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कांग्रेस ने संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने की साजिश का लगाया आरोप, भाजपा के खिलाफ खोला मोर्चा - Uttarakhand government

Uttarakhand Sanskrit College संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है. जिसका अध्ययन कर धर्माचार्य और आचार्य पूरे विश्व में सनातन का प्रचार करते हैं. लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी सरकार में संस्कृति महाविद्यालय हाशिये पर जाते दिखाई दे रहे हैं, जिसका कांग्रेस पुरजोर विरोध कर रही है.

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संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने के मामले में कांग्रेस मुखर
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 24, 2023, 6:48 AM IST

Updated : Oct 24, 2023, 9:55 AM IST

संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने को लेकर कांग्रेस मुखर

देहरादून: कांग्रेस पार्टी ने शासन पर संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने की साजिश का आरोप लगाया है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि हिंदुत्व की बात करने वाली भाजपा सरकार हिंदुत्व के मूल संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने का षड्यंत्र रच रही है. कांग्रेस ने बीते दिनों प्रदेश के संस्कृत शिक्षा सचिव की ओर से जारी शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि अब प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालय अपने को महाविद्यालय नहीं लिख पाएंगे और ना ही अपने यहां स्नातक के कोर्स करवा पाएंगे.

इसके अलावा अब यह विद्यालय केवल उत्तर मध्यमा और पूर्व मध्यमा के ही कोर्स संचालित कर सकेंगे. इतना ही नहीं इन विद्यालयों में संस्कृत महाविद्यालय के बोर्ड भी बदलने को कहा गया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि प्रदेश में संचालित संस्कृत महाविद्यालय भाजपा सरकार के रहमो करम पर नहीं चल रहे हैं. बल्कि इनमें से कुछ विद्यालय आजादी से पहले से संचालित होते आए हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर इन विद्यालयों में सरकार के सभी दिशा निर्देशों का पालन होता रहा है और इनको मान्यता भी सरकार के नियमों के तहत मिली है. उन्होंने सवाल उठाया कि उसके बावजूद बीच सत्र में यह तुगलकी फरमान आखिर क्यों जारी किया गया है.
पढ़ें-अमृतकाल: संस्कृत ने तोड़े जाति धर्म के बंधन, 70 साल पुराने इस महाविद्यालय में सब पढ़ रहे 'देव भाषा'

शीशपाल बिष्ट का कहना है कि इन विद्यालयों से निकलने वाले धर्माचार्य और आचार्य पूरे देश और दुनिया में सनातन का प्रचार करते हैं और सरकार उन्हीं पर हमला कर रही है. उन्होंने कहा कि इन विद्यालयों में सरकार ने चार बार पैनल बनाकर निरीक्षण करवाए, पूरे पैनल की रिपोर्ट संस्कृत महाविद्यालयों के पक्ष में आई. लेकिन सरकार के इस फरमान के बाद सैकड़ों शिक्षकों के ऊपर तलवार लटक गई है और इन विद्यालयों में अध्यनरत छात्रों का भविष्य अंधकार में हो गया है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि इसका सीधा अर्थ है कि सरकार संस्कृत महाविद्यालयों के साथ भेदभाव कर रही है और प्रबंधन को डराना चाहती है, जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है. वहीं कांग्रेस ने मांग की है कि तत्काल आदेश वापस लिया जाए और इन विद्यालयों के प्रतिनिधियों से बातचीत करके समस्या का समाधान निकाला जाए.

संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने को लेकर कांग्रेस मुखर

देहरादून: कांग्रेस पार्टी ने शासन पर संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने की साजिश का आरोप लगाया है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि हिंदुत्व की बात करने वाली भाजपा सरकार हिंदुत्व के मूल संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करने का षड्यंत्र रच रही है. कांग्रेस ने बीते दिनों प्रदेश के संस्कृत शिक्षा सचिव की ओर से जारी शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि अब प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालय अपने को महाविद्यालय नहीं लिख पाएंगे और ना ही अपने यहां स्नातक के कोर्स करवा पाएंगे.

इसके अलावा अब यह विद्यालय केवल उत्तर मध्यमा और पूर्व मध्यमा के ही कोर्स संचालित कर सकेंगे. इतना ही नहीं इन विद्यालयों में संस्कृत महाविद्यालय के बोर्ड भी बदलने को कहा गया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि प्रदेश में संचालित संस्कृत महाविद्यालय भाजपा सरकार के रहमो करम पर नहीं चल रहे हैं. बल्कि इनमें से कुछ विद्यालय आजादी से पहले से संचालित होते आए हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर इन विद्यालयों में सरकार के सभी दिशा निर्देशों का पालन होता रहा है और इनको मान्यता भी सरकार के नियमों के तहत मिली है. उन्होंने सवाल उठाया कि उसके बावजूद बीच सत्र में यह तुगलकी फरमान आखिर क्यों जारी किया गया है.
पढ़ें-अमृतकाल: संस्कृत ने तोड़े जाति धर्म के बंधन, 70 साल पुराने इस महाविद्यालय में सब पढ़ रहे 'देव भाषा'

शीशपाल बिष्ट का कहना है कि इन विद्यालयों से निकलने वाले धर्माचार्य और आचार्य पूरे देश और दुनिया में सनातन का प्रचार करते हैं और सरकार उन्हीं पर हमला कर रही है. उन्होंने कहा कि इन विद्यालयों में सरकार ने चार बार पैनल बनाकर निरीक्षण करवाए, पूरे पैनल की रिपोर्ट संस्कृत महाविद्यालयों के पक्ष में आई. लेकिन सरकार के इस फरमान के बाद सैकड़ों शिक्षकों के ऊपर तलवार लटक गई है और इन विद्यालयों में अध्यनरत छात्रों का भविष्य अंधकार में हो गया है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि इसका सीधा अर्थ है कि सरकार संस्कृत महाविद्यालयों के साथ भेदभाव कर रही है और प्रबंधन को डराना चाहती है, जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है. वहीं कांग्रेस ने मांग की है कि तत्काल आदेश वापस लिया जाए और इन विद्यालयों के प्रतिनिधियों से बातचीत करके समस्या का समाधान निकाला जाए.

Last Updated : Oct 24, 2023, 9:55 AM IST
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