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गंभीर बीमारी से ग्रसित शिक्षकों को दिया जाएगा अनिवार्य रिटायरमेंट, शिक्षा मंत्री ने दिए निर्देश

अब उत्तराखंड में गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी. इसको लेकर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं. ऐसा करने से गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को 20 साल की सेवा के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से उनको पेंशन का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.

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Published : Aug 7, 2022, 7:52 PM IST

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शिक्षकों को दी जायेगी अनिवार्य रिटायरमेंट

देहरादून: शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत (Education Minister Dr Dhan Singh Rawat) ने एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत उन शिक्षकों और कार्मिकों को राहत देने की तैयारी है, जो गंभीर बीमारी के चलते सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो शिक्षक गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं और वह सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. साथ ही उनकी सेवाएं 20 साल से अधिक हो गई है तो उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति (compulsory retirement) दी जाए.

दरअसल, ऐसा करने से गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को 20 साल की सेवा के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से उनको पेंशन का लाभ (pension benefits) मिलना शुरू हो जाएगा. वही उस पद को नई नियुक्ति से भरा जाएगा. जिससे छात्रों की पढ़ाई को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है. उत्तराखंड में शिक्षकों के तबादलों के समय धारा 27 के तहत हजारों शिक्षक गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने को लेकर अपने तबादले लिए आवेदन करते हैं, लेकिन उनको तबादले की सौगात गंभीर बीमारी के चलते नहीं मिल पाती है.

गंभीर बीमारी से ग्रसित शिक्षकों को दिया जाएगा अनिवार्य रिटायरमेंट.

ये भी पढ़ें: 8 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार, हरिद्वार में जुटे कांवड़िये, श्यामपुर क्षेत्र में लगा जाम

शिक्षा मंत्री ने जो फॉर्मूला सुझाया है, वह गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों के लिए भी राहत देने वाला है. वहीं, जिन शिक्षकों की सेवाएं 20 साल से कम है, उनको भी अटैचमेंट या उनके घर के आसपास सेवाएं देने के निर्देश शिक्षा मंत्री ने दिए हैं. प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बंदना गर्ब्याल ने कहा पहले भी इस तरीके के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन फिर से आदेश जारी किए जा रहे हैं. ऐसे शिक्षकों और कार्मिकों को चिन्हित किया जाएगा, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं.

कुल मिलाकर देखें तो शिक्षा मंत्री का यह फॉर्मूला वास्तव में सराहनीय है. क्योंकि इससे जहां गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से वह पेंशन पाकर अपना उपचार और देखभाल ठीक से करा सकते हैं. वहीं, उनके पद खाली होने से नई नियुक्ति से छात्रों को पढ़ाई में हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है. ऐसे में देखना ही होगा कि आखिर कितनी जल्दी शिक्षा विभाग इस पर अमल करता है.

देहरादून: शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत (Education Minister Dr Dhan Singh Rawat) ने एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके तहत उन शिक्षकों और कार्मिकों को राहत देने की तैयारी है, जो गंभीर बीमारी के चलते सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो शिक्षक गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं और वह सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. साथ ही उनकी सेवाएं 20 साल से अधिक हो गई है तो उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति (compulsory retirement) दी जाए.

दरअसल, ऐसा करने से गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को 20 साल की सेवा के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से उनको पेंशन का लाभ (pension benefits) मिलना शुरू हो जाएगा. वही उस पद को नई नियुक्ति से भरा जाएगा. जिससे छात्रों की पढ़ाई को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है. उत्तराखंड में शिक्षकों के तबादलों के समय धारा 27 के तहत हजारों शिक्षक गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने को लेकर अपने तबादले लिए आवेदन करते हैं, लेकिन उनको तबादले की सौगात गंभीर बीमारी के चलते नहीं मिल पाती है.

गंभीर बीमारी से ग्रसित शिक्षकों को दिया जाएगा अनिवार्य रिटायरमेंट.

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शिक्षा मंत्री ने जो फॉर्मूला सुझाया है, वह गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों के लिए भी राहत देने वाला है. वहीं, जिन शिक्षकों की सेवाएं 20 साल से कम है, उनको भी अटैचमेंट या उनके घर के आसपास सेवाएं देने के निर्देश शिक्षा मंत्री ने दिए हैं. प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बंदना गर्ब्याल ने कहा पहले भी इस तरीके के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन फिर से आदेश जारी किए जा रहे हैं. ऐसे शिक्षकों और कार्मिकों को चिन्हित किया जाएगा, जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं.

कुल मिलाकर देखें तो शिक्षा मंत्री का यह फॉर्मूला वास्तव में सराहनीय है. क्योंकि इससे जहां गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से वह पेंशन पाकर अपना उपचार और देखभाल ठीक से करा सकते हैं. वहीं, उनके पद खाली होने से नई नियुक्ति से छात्रों को पढ़ाई में हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है. ऐसे में देखना ही होगा कि आखिर कितनी जल्दी शिक्षा विभाग इस पर अमल करता है.

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