देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का रण संपन्न हो चुका है. 2022 के चुनाव में भाजपा ने बहुमत का जादूई आंकड़ा पार कर लिया है. भाजपा ने 47 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है. इसी के साथ उत्तराखंड में सरकार रिपीट न होने का मिथक भी टूट चुका है. पिछले 4 विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की जनता ने 2 बार कांग्रेस तो 2 बार भाजपा को सत्ता का चाबी सौंपी. लेकिन पहली बार भाजपा उत्तराखंड में रिपीट हो गई है. हालांकि, भाजपा का सीएम धामी की सीट गंवाने का मलाल जरूर है. इसी के साथ पिछले चुनाव के मुताबिक भी भाजपा को गढ़वाल-कुमाऊं में कुछ सीटों पर नुकसान हुआ है.
गढ़वाल मंडलः 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो गढ़वाल मंडल में भाजपा को 41 विधानसभा सीटों से में 34 पर कब्जा जमाया था. तो 2022 के चुनाव में 29 सीटें भाजपा के खाते में आई हैं. इसी तरह कांग्रेस ने 8 सीटों पर कब्जा किया है. जबकि 2017 के चुनाव में 6 सीटों खाते में गई थी. इसका मतलब कांग्रेस को गढ़वाल मंडल में फायदा हुआ है और भाजपा को नुकसान. चलिए अब आपको बताते हैं कि गढ़वाल मंडल में भाजपा को किन सीटों पर नुकसान हुआ और कांग्रेस को फायदा.
देहरादून जिले में कांग्रेस सिमटीः गढ़वाल मंडल का देहरादून जिले में भाजपा को सिर्फ चकराता विधानसभा सीट पर नुकसान हुआ है. चकराता विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रीतम सिंह विजयी हुए हैं. जबकि 2017 के चुनाव में भी भाजपा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था.
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हरिद्वार जिले में BJP को नुकसान, फायदे में कांग्रेसः हरिद्वार जिले में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. 2017 के चुनाव में भाजपा को हरिद्वार की 11 सीटों में से 8 सीटें मिली थी. लेकिन इस बार 3 सीटें ही भाजपा की खाते में आईं. जो कि रुड़की, हरिद्वार शहर और रानीपुर भेल सीट है. जबकि कांग्रेस ने 2017 के चुनाव में 3 सीटें अपने खाते में डाली थीं. जबकि 2022 के चुनाव में 5 सीटें जीतकर परचम लहराया है. जो कि ज्वालापुर, भगवानपुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर और हरिद्वार ग्रामीण सीट है. इसी तरह जिले की 2 सीटें पर बीएसपी (मंगलौर और लक्सर सीट) और एक सीट पर निर्दलीय (खानपुर सीट) का कब्जा है.
पौड़ी जिले में भाजपा का क्लीन स्वीपः भाजपा ने पौड़ी जिले की सभी 6 सीटों पर क्लीन स्वीप किया है. पिछले 2017 के चुनाव में भी भाजपा ने सभी 6 सीटें जीती थी. यानी कह सकते हैं कि भाजपा ने 2017 की जीत को पौड़ी जिले में बरकरार रखा जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा नुकसान साबित हुआ है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल श्रीनगर सीट से हारे हैं, जोकि कांग्रेस के लिए पचाना टेढ़ी खीर बन गई है. भाजपा के धन सिंह रावत ने गणेश गोदियाल को पटखनी दी है.
टिहरी जिले में कांग्रेस को फायदाः टिहरी जिले की 6 सीटों में से भाजपा को एक सीट (प्रतापनगर) का नुकसान हुआ है. कांग्रेस को वही सीट फायदा के रूप में मिली है. प्रतापनगर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह नेगी ने जीत हासिल की है. विक्रम सिंह नेगी ने भाजपा के विजय सिंह पंवार उर्फ गुड्डू को हराया है. जबकि 2017 के चुनाव में भाजपा ने सभी 6 सीटों पर कमल खिलाया था
रुद्रप्रयाग जिले में कांग्रेस को नुकसानः रुद्रप्रयाग जिले में कुल 2 सीटों में कांग्रेस को एक सीट का नुकसान हुआ है. यहां दोनों सीट (केदारनाथ और रुद्रप्रयाग सीट) पर भाजपा का परचम लहराया है. जबकि 2017 के चुनाव में केदारनाथ सीट कांग्रेस के पाले में थी. मनोज रावत कांग्रेस से विधायक थे. जबकि इस बार मनोज रावत तीसरी नंबर पर रहे. भाजपा की शैला रानी रावत ने जीत हासिल की है.
चमोली जिले में भाजपा को नुकसानः चमोली जिले की 3 सीट (कर्णप्रयाग, थराली और बदरीनाथ) पर भाजपा को बदरीनाथ सीट का नुकसान हुआ है. बदरीनाथ सीट पर कांग्रेस को राजेंद्र सिंह भंडारी ने जीत हासिल की है. राजेंद्र भंडारी ने भाजपा के महेंद्र भट्ट को हराया है. महेंद्र भट्ट सीट से सीटिंग विधायक थे. 2017 के चुनाव में जिले की तीनों सीटें भाजपा के पास थी. जबकि इस बार कांग्रेस ने बदरीनाथ सीट जीतकर विधायकों की संख्या बढ़ाई है.
उत्तरकाशी जिले में नुकसान में रही BJP-कांग्रेसः उत्तरकाशी जिले की 3 सीट (गंगोत्री, यमुनोत्री औ पुरोला) में कांग्रेस और भाजपा को एक-एक सीट का नुकसान हुआ है. कांग्रेस ने पुरोला सीट को गंवा दिया है. 2017 के चुनाव में पुरोला सीट से कांग्रेस के राजकुमार विधायक चुने गए थे. हालांकि चुनाव के चंद दिनों पहले ही राजकुमार ने भाजपा की सदस्यता हासिल कर ली थी. हालांकि, राजकुमार ने 2022 का चुनाव नहीं लड़ा. पुरोला सीट से भाजपा के दुर्गश्वर लाल विजयी हुए हैं. जबकि यनुमोत्री सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल ने जीत की है. 2017 के चुनाव में यमुनोत्री सीट भाजपा के कब्जे में थी. सीट पर भाजपा के केदार सिंह रावत विधायक थे.
कुमाऊं मंडलः इसी तरह कुमाऊं मंडल की बात करें तो कुमाऊं की 29 सीटों में से भाजपा के खाते में 18 सीटें आई हैं. जबकि कांग्रेस को 11 सीटें मिली है. 2017 के चुनाव की बात करें तो भाजपा को कुमाऊं में 23 सीटें मिली थी. जबकि कांग्रेस को कुल 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. इसका मतलब कुमाऊं में कांग्रेस को 6 सीटों की बढ़त मिली है. जबकि भाजपा को 5 सीटों का नुकसान हुआ. सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को खटीमा सीट पर देखने को मिला, जहां भाजपा प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी सीएम रहते हुए हार गए.
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उधमसिंह नगर जिले में कांग्रेस ने बनाई बढ़तः कुमाऊं के सबसे बड़ा 9 सीटों वाला उधमसिंह नगर जिले में कांग्रेस ने ऊंची छलांग लगाई है. कांग्रेस ने जिले में रोलबैक करते हुए 5 विधायकों को विधानसभा पहुंचाने में कामयाब हासिल की है. जबकि, भाजपा 8 विधायकों में से सिर्फ 4 विधायकों पर सिमट गई है. कांग्रेस ने जिले में जसपुर, बाजपुर, किच्छा, नानकमत्ता और खटीमा सीट पर जीत हासिल की है. जबकि 2017 के चुनाव में सिर्फ जसपुर सीट पर ही कांग्रेस ने कब्जा किया था. जसपुर सीट आदेश सिंह चौहान ने परचम लहराया. खास बात ये है कि कांग्रेस ने पुष्कर सिंह धामी की सीट खटीमा पर भी कब्जा किया है. खटीमा से भुनव कापड़ी ने जीत हासिल की है.
नैनीताल जिले में भाजपा का कद बढ़ाः नैनीताल जिले से भाजपा के 5 विधायकों को विधानसभा पहुंचने का मौका मिला है. जबकि, 2017 के चुनाव में 4 विधायक की भाजपा की झोली में आए थे. कांग्रेस ने हल्द्वानी सीट पर 2017 की तरह 2022 में भी अपना कब्जा कायम रखा. हल्द्वानी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुमित हृदयेश ने जीत दर्ज की है. सुमित हृदयेश कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रहीं स्व. डॉ. इंदिरा हृदयेश के बेटे हैं. हल्द्वानी सीट पर लगातार 20 सालों से हृदयेश परिवार की परंपरागत सीट रही है. जबकि, भीमताल सीट पर भाजपा ने कब्जा किया है. 2017 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राम सिंह कैड़ा ने भीमताल सीट जीती थी. वहीं, चुनाव से पहले ही राम सिंह कैड़ा भाजपा में शामिल हुए थे. इस बार भी भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विजयी हुए हैं.
चंपावत जिले में कांग्रेस का करिश्माः चंपावत जिले की दो सीट (चंपावत और लोहाघाट) में से कांग्रेस ने लोहाघाट सीट भाजपा से छीन ली है. लोहाघाट सीट 2017 में भाजपा के पूरन सिंह फर्त्याल विधायक चुने गए थे. जबकि, इस बार कांग्रेस प्रत्याशी खुशाल सिंह अधिकारी विजयी हुए हैं. जबकि, चंपावत सीट पर भाजपा के कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने अपना कब्जा कायम रखा है.
अल्मोड़ा जिले में घटा भाजपा का वर्चस्वः अल्मोड़ा जिले की 6 सीटों में से भाजपा सिर्फ 4 सीटों (सल्ट, रानीखेत, जागेश्वर, सोमेश्वर) पर बढ़त बना पाई. जबकि 2017 के चुनाव में भी भाजपा ने 4 सीटें थी. हालांकि, इस चुनाव में भाजपा ने द्वाराहाट और अल्मोड़ा सीट गंवाई है जो 2017 में भाजपा के पास थी. द्वाराहाट सीट पर रहे विधायक महेश जीना विवादों में रहे. उनके ऊपर युवती द्वारा दुष्कर्म करने का आरोप भी लगाया गया है. यही कारण रहा कि इस बार द्वाराहाट सीट पर भाजपा ने महेश जीना को टिकट न देकर अनिल सिंह शाही को टिकट दिया लेकिन वह भी अपनी सीट नहीं निकाल पाए. द्वाराहाट सीट पर कांग्रेस के मदन सिंह बिष्ट ने जीत हासिल की है. दूसरी खास बात ये है कि कांग्रेस के पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल अपनी जागेश्वर सीट से हार गए. उन्हें भाजपा के मोहन सिंह ने पटखनी दी.
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पिथौरागढ़ जिले में कांग्रेस का कद बढ़ाः पिथौरागढ़ जिले में कांग्रेस का कद बढ़ा है. कांग्रेस जिले की 2 सीट (धारचूला और पिथौरागढ़) पर फतह कर गई है. धारचूला सीट कांग्रेस की सीट रही है. इस सीट से कांग्रेस के हरीश सिंह धामी लगातार जीतते आए हैं. जबकि पिथौरागढ़ सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता स्व. प्रकाश पंत कई बार विधायक चुने गए. लेकिन उनके निधन के बाद उनकी पत्नी चंद्रा पंत इस पर काबिज हुई लेकिन इस बार मयूख महर ने भाजपा का जीत का किला ध्वस्त किया है.
बागेश्वर में भाजपा का वर्चस्व कायमः बागेश्वर जिले की दोनों सीटों (बागेश्वर और कपकोट) पर भाजपा ने कब्जा जमाया है. पिछले चुनाव में भी दोनों सीटें बाजपा की पास थी. हालांकि, इस बार भाजपा ने कपकोट सीट से सीटिंग विधायक बलवंत सिंह भौर्याल का टिकट काटकर सुरेश गढ़िया को प्रत्याशी बनाया जो कि सही साबित हुआ है. वहीं, दूसरी सीट बागेश्वर से भाजपा के चंदन राम दास विजयी रहे.
कांग्रेस का बढ़ा वोट प्रतिशतः उत्तराखंड विधनसभा चुनाव में 65.37 प्रतिशत वोटिंग हुई. जबकि पिछले 2017 के चुनाव में 65.60 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. जिसमें से भाजपा को 46.50 प्रतिशत और कांग्रेस को 33.5 प्रतिशत वोट पड़े थे. जबकि, इस चुनाव में भाजपा को 44.34 प्रतिशत और कांग्रेस को 37.91 प्रतिशत वोट पड़े. यानी साफ के है कि 2017 के मुकाबले 2022 में प्रदेश में भाजपा का वोट प्रतिशत घटा है जबकि कांग्रेस ने बढ़त बनाई है.