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उत्तराखंड में कम्युनिटी रेडियो पर जोर, आपात स्थिति में सूचना तंत्र को बनाएगा मजबूत

देहरादून में आपदा प्रबंधन की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें सामुदायिक रेडियो को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया. साथ ही आपदा की स्थिति में संवेदनशील और अतिसंवेदनशील इलाकों में सूचना तंत्र मजबूत करने पर मंथन किया गया.

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Published : Nov 19, 2019, 11:25 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 11:48 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य को आपदा के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करता है. इसी कड़ी में राजधानी दून में आपदा प्रबंधन की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें सामुदायिक रेडियो को बढ़ावा देने पर विचार किया गया.

उत्तराखंड में कम्युनिटी रेडियो पर जोर.

दो दिवसीय इस कार्यशाला के जरिए राज्य और केंद्र सरकार की भूमिका भी सुनिश्चित की गई है. जिससे प्रदेश में हर संवेदनशील क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो लगाई जा सकें. साथ ही देश के विभिन्न संस्थानों से पहुंचे विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कार्यशाला में अपने विचार रखे.

ये भी पढ़ेंः इस बार 25-26 नवंबर को मनाई जाएगी मंगसीर की बग्वाल, श्रीराम से जुड़ी है मान्यता

इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि अतिसंवेदनशील इलाकों में सामुदायिक रेडियो लगाए जाने चाहिए. जिसमें स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जाए. साथ ही इस योजना के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान संबंधित विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी. ऐसे में आपदा की स्थिति में कम्युनिटी रेडियो के जरिए दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को जागरूक किया जा सकेगा.

विशेषज्ञों के मुताबिक, उत्तराखंड मे भारी वर्षा, लैंडस्लाइड, फ्लैश फ्लड होना आम है. ऐसे में काफी लोगों को जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में आखिर कैसे जान-माल की रक्षा की जाए? इसके लिए कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से लोगों को दुर्गम क्षेत्रों में जागरूक किया जा सकता है. साथ ही सामुदायिक रेडियो के जरिए आपदा जैसी घटनाओं की जानकारी समय और जल्दी मिल सकेगी. इतना ही नहीं आपदा की दशा में प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य भी आसानी से किए जा सकेंगे.

देहरादूनः उत्तराखंड राज्य को आपदा के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करता है. इसी कड़ी में राजधानी दून में आपदा प्रबंधन की ओर से दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें सामुदायिक रेडियो को बढ़ावा देने पर विचार किया गया.

उत्तराखंड में कम्युनिटी रेडियो पर जोर.

दो दिवसीय इस कार्यशाला के जरिए राज्य और केंद्र सरकार की भूमिका भी सुनिश्चित की गई है. जिससे प्रदेश में हर संवेदनशील क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो लगाई जा सकें. साथ ही देश के विभिन्न संस्थानों से पहुंचे विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कार्यशाला में अपने विचार रखे.

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इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि अतिसंवेदनशील इलाकों में सामुदायिक रेडियो लगाए जाने चाहिए. जिसमें स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जाए. साथ ही इस योजना के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान संबंधित विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी. ऐसे में आपदा की स्थिति में कम्युनिटी रेडियो के जरिए दुर्गम क्षेत्रों के लोगों को जागरूक किया जा सकेगा.

विशेषज्ञों के मुताबिक, उत्तराखंड मे भारी वर्षा, लैंडस्लाइड, फ्लैश फ्लड होना आम है. ऐसे में काफी लोगों को जान-माल का नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में आखिर कैसे जान-माल की रक्षा की जाए? इसके लिए कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से लोगों को दुर्गम क्षेत्रों में जागरूक किया जा सकता है. साथ ही सामुदायिक रेडियो के जरिए आपदा जैसी घटनाओं की जानकारी समय और जल्दी मिल सकेगी. इतना ही नहीं आपदा की दशा में प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य भी आसानी से किए जा सकेंगे.

Intro:उत्तराखंड आपदा के लिहाज से हमेशा से ही बेहद संवेदनशील रहा है इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करता है इसी कड़ी में आपदा प्रबंधन की ओर से देहरादून के लिए होटल में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।


Body:कार्यशाला में सामुदायिक रेडियो को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा प्रदेश सरकार ने सामुदायिक रेडियो पॉलिसी कैबिनेट में पारित की है, अब प्रदेश के अतिसंवेदनशील इलाकों में सामुदायिक रेडियो लगाए जायेंगे, इसके साथ ही स्थानीय लोगों को इसमें प्राथमिकता दी जाएगी और इस योजना के लिए आता विभाग से आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। इस कार्यशाला के जरिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार की भूमिका भी सुनिश्चित की गई है ताकि प्रदेश में हर संवेदनशील क्षेत्रों में सामुदायिक रेडियो लगाये जा सके। वहीं देश के विभिन्न संस्थानों से पहुंचे विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कार्यशाला में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।

बाईट-आंनद शर्मा, मौसम विभाग, दिल्ली

बाईट-डॉ जानकी अँधारिया,प्रोफेसर और डीन, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़


Conclusion:वहीं विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तराखंड मे भारी वर्षा, लैंडस्लाइड फ्लैश फ्लड, होना आम घटनाएं हैं। इससे काफी लोगों को जान माल का नुकसान उठाना पड़ता है ऐसे में आखिर कैसे जान माल की रक्षा की जाए इसके लिए कम्युनिटी रेडियो के माध्यम से लोगों को दुर्गम क्षेत्रों में जागरूक किया जा सकता है। सामुदायिक रेडियो के माध्यम से आपदा जैसी घटनाओं की जानकारी समय पर और जल्दी मिल जाएगी और आपदा की दशा मे प्रभावित क्षेत्रों पर राहत एवं बचाव कार्य आसानी से किए जा सकेंगे।
Last Updated : Nov 19, 2019, 11:48 PM IST
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