देहरादून: बीजेपी की रणनीति के सामने पस्त कांग्रेस एक के बाद एक चुनावी हार झेल रही है. वहीं, बीजेपी के सामने अब नई चुनौती अपनी ही पार्टियों के बागियों की आन खड़ी है. हाल ही में हुए निकाय और पंचायतों चुनाव में इस तरह की चीजें देखने को मिली. वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस को बीजेपी के सामने न टिक पाने वाली पार्टी बताया.
गौरतलब है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने उत्तराखंड में सभी पांचों सीटों पर जीत हासिल की. इसके बाद भाजपा का जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा. भाजपा ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सभी सीटें जीतकर इतिहास रचा. हालांकि अब जीत के सिलसिले के बीच कांग्रेस भले ही चुनौती ना बन पा रही हो, लेकिन पार्टी के लिए अपनों ने ही मुसीबतें खड़ी कर दी है.
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कमोबेश यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी देखने को मिली. नतीजतन भाजपा को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. वहीं, कई सीटों पर बागियों ने कब्जा कर पार्टी के लिए ही चुनौती खड़ी कर दी. रुड़की नगर निगम चुनाव में भाजपा के बागी की मेयर पद पर जीत ने इसको साबित भी किया है. इस मामले पर बोलते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि भाजपा में बगावत जैसी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन ये बात ठीक है कि कांग्रेस उत्तराखंड में बेहद कमजोर हो चुकी है वो दूर-दूर तक कहीं भी सामने नहीं खड़ी दिखाई देती है.
खास बात ये है कि पार्टी पिछले कुछ चुनाव में अंदरूनी गुटबाजी से बेहद ज्यादा प्रभावित दिखी है. यही नहीं निकाय चुनाव के दौरान बगावत के लिए पार्टी को कई नेताओं को बाहर का रास्ता भी दिखाना पड़ा है. यही स्थिति पंचायत चुनाव के दौरान भी रही जब पार्टी ने कई सूचियां जारी कर बगावत करने वालों को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया. पार्टी की तरफ से भले ही इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई के रूप में देखा गया हो, लेकिन ये बात पार्टी भी जानती है कि बढ़ते बगावत के मामलों से पार्टी कमजोर हुई है.