भाजपा ने साल 2017 में किए थे और उसे अभी तक पूरा नहीं कर पाए हैं. इन सबके अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य के परिपेक्ष में मूलभूत सुविधाएं हमेशा से एक अहम मुद्दा रहा है. जिसे हर विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक दल बनाने की कोशिश करते हैं.

बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर लड़ा जाएगा आगामी विधानसभा चुनाव .

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि मुख्य रूप से आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी यानी भाजपा अपने इन 5 सालों में किए गए विकास कार्यों के साथ ही पूरे किए गए वादों को लेकर जनता के बीच जाएगी. तो वहीं विपक्षी दल को इस बात को और फायदा मिलेगा कि जो सत्ताधारी पार्टी ने वादा किया था और जिन वादों को पूरा नहीं कर पाई है. उन मुद्दों को लेकर कांग्रेस जनता के बीच जाएगी. ऐसे में विपक्षी दलों के पास 100 दिन में लोकायुक्त बनाना, भू-कानून का मुद्दा, मुफ्त बिजली, बेरोजगारी समेत जनता से जुड़े अन्य मुद्दे हावी होंगे.

सत्ताधारी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के क्या मुद्दे होंगे इसकी तैयारियां की जा रही हैं. लेकिन अभी फिलहाल साथ 2017 में जो घोषणा पत्र जारी किया गया था, उन सभी वादों को पूरा किया जा रहा है. हालांकि अभी तक 80 से 85 फीसदी वादों को पूरा किया जा चुका है. जिसे पूरा करने के बाद आगामी चुनाव के लिए मुद्दों को तैयार किया जाएगा. जिन मुद्दों को लेकर भाजपा जनता के दरवाजे पर जाएगी.

कांग्रेस के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है. क्योंकि आज प्रदेश भर में लाखों की संख्या में बेरोजगार युवा रोजगार की तलाश में है. इन सबके अतिरिक्त पलायन, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला उत्पीड़न, किसान समेत तमाम मुद्दे हैं लेकिन आगामी चुनाव में मुख्य रूप से बेरोजगारी और महंगाई मुद्दा अहम रहने वाला है. लिहाजा, कांग्रेस इन तमाम मुद्दों को लेकर जनता के बीच आएगी और भाजपा की पोल खोलेगी.

पढ़ें: भूस्खलन से ऋषिकेश-गंगोत्री NH-94 बंद, उफनती नदी से आवाजाही करने को मजबूर लोग

बता दें कि, उत्तराखंड राज्य में इन दिनों बेरोजगारी, ऊर्जा, भू-कानून, देवस्थानम बोर्ड, महंगाई समेत कई मुद्दे चर्चाओं में है. ऐसे में अभी राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान बनाने की कोशिश कर सकते हैं. सभी राजनीतिक दल आगामी चुनाव के दृष्टिगत अपने-अपने अहम मुद्दों को तैयार करने में जुट गई है, जिन मुद्दों को लेकर वह जनता के बीच जाएगी. ताकि चुनाव में जीत हासिल कर सके.

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