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नेता प्रतिपक्ष को लेकर हरदा और प्रीतम गुट में खींचतान, हाईकमान के छूटे पसीने - प्रीतम सिंह

उत्तराखंड में कांग्रेस किसे नेता प्रतिपक्ष (Uttarakhand Leader of Opposition) की जिम्मेदारी देगी, इसको लेकर कांग्रेस हाईकमान कोई निर्णय नहीं ले पाया. पिछली बैठक में विधायकों ने इसका फैसला सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है. लेकिन हरदा और प्रीतम गुट में जो शाह-मात का खेल चल रहा है, उसके बाद हाई कमान को नाम घोषित करने से पहले काफी सोचना पड़ा रहा है.

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Published : Jun 30, 2021, 10:18 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष (Uttarakhand Leader of Opposition) की कुर्सी किसे देगी, इसको लेकर पार्टी में माथापच्ची जारी है. बीते सोमवार को दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस (Uttarakhand Congress) विधायक मंडल दल की बैठक भी हुई थी, लेकिन उसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला था. आखिर में विधायक दल ने अपना फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया था. इस बैठक के तीन दिन बीते जाने के बाद भी सोनिया गांधी (sonia gandhi) किसी नाम का एलान नहीं कर पाई है. इससे साफ पता चलता है कि पार्टी के लिए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करना कितना मुश्किल है.

वहीं सुनने में ये भी आ रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के लिए हाई कमान वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) को लेकर राजी है, लेकिन यहां समस्या ये आ रही है कि प्रीतम सिंह चाहते हैं कि उनके नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद प्रदेश अध्यक्ष उनकी पसंद का बने. वहीं पार्टी सूत्रों की माने तो हरीश रावत (Harish Rawat) इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड: विधायक दल ने नेता प्रतिपक्ष का फैसला सोनिया पर छोड़ा

पार्टी सूत्रों की माने तो नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस एक बार फिर दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है. हरीश रावत और प्रीतम सिंह गुट के बीच खींचतान जारी है. चुनाव से पहले कांग्रेस हाई कमान गुटबाजी से बचना चहा रहा है. क्योंकि चुनाव से ठीक पहले यदि कोई गुट नाराज होता है तो उसका खामियाजा पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. यहीं कारण है कि हाई कामन इस पर अभीतक कोई फैसला नहीं ले पाया है.

जातिय और क्षेत्रिय संतुलन बैठना जरूरी

पार्टी सूत्रों से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक हाईकमान प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला कर चुकी है. प्रीतम सिंह के गढ़वाल मंडल से आते है और ठाकुर है. ऐसे में जातिय और क्षेत्रिय संतुलन को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष कोई ब्राह्मण और वो भी कुमाऊं मंडल से हो तभी तालमेल बैठ पाएगा. प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर पूर्व विधायक मनोज तिवारी, हेमेश खर्कवाल, प्रदेश महामंत्री भुवन कापड़ी और पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी में के किसी एक के नाम पर सहमति बनने की उम्मीद है.

पढ़ें- नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन, जातीय-क्षेत्रीय संतुलन साधने में लगा कांग्रेस हाईकमान

यहां पर फंसा पेंच

दरअसल, 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी दी जानी है. ऐसे में हरदा जोर दे रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष उनकी पसंद से तय किया जाए. वहीं प्रीतम सिंह प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़कर नेता प्रतिपक्ष बनने को तो तैयार हैं. लेकिन वे भी प्रदेश अध्यक्ष अपनी पसंद का चाहते हैं. इसके लिए हरदा तैयार नहीं है. कांग्रेस हाई कमान के सामने सबसे बड़ा पेंच यहीं फंस रहा है कि वो किसी की पसंद को माने और किसी की नहीं. हाईकमान दोनों गुटों को साधने में लगा हुआ है.

बता दें कि उत्तराखंड में कांग्रेस के पास इस समय 10 विधायक है. 2017 में कांग्रेस ने 70 में 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी. तब विधानमंडल दल की नेता हल्द्वानी विधायक इंदिरा हृदयेश को बनाया गया था. हाल में उनका निधन हो गया. इसके बाद से उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली है.

देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष (Uttarakhand Leader of Opposition) की कुर्सी किसे देगी, इसको लेकर पार्टी में माथापच्ची जारी है. बीते सोमवार को दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस (Uttarakhand Congress) विधायक मंडल दल की बैठक भी हुई थी, लेकिन उसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला था. आखिर में विधायक दल ने अपना फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया था. इस बैठक के तीन दिन बीते जाने के बाद भी सोनिया गांधी (sonia gandhi) किसी नाम का एलान नहीं कर पाई है. इससे साफ पता चलता है कि पार्टी के लिए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव करना कितना मुश्किल है.

वहीं सुनने में ये भी आ रहा है कि नेता प्रतिपक्ष के लिए हाई कमान वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह (Pritam Singh) को लेकर राजी है, लेकिन यहां समस्या ये आ रही है कि प्रीतम सिंह चाहते हैं कि उनके नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद प्रदेश अध्यक्ष उनकी पसंद का बने. वहीं पार्टी सूत्रों की माने तो हरीश रावत (Harish Rawat) इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड: विधायक दल ने नेता प्रतिपक्ष का फैसला सोनिया पर छोड़ा

पार्टी सूत्रों की माने तो नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस एक बार फिर दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है. हरीश रावत और प्रीतम सिंह गुट के बीच खींचतान जारी है. चुनाव से पहले कांग्रेस हाई कमान गुटबाजी से बचना चहा रहा है. क्योंकि चुनाव से ठीक पहले यदि कोई गुट नाराज होता है तो उसका खामियाजा पार्टी को 2022 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. यहीं कारण है कि हाई कामन इस पर अभीतक कोई फैसला नहीं ले पाया है.

जातिय और क्षेत्रिय संतुलन बैठना जरूरी

पार्टी सूत्रों से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक हाईकमान प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला कर चुकी है. प्रीतम सिंह के गढ़वाल मंडल से आते है और ठाकुर है. ऐसे में जातिय और क्षेत्रिय संतुलन को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष कोई ब्राह्मण और वो भी कुमाऊं मंडल से हो तभी तालमेल बैठ पाएगा. प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर पूर्व विधायक मनोज तिवारी, हेमेश खर्कवाल, प्रदेश महामंत्री भुवन कापड़ी और पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी में के किसी एक के नाम पर सहमति बनने की उम्मीद है.

पढ़ें- नेता प्रतिपक्ष के नाम पर मंथन, जातीय-क्षेत्रीय संतुलन साधने में लगा कांग्रेस हाईकमान

यहां पर फंसा पेंच

दरअसल, 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी दी जानी है. ऐसे में हरदा जोर दे रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष उनकी पसंद से तय किया जाए. वहीं प्रीतम सिंह प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़कर नेता प्रतिपक्ष बनने को तो तैयार हैं. लेकिन वे भी प्रदेश अध्यक्ष अपनी पसंद का चाहते हैं. इसके लिए हरदा तैयार नहीं है. कांग्रेस हाई कमान के सामने सबसे बड़ा पेंच यहीं फंस रहा है कि वो किसी की पसंद को माने और किसी की नहीं. हाईकमान दोनों गुटों को साधने में लगा हुआ है.

बता दें कि उत्तराखंड में कांग्रेस के पास इस समय 10 विधायक है. 2017 में कांग्रेस ने 70 में 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी. तब विधानमंडल दल की नेता हल्द्वानी विधायक इंदिरा हृदयेश को बनाया गया था. हाल में उनका निधन हो गया. इसके बाद से उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली है.

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