देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सत्र का आज दूसरा दिन है. ऐसे में आज सदन में सबसे पहले शोक प्रस्ताव लाया गया और दिवंगत विधायक हरबंस कपूर को श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर मंत्रियों और विधायकों ने दिवंगत हरबंस कपूर के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करते हुए कहा कि हरबंस कपूर ने हमेशा ही लोकतांत्रिक मूल्यों को जिंदा रखा और उनका सौम्य व्यवहार ही था कि वह लगातार आठ बार विधायक चुने गए.
बता दें कि उत्तराखंड के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, कैबिनेट मंत्री और आठ बार विधायक रहे हरबंस कपूर का बीते दिसंबर को 76 साल की उम्र में निधन हो गया था. हरबंस कपूर ने 2017 में कैंट विधानसभा से चुनाव जीत था. ऐसे में आज उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन सदन में शोक प्रस्ताव लाया गया और दिवंगत विधायक हरबंस कपूर को श्रद्धांजलि दी गई.
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि हरबंस कपूर का राजनीतिक अनुभव किसी से छुपा हुआ नहीं है. लगातार आठ बार जनता ने उन्हें कैंट क्षेत्र की बागडोर सौंपी. हरबंस कपूर का सियासी व्यवहार और कुशलता उन्हें दूसरों से काफी अलग बनाती थी. सियासत की लंबी पारी की वजह से उनसे हर कोई उन्हें अच्छी तरह से जानता था. इस बात से ही उनकी शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है.
एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था जन्म: हरबंस कपूर का जन्म 1946 में उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत में एक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था. उनका परिवार भारत विभाजन के बाद देहरादून में बस गया था. हरबंस कपूर की प्रारंभिक शिक्षा शिक्षा सेंट जोसेफ अकादमी (देहरादून) में हुई। इसके बाद उन्होंने यहीं डीएवी पीजी कालेज से कानून में स्नातक किया था.
हरबंस कपूर का राजनीतिक करियर: हरबंस कपूर ने जमीनी स्तर के राजनेता के रूप में शुरुआत की. उन्हें 1985 में पहली हार मिली थी, जिसके बाद से ही वे कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं हारे. 1989 में देहरादून निर्वाचन क्षेत्र से 10वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा में शामिल हुए, उसके बाद 11वीं विधानसभा, 12वीं विधानसभा और 13वीं विधानसभा में शामिल हुए.
इतना ही नहीं उन्होंने 200 में अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भी अपनी जीत को बनाए रखा. इसके साथ ही स्थापना के बाद सभी चुनावों में अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. साल 2007 में उन्हें सर्वसम्मति से उत्तराखंड विधानसभा का अध्यक्ष भी चुना गया. वह उत्तराखंड बीजेपी के सबसे पुराने नेताओं में से एक थे. वहीं, 2017 में भी वह विधायक चुने गए थे. वहीं, हरबंस कूपर के निधन के बाद इस चुनाव में उनकी पत्नी सविता कूपर विधायक चुनी गई हैं.
पत्रकारिता के छात्रों से देखी कार्यवाही: वहीं, विधानसभा सत्र के दूसरे दिन उत्तरांचल विश्वविद्यालय देहरादून से जर्नलिस्म की पढ़ाई कर रहे 30 स्टूडेंट्स ने दर्शक दीर्घा में बैठकर सदन की कार्यवाही देखी. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सभी छात्र-छात्राओं से बात की. खंडूड़ी ने स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब भी दिए. विधानसभा अध्यक्ष ने बच्चों को प्रश्नकाल, शून्य काल एवं विभिन्न नियमों के बारे में जानकारी दी.