ऋषिकेश: 14 वर्ष बाद बनकर तैयार हुआ जानकी सेतु आज भी उद्घाटन की राह देख रहा है. दरअसल, मंत्रियों की हीला हवाली के चक्कर में कैलाश गेट के पास बनकर तैयार जानकी सेतु का उद्घाटन नहीं हो पा रहा है. हर बार तारीख आगे बढ़ाई जा रही है.
मुनी की रेती के पास गंगा के ऊपर स्वर्गाश्रम और मुनी की रेती को जोड़ने वाले जानकी सेतु को बनने में 14 वर्ष लग गए. नेताओं और मुख्यमंत्रियों के बदलने की वजह से इस पुल को बनाने में इतना समय लगा. हालांकि, आज यहां पुल बनकर तैयार है. पुल को बनाने में कुल कीमत 49 करोड़ 85 लाख रुपए लागत आई है. अब सवाल यह उठता है कि इतना पैसा खर्च कर पुल बनाने के बाद आखिरकार इसका शुभारंभ क्यों नहीं किया जा रहा है. स्थानीय लोग इसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं.
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बता दें कि जानकी सेतु बनकर तैयार होने के बाद लोक निर्माण विभाग अलग-अलग तारीखें बताकर उद्घाटन होने की बात कहता आया है. पहले इस पुल का शुभारंभ 10 नवंबर को तय किया गया था, फिर इसे बदलकर 12 नवंबर और अब दीपावली के बाद इसके शुभारंभ होने की बात कही जा रही है. इससे साफ जाहिर होता है कि मंत्रियों के चक्कर में इस पुल का शुभारंभ नहीं हो पा रहा है.
14 सालों का 'वनवास'
- कैलाश गेट के पास बनाया गया जानकी सेतु का निर्माण 2006 में शुरू होना था, जिस समय इस पुल को बनाने की स्वीकृति मिली थी. उस समय ₹15 करोड़ का एस्टीमेट पास किया गया था. लेकिन एनडी तिवारी की सरकार जाने के बाद मुख्यमंत्री बने बीसी खंडूडी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद इस पुल का काम लटक गया.
- एक बार फिर 2012 में कांग्रेसी सरकार बनी तो साल 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने एक बार फिर से जानकी सेतु को बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए रिवाइज बजट कर 33 करोड़ का बजट पास किया. हालांकि, कुछ समय तक कार्य होने के बाद एक बार फिर इस पुल का कार्य अधर में लटक गया, क्योंकि विजय बहुगुणा की कुर्सी जाने के बाद हरीश रावत ने कमान संभाली और इस ओर ध्यान नहीं दिया.
- इस उठापटक के बाद अब वर्तमान में बनी भाजपा की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर ध्यान दिया और इसको बनाने के लिए एक बार फिर बजट को बढ़ाकर लगभग 49 करोड़ रुपए पास किया गया. जिसके बाद अब जानकी सेतु बनकर तैयार हुआ है.
जानकी सेतु शुरू होने के बाद ऋषिकेश के लोगों के साथ-साथ स्वर्गाश्रम और लक्ष्मण झूला के लोगों को भी काफी सहूलियत मिलेगी. इसके साथ ही कांवड़ मेले के दौरान लोगों को सबसे अधिक जाम की समस्या झेलनी पड़ती है. जिस से निजात मिलने की उम्मीद है. वहीं, पुल के बनने के बाद इसके दोनों तरफ लोगों को रोजगार भी मिलेगा.