देहरादून: उत्तराखंड के नेताओं के बयान बीते कई दिनों से चर्चा का विषय बने हुए हैं. बयान भी ऐसे कि खुद डॉक्टर और वैज्ञानिक चिंता में हैं कि भला ये परमज्ञान नेताओं के पास आ कहां से रहा है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संसद भवन में जहां हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने बीते साल विज्ञान को चुनौती दे डाली थी तो वहीं वर्तमान सत्र में सांसद अजय भट्ट ने भी कुछ ऐसा ही बयान दे दिया. इन सब बयानों को जनता भूलती लेकिन इससे पहले ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान ने सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स को एक और मौका दे दिया.
मुख्यमंत्री ने पिछले तीन दिनों में कुछ अजीबो-गरीब बयान दे डाले हैं. उन्होंने न केवल गाय को एकमात्र जानवर करार दिया जो ऑक्सीजन लेती और देती है. दूसरे बयान में उन्होंने ये तक कह दिया कि टीबी के मरीज अगर उत्तराखंड के जंगलों में चार से पांच घंटे सो लें या घूम लें तो उनकी बीमारी जड़ से ही खत्म हो जाती है.
हालांकि, ये कोई पहला मामला नहीं है जब सीएम ने इस तरह के बयान दिए हों. इससे पहले भी सीएम कई इस तरह के बयान दे चुके हैं. हम आपको बताते हैं कि कौन-कौन से बयान हैं जो चर्चाओं में रहे हैं.
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पहला बयान
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सोशल मीडिया टीम ने उनके फैन क्लब पेज पर बीते दिनों एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें सीएम ये कहते सुनाई दे रहे हैं कि गाय ही एक मात्र ऐसा जानवर है जो न केवल ऑक्सीजन लेता है बल्कि ऑक्सीजन छोड़ता भी है. सीएम के पेज पर जैसे ही ये वीडियो अपलोड हुआ इस पर प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं. सीएम ने ये बयान कब और कहां दिया ये तो साफ नहीं हो पाया है लेकिन ये वीडियो तेजी से उत्तराखंड में वायरल हो रहा है. सीएम के इस बयान में उनकी नासमझी साफ दिखाई दे रही थी. सीएम इस वीडियो में ये बात भी कह रहे हैं कि गाय के संपर्क में रहने से टीबी भी ठीक हो जाता है.
बयान की सच्चाई
सीएम के इस बयान के बाद हमारी टीम ने डॉक्टर से संपर्क किया और इस बयान के पीछे की सच्चाई जानी. पशु चिकित्सक महिमा गुप्ता ने सीएम के बयान को पूरी तरह से खारिज किया है. उनका कहना है कि गाय ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है ऐसा उनकी स्टडी में नहीं है. पशुओं के जानकार इस तरह की बातों को दरकिनार कर रहे हैं.
डॉ. महिमा ने कहा कि ये बयान हकीकत से परे है. इसके साथ ही गाय के सम्पर्क में आने से कोई बीमारी ठीक नहीं होती. उल्टे अगर गाय को टीबी है तो सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति को टीबी की संभावना है. मतलब साफ है कि सीएम का ये बयान पूरी तरह से गलत है.
दूसरा बयान
सीएम त्रिवेंद्र का ये कोई पहला बयान नहीं है. इससे पहले भी वो इस तरह के बयान दे चुके हैं. सीएम ने बीती 20 जुलाई को पंजाबी महासभा के कार्यक्रम में ये कह दिया था की सालों पहले टीबी के मरीज जंगलों में घूमकर अपनी टीबी ठीक कर लेते थे. सीएम ने ये भी कहा था कि चीड़ के जंगलों में अगर टीबी का मरीज घूम ले तो उसकी बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है.
सीएम के उल्टे-पुल्टे बोल
हालांकि, पहले भी कई बार सीएम की जुबान भी फिसल चुकी है. सीएम ने बीते साल मॉनसून में ये कह दिया था कि भगवान की कृपा से राज्य में बारिश से बहुत नुकसान हुआ है. इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव से पहले मीडिया से बात करते हुए सीएम ने ये भी कह दिया था कि एनडीए का नेतृत्व बेहद बुझा-बुझा सा है. ऐसा नहीं है सीएम त्रिवेंद्र ही इस मामले में बयानवीर है बल्कि उनके साथ सरकार में रह चुके विधायक और मौजूदा सांसद भी इस तरह के बयानों से सभी को हैरानी में डाल चुके हैं.
निशंक के बयान से मचा था हंगामा
बीते साल संसद में निशंक ने ये कहकर विज्ञान को चुनौती दे डाली थी कि सबसे पहले परमाणु परीक्षण महाभारत काल में हुआ था. इतना ही नहीं, सबसे पहले सर्जरी भी भगवन गणेश की हुई थी. रमेश पोखरियाल निशंक उस वक्त विज्ञान और ज्योतिष पर बात कर रहे थे.
पत्थर घिसने से नार्मल डिलीवरी
उधर, संसद के मौजूदा मानसून सत्र के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और उधमसिंह नगर-नैनीताल लोकसभा सीट से पहली बार सांसद बने अजय भट्ट ने भी हास्यापद बयान दे डाला है. उनका कहना है कि उत्तराखंड की एक नदी के पत्थर को गर्भवती महिला के पेट पर घिसने से नार्मल डिलीवरी हो जाती है इस बयान की भी लोगों ने खूब खिल्ली उड़ाई है.