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कांग्रेस ने पंचायत चुनाव बिल में संशोधन को बताया अव्यवहारिक, जाएगी कोर्ट - कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष

उत्तराखंड विधानसभा में पंचायत राज कानून में किए गए व्यवहारिक संशोधनों के विरोध में कांग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया है. कांग्रेस का कहना है कि पंचायत राज कानून में संशोधनों से यह बात साफ हो गई है कि या तो इसको पेश करने से पहले सरकार ने कोई होमवर्क नहीं किया, या फिर सरकार ने बदनीयती के साथ यह संशोधन पारित करवाया है.

पंचायत राज कानून में संशोधन का विरोध
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Published : Jul 1, 2019, 11:41 AM IST

देहरादून: कांग्रेस ने पंचायत राज कानून में किए गए संशोधन को अव्यावहारिक करार दिया है. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि बेहतर होता कि सरकार पंचायत चुनाव लड़ने वाले इच्छुक लोगों को 2 साल का ग्रेस पीरियड देती, जिससे जो लोग पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक होते उन्हें 8वीं और 10वीं की शैक्षिक योग्यता हासिल करने का अवसर मिल जाता.

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि वर्तमान कानून में जिन व्यक्तियों की तीन संताने हैं, वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकता. ऐसे में इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने यह फैसला सदन में बिना बहस के पारित कर दिया, जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस कोर्ट दरवाजा खटखटाएगी.

बिष्ट का कहना है कि जब अनुभवी व्यक्ति इस बाध्यता के चलते पंचायतों में नहीं आएंगे तो नए लोगों को पुराने अनुभव बांटने का काम कौन करेगा? क्या राज्य सरकार ने ये इंश्योर कर लिया है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामान्य वर्ग के 10 से अधिक व्यक्ति और रिजर्व कैटेगरी के करीब 30 से 40 व्यक्ति ऐसे हैं, जो पंचायत चुनाव लड़ने में 8 से 10 पास की शैक्षिक योग्यता रखते हैं.

पंचायत राज कानून में संशोधन का विरोध

पढ़ें- आपातकाल ने की थी लोकतंत्र की हत्या, 40वीं बरसी पर वक्ताओं ने कही ये बात

उन्होंने कहा कि अगर सरकार को आठवीं और दसवीं की शैक्षिक योग्यता रखनी थी तो जरूरी था कि लोगों को 2 साल का ग्रेस पीरियड दिया जाता. ताकि, जो लोग पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक होते हैं. उन्हें यह क्वालिफिकेशन हासिल करने का अवसर मिल जाता. लेकिन सरकार ने सुर्खियां बटोरने के लिए ये तुगलकी फरमान जारी कर दिया. कांग्रेस पार्टी पंचायत प्रतिनिधि के रूप में इसका विरोध करेगी और अगर सरकार नहीं मानी तो न्यायालय की शरण में भी जाएगी.

क्या है नया पंचायत राज कानून?
दो से अधिक बच्चे होने पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी से वंचित करने वाला विधेयक सदन में पास हो गया था और सरकार ने इस शर्त को लागू करते हुए 300 दिन के ग्रेस पीरियड की उस व्यवस्था को भी खत्म कर दिया था जो नगर निकाय चुनाव के संबंध में दी गई थी. अब पंचायत चुनाव में आठवीं व दसवीं पास होने की शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए. इसके अलावा उस व्यक्ति की दो ही संताने होनी चाहिए, जो पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं.

देहरादून: कांग्रेस ने पंचायत राज कानून में किए गए संशोधन को अव्यावहारिक करार दिया है. मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि बेहतर होता कि सरकार पंचायत चुनाव लड़ने वाले इच्छुक लोगों को 2 साल का ग्रेस पीरियड देती, जिससे जो लोग पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक होते उन्हें 8वीं और 10वीं की शैक्षिक योग्यता हासिल करने का अवसर मिल जाता.

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि वर्तमान कानून में जिन व्यक्तियों की तीन संताने हैं, वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकता. ऐसे में इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने यह फैसला सदन में बिना बहस के पारित कर दिया, जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर जरूरत पड़ी तो कांग्रेस कोर्ट दरवाजा खटखटाएगी.

बिष्ट का कहना है कि जब अनुभवी व्यक्ति इस बाध्यता के चलते पंचायतों में नहीं आएंगे तो नए लोगों को पुराने अनुभव बांटने का काम कौन करेगा? क्या राज्य सरकार ने ये इंश्योर कर लिया है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामान्य वर्ग के 10 से अधिक व्यक्ति और रिजर्व कैटेगरी के करीब 30 से 40 व्यक्ति ऐसे हैं, जो पंचायत चुनाव लड़ने में 8 से 10 पास की शैक्षिक योग्यता रखते हैं.

पंचायत राज कानून में संशोधन का विरोध

पढ़ें- आपातकाल ने की थी लोकतंत्र की हत्या, 40वीं बरसी पर वक्ताओं ने कही ये बात

उन्होंने कहा कि अगर सरकार को आठवीं और दसवीं की शैक्षिक योग्यता रखनी थी तो जरूरी था कि लोगों को 2 साल का ग्रेस पीरियड दिया जाता. ताकि, जो लोग पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक होते हैं. उन्हें यह क्वालिफिकेशन हासिल करने का अवसर मिल जाता. लेकिन सरकार ने सुर्खियां बटोरने के लिए ये तुगलकी फरमान जारी कर दिया. कांग्रेस पार्टी पंचायत प्रतिनिधि के रूप में इसका विरोध करेगी और अगर सरकार नहीं मानी तो न्यायालय की शरण में भी जाएगी.

क्या है नया पंचायत राज कानून?
दो से अधिक बच्चे होने पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी से वंचित करने वाला विधेयक सदन में पास हो गया था और सरकार ने इस शर्त को लागू करते हुए 300 दिन के ग्रेस पीरियड की उस व्यवस्था को भी खत्म कर दिया था जो नगर निकाय चुनाव के संबंध में दी गई थी. अब पंचायत चुनाव में आठवीं व दसवीं पास होने की शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए. इसके अलावा उस व्यक्ति की दो ही संताने होनी चाहिए, जो पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं.

Intro: उत्तराखंड विधानसभा में पंचायत राज कानून में किए गए और व्यवहारिक संशोधनों के विरोध में विपक्षी पार्टी कांग्रेस के स्वर मुखर हो गए हैं, कांग्रेस का पार्टी का कहना है कि पंचायत राज कानून में संशोधनों से यह बात साफ हो गई है कि या तो इनको पेश करने से पहले सरकार ने कोई होमवर्क नहीं किया था या फिर साजिश सरकार ने बदनीयती के साथ यह संशोधन पारित करवाया है।
summary- कांग्रेस पार्टी ने सरकार द्वारा पंचायत राज कानून में किए गए संशोधनों को अव्यावहारिक बताया है, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का कहना है कि बेहतर होता कि सरकार पंचायत चुनाव लड़ने वाले इच्छुक लोगों को 2 साल का ग्रेस पीरियड देती ताकि जो लोग पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक होते उन्हें 8वीं और 10वी की शैक्षिक योग्यता हांसिल करने का अवसर मिल जाता। आज जिन व्यक्तियों की तीन संताने हैं वो पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकता ऐसे में इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे,सरकार ने ये फैसला सदन में बगैर बहस के पारित कर दिया, जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है और यदि आवश्यकता पड़ी तो कांग्रेस न्यायालय की शरण में भी जा सकती है।


Body:इस संबंध में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि सरकार का यह फैसला पूरी तरह से अव्यावहारिक है क्योंकि इसी राज्य में 2004 में नगर निकाय एक्ट में संशोधन करके दो से अधिक संतान वाले व्यक्ति पर चुनाव लड़ने से रोक लगने वाला फैसला हुआ था उसमें एक व्यवहारिकता यह थी कि जिस दिन कानून लागू किया था उसके 300 दिन के भीतर जिस व्यक्ति की तीसरी संतान हुई वो व्यक्ति चुनाव लड़ सकता था और जिस व्यक्ति की तीसरी संतान तीन सौ दिन बाद हुई ,उस व्यक्ति पर चुनाव लड़ने की रोक लगाई गई थी। मगर इस मामले में सरकार ने सदन में बगैर बहस के जो निर्णय लिया वह अव्यावहारिक है क्योंकि आज जिस व्यक्ति की तीन संताने हैं वह चुनाव नहीं लड़ सकता है ऐसे में स्थित दुष्परिणाम पंचायत चुनावों को भुगतने पड़ेंगे। जब अनुभवी व्यक्ति इस बाध्यता के चलते पंचायतों में नहीं आएंगे तो नए लोगों को पुराने अनुभव बांटने का काम काम कौन करेगा? क्या राज्य सरकार ने ये इंश्योर कर लिया है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में सामान्य वर्ग के 10 से अधिक व्यक्ति और रिजर्व कैटेगरी के करीब 30 से 40 व्यक्ति ऐसे हैं जो पंचायत चुनाव लड़ने में 8 से 10 पास की शैक्षिक योग्यता रखते हैं। अगर सरकार को आठवीं और दसवीं की शैक्षिक योग्यता रखनी थी तो जरूरी था कि लोगों को 2 साल का ग्रेस पीरियड दिया जाता। ताकि जो लोग पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक होते हैं उन्हें यह क्वालिफिकेशन हासिल करने का अवसर मिल जाता। लेकिन सरकार ने सुर्खियां बटोरने के लिए ये तुगलकी फरमान जारी कर दिया कांग्रेस पार्टी पंचायत प्रतिनिधि के रूप में इसका विरोध करेगी और यदि सरकार नहीं मानी तो न्यायालय की शरण मे भी जाएगी।
बाईट-जोत सिंह बिष्ट, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष

पंचायत राज कानून में किए गए संशोधन का विरोध कर रही कांग्रेस पार्टी के सवाल पर उत्तराखंड के विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने साफ किया है कि उनके समक्ष विधानसभा में यह विधेयक आया था तो इस पर डिबेट होनी चाहिए थी और यदि यह संशोधन वहां से पारित हुआ है, तो यह राज्यपाल के पास जाएगा उसके बाद पंचायत राज एक्ट कानून में संशोधन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध करने का अधिकार है और यही लोकतंत्र की खूबसूरती भी है, लेकिन इसका रास्ता अवश्य निकलेगा। जिस प्रकार से किसी भी विधानसभा के भीतर कोई प्रस्ताव या विधायक आता है तो उस पर अवश्य डिबेट होनी चाहिए। यदि सार्थक डिबेट होती है तो उसका निष्कर्ष जरूर निकलता है , और निकलना भी चाहिए।

बाईट- प्रेम चंद्र अग्रवाल, विधानसभा अध्यक्ष


Conclusion: दरअसल दो से अधिक बच्चे होने पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी से वंचित करने वाला विधेयक सदन में पास हो गया था, और सरकार ने इस शर्त को लागू करते हुए 300 दिन के ग्रेस पीरियड की उस व्यवस्था को भी खत्म कर दिया था जो नगर निकाय चुनाव के संबंध में दी गई थी। अप पंचायत चुनाव में आठवीं व दसवीं पास होने की शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए, इसके अलावा उस व्यक्ति की दो ही संताने होनी चाहिए जो पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने सरकार के इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि सरकार ने पंचायत को ही प्रयोगशाला क्यों बनाया है, जबकि देश की संसद और राज्य की विधानसभाओं में 11 संताने होने के बावजूद एमपी, एमएलए बन सकते हैं
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