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उत्तराखंड: कांग्रेस से नहीं, 'अपनों' से परेशान बीजेपी

बीजेपी पार्टी भले ही कांग्रेस पार्टी को हराकर जीत दर्ज कर रही हो. लेकिन, बीजेपी के सामने सबसे बड़ी मुसीबत कांग्रेस न होकर अपनी ही पार्टी के बागी नेता हैं.

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कांग्रेस से नहीं, 'अपनों' से परेशान बीजेपी.
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Published : Nov 28, 2019, 5:59 PM IST

देहरादून: बीजेपी की रणनीति के सामने पस्त कांग्रेस एक के बाद एक चुनावी हार झेल रही है. वहीं, बीजेपी के सामने अब नई चुनौती अपनी ही पार्टियों के बागियों की आन खड़ी है. हाल ही में हुए निकाय और पंचायतों चुनाव में इस तरह की चीजें देखने को मिली. वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस को बीजेपी के सामने न टिक पाने वाली पार्टी बताया.

गौरतलब है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने उत्तराखंड में सभी पांचों सीटों पर जीत हासिल की. इसके बाद भाजपा का जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा. भाजपा ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सभी सीटें जीतकर इतिहास रचा. हालांकि अब जीत के सिलसिले के बीच कांग्रेस भले ही चुनौती ना बन पा रही हो, लेकिन पार्टी के लिए अपनों ने ही मुसीबतें खड़ी कर दी है.

कांग्रेस से नहीं, 'अपनों' से परेशान बीजेपी.

ये भी पढ़ें: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट: दून में सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू, जाम लगाने वालों पर होगी कार्रवाई

कमोबेश यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी देखने को मिली. नतीजतन भाजपा को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. वहीं, कई सीटों पर बागियों ने कब्जा कर पार्टी के लिए ही चुनौती खड़ी कर दी. रुड़की नगर निगम चुनाव में भाजपा के बागी की मेयर पद पर जीत ने इसको साबित भी किया है. इस मामले पर बोलते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि भाजपा में बगावत जैसी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन ये बात ठीक है कि कांग्रेस उत्तराखंड में बेहद कमजोर हो चुकी है वो दूर-दूर तक कहीं भी सामने नहीं खड़ी दिखाई देती है.

खास बात ये है कि पार्टी पिछले कुछ चुनाव में अंदरूनी गुटबाजी से बेहद ज्यादा प्रभावित दिखी है. यही नहीं निकाय चुनाव के दौरान बगावत के लिए पार्टी को कई नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखाना पड़ा है. यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी रही जब पार्टी ने कई सूचियां जारी कर बगावत करने वालों को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. पार्टी की तरफ से भले ही इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के रूप में देखा गया हो, लेकिन ये बात पार्टी भी जानती है कि बढ़ते बगावत के मामलों से पार्टी कमजोर हुई है.

देहरादून: बीजेपी की रणनीति के सामने पस्त कांग्रेस एक के बाद एक चुनावी हार झेल रही है. वहीं, बीजेपी के सामने अब नई चुनौती अपनी ही पार्टियों के बागियों की आन खड़ी है. हाल ही में हुए निकाय और पंचायतों चुनाव में इस तरह की चीजें देखने को मिली. वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस को बीजेपी के सामने न टिक पाने वाली पार्टी बताया.

गौरतलब है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने उत्तराखंड में सभी पांचों सीटों पर जीत हासिल की. इसके बाद भाजपा का जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा. भाजपा ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सभी सीटें जीतकर इतिहास रचा. हालांकि अब जीत के सिलसिले के बीच कांग्रेस भले ही चुनौती ना बन पा रही हो, लेकिन पार्टी के लिए अपनों ने ही मुसीबतें खड़ी कर दी है.

कांग्रेस से नहीं, 'अपनों' से परेशान बीजेपी.

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कमोबेश यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी देखने को मिली. नतीजतन भाजपा को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. वहीं, कई सीटों पर बागियों ने कब्जा कर पार्टी के लिए ही चुनौती खड़ी कर दी. रुड़की नगर निगम चुनाव में भाजपा के बागी की मेयर पद पर जीत ने इसको साबित भी किया है. इस मामले पर बोलते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि भाजपा में बगावत जैसी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन ये बात ठीक है कि कांग्रेस उत्तराखंड में बेहद कमजोर हो चुकी है वो दूर-दूर तक कहीं भी सामने नहीं खड़ी दिखाई देती है.

खास बात ये है कि पार्टी पिछले कुछ चुनाव में अंदरूनी गुटबाजी से बेहद ज्यादा प्रभावित दिखी है. यही नहीं निकाय चुनाव के दौरान बगावत के लिए पार्टी को कई नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखाना पड़ा है. यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी रही जब पार्टी ने कई सूचियां जारी कर बगावत करने वालों को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. पार्टी की तरफ से भले ही इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के रूप में देखा गया हो, लेकिन ये बात पार्टी भी जानती है कि बढ़ते बगावत के मामलों से पार्टी कमजोर हुई है.

Intro:Summary-भाजपा की रणनीति के सामने पस्त कांग्रेस एक के बाद एक चुनावी हार झेल रही है.. हालत यह है कि पार्टी के सामने अब नई चुनौती कांग्रेस की जगह बागियों की आन खड़ी हुई है.. हाल ही में हुुुए निकाय और पंचायतों के चुनाव तो कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं.... 


Body:उत्तराखंड में निकाय चुनाव के दौरान पार्टी के अंदर बगावती रुख अपनाने वालों की एक लंबी फेहरिस्त सामने आई.. यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी दिखाई दी.. नतीजतन भाजपा को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा तो कई सीटों पर बागियों ने कब्जा कर पार्टी के लिए ही चुनौती खड़ी कर दी.. गौरतलब है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने उत्तराखंड में सभी पांचों सीटों पर जीत हासिल की.. इसके बाद भाजपा का जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा.. भाजपा ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सभी सीटें जीतकर इतिहास रचा.. हालांकि अब जीत के सिलसिले के बीच कांग्रेस भले ही चुनौती ना बन पा रही हो लेकिन पार्टी के लिए अपनों ने ही मुसीबतें खड़ी कर दी है.. रुड़की नगर निगम चुनाव में भाजपा के बागी की मेयर पद पर जीत ने इसको साबित भी किया है... इस मामले पर बोलते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भाजपा में बगावत जैसी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन यह बात ठीक है कि कांग्रेस उत्तराखंड में बेहद कमजोर हो चुकी है, और भाजपा के सामने दूर-दूर तक कहीं भी नहीं खड़ी दिखाई देती...


बाइट त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री उत्तराखंड


खास बात यह है कि पार्टी पिछले कुछ चुनाव में अंदरूनी गुटबाजी से बेहद ज्यादा प्रभावित दिखी है.. यही नहीं निकाय चुनाव के दौरान बगावत के लिए पार्टी को कई नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखाना पड़ा है.. यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी रही जब पार्टी ने कई सूचियां जारी कर बगावत करने वालों को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया.. पार्टी की तरफ से भले ही इसे अनुशासनात्मक कार्यवाही के रूप में देखा गया हो लेकिन यह बात पार्टी भी जानती है कि बढ़ते बगावत के मामलों से पार्टी कमजोर हुई है।।।




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