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साल 2024 में आपदाओं से 'जख्मी' हुआ उत्तराखंड, 150 करोड़ से अधिक का नुकसान, जानें कितने लोगों की गई जान - UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER

सालभर आपदाओं की जद में रहा उत्तराखंड, उत्तरकाशी जिले में आपदा, गंगोत्री, यमुनोत्री में हाहाकार, केदारघाटी आपदा ने भी डराया

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
साल 2024 में आपदाओं से 'जख्मी' हुआ उत्तराखंड (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 23, 2024, 6:25 AM IST

देहरादून: दिसंबर के बीतते दिनों के साथ ही 2024 विदाई की ओर बढ़ रहा है. विदा होते 2024 के साथ कई ऐसी यादें हैं जो दिलों को झकजोर गई. ये सभी यादें आपदा के जख्मों की हैं. साल 2024 में बारिश, बादल फटना, लैंडस्लाइड जैसी कई घटनाएं हुई. जिसमें 82 लोगों की जान गई. साथ ही कई लोग घायल भी हुये. इसके साथ ही इन आपदाओं में प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.

2024 में अब तक 154 करोड़ का नुकसान, 600 करोड़ की राहत: उत्तराखंड में हर साल सैकड़ों लोग प्राकृतिक आपदाओं के चलते काल के गाल में समा जाते हैं. सैकड़ों करोड़ का नुकसान भी उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं में होता है. साल 2024 के शुरू से लेकर के अब आखरी तक की तमाम घटनाओं और उनसे जुड़े स्टैटिस्टिक्स पर नजर डालते हैं. अलग-अलग घटनाओं की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट (PDNA) रिपोर्ट के अनुसार अब तक 154 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया जा चुका है. जिसका आकलन भी जारी है. अब तक जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 के बीच में बांटी गई की आपदा राशि की बात करें तो उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अब तक 600 करोड़ रुपए प्रदेश के सभी जिलों में बांटे हैं. जिलाधिकारी के माध्यम से आपदा राहत राशि देने का काम युद्ध स्तर पर जारी है.

साल 2024 में आपदाओं से 'जख्मी' हुआ उत्तराखंड (ETV BHARAT)

सालभर आपदा की जद में रहा उत्तराखंड: आपदाओं के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील हिमालय राज्य है. यहां साल भर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं. साल 2024 में भी उत्तराखंड ने कई आपदाओं का सामना किया. प्राकृतिक घटनाओं के चलते 82 लोगों की जान गई. 28 लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं. प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा जान रुद्रप्रयाग जिले में गई. यहां 20 लोगों की मौत हुई.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
साल 2024 में आपदाओं से 'जख्मी' हुआ उत्तराखंड (ETV BHARAT)



उत्तरकाशी जिले में आपदा, गंगोत्री, यमुनोत्री में हाहाकार: उत्तरकाशी जिला इस बार मानसून सीजन की शुरुआत से ही आपदाओं से घिरा रहा. 15 जून से शुरू होने वाले मानसून सीजन में पहली आपदा 25 जुलाई की रात यमुनोत्री धाम से शुरू हुई. यहां 26 जुलाई की सुबह भयावह मंजर था. यमुनोत्री धाम में आई इस आपदा में कई घरों और मवेशियों का नुकसान पहुंंचा. आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के आंकलन में यमुनोत्री धाम में 18 करोड़ का नुकसान हुआ. इसी तरह से गंगोत्री में भी मानसून सीजन के दौरान 9 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. यही नहीं उत्तरकाशी जिले में एक बार फिर वरुणावत पर्वत ने भी लोगों को डराया. अगस्त महीने के आखिरी से शुरू हुए भूस्खलन ने सितंबर की शुरुआत तक उत्तराखंड सरकार के साथ ही आपदा प्रबंधन का ध्यान खींच लिया. तब वरुणावत पर्वत के दोबारा ट्रीटमेंट के लिए तकरीबन 5 करोड़ का बजट जारी किया गया.

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उत्तरकाशी, टिहरी में आपदा (ETV BHARAT)

टिहरी के गांवों में लैंडस्लाइड, एक्टिव आपदा प्रबंधन तंत्र: उत्तरकाशी से लगता टिहरी जिला भी साल 2024 में आपदा की जद में रहा. टिहरी जनपद बूढ़ा केदार आपदा इस साल की सबसे दर्दनाक आपदा रही. जुलाई महीने के आखिर में तकरीबन 24 से 27 जुलाई को टिहरी के घनसाली क्षेत्र में पड़ने वाले बूढ़ाकेदार क्षेत्र में लगातार आई एक के बाद एक आपदा ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया. इस दौरान उत्तराखंड आपदा प्रबंधन भी एक्टिव नजर आया. यहां जिलाधिकारी और आपदा प्रबंधन की वजह से बड़ा हादसा होने से रोका गया. सभी ने मिलकर एख पूरे गांव को घटना से 3 घंटे ही पहले खाली करवाया, जिससे बड़ा हादसा होते होते टला. इसके बाद कई दिनों तक ये क्षेत्र सुर्खियों में रहा. कई दिनों तक यहां रुक रुक कर भूस्खलन होता रहा. सीएम धामी खुद आपदा प्रभावितों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उत्तराखंड आपदा प्रबंधन ने तकरीबन 17 करोड़ के नुकसान का आकलन लगाया.

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आपदा के आंकड़े (ETV BHARAT)

केदारघाटी में याद आई 2013 की आपदा: इसके बाद आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों की बात करें को केदार घाटी भी इस साल इससे अधिक प्रभावित हुई. साल 2024 में जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह ने उत्तराखंड को बड़े जख्म दिए. जुलाई महीने की आखिरी सप्ताह में मानसून अपने चरम पर था. पूरे प्रदेश भर से बारिश, लैंडस्लाइड की घटनाओं की सूचना प्राप्त हो रही थी, लेकिन 31 जुलाई को आई एक सूचना ने एक बार फिर से 2013 की यादें ताजा कर दी. जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में जब मानसून अपने चरम पर था तो इस समय चारधाम यात्रा भी पीक पर चल रही थी.

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केदारघाटी आपदा (ETV BHARAT)

केदार घाटी में इस समय अलग-अलग जगह पर तकरीबन 15 से 20000 लोग केदारनाथ के लिए यात्रा कर रहे थे, लेकिन एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश के बाद 31 जुलाई सुबह 6 से 7 बजे के बीच में केदारनाथ पैदल मार्ग पर पड़ने वाले भीमबली में पांच जगहों पर लैंडस्लाइड हुआ. जिसने कई हजार यात्रियों की जान जोखिम में डाल दिया. यहां से आई तस्वीरें बेहद डरने वाली थी. आपदा प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान पूरी घाटी में तकरीबन 15000 यात्री अलग-अलग जगह पर मौजूद थे. तकरीबन 4 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना की भी मदद लेनी पड़ी. इस तरह से तकरीबन एक सप्ताह के रेस्क्यू अभियान में 15000 लोगों को घाटी से बाहर निकाल गया. आपदा प्रबंधन विभाग की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार यहां पर तकरीबन 48 करोड़ का नुकसान हुआ.

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वरुणावत पर्व त लैंडस्लाइड (ETV BHARAT)

कुमाऊं में भी बारिश से भारी नुकसान: - इसी तरह से मानसून सीजन के दौरान साल भर प्रदेश के कई अलग-अलग जगहों से भी इसी तरह की घटनाओं की जानकारी मिली. जुलाई और अगस्त महीने में उधम सिंह नगर और चंपावत जैसे अलग-अलग इलाकों में भारी नुकसान की खबरें आई. यहां अतिवृष्टि के चलते काफी नुकसान का अनुमान लगाया गया. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण PDMA रिपोर्ट के अनुसार उधम सिंह नगर में 21 करोड़ का नुकसान हुआ. गौला नदी से खेल विभाग के स्टेडियम को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए 36 करोड़ का आकलन किया गया.

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उत्तराखंड में आपदा की आफत (ETV BHARAT)


अलग-अलग घटनाओं में गई तकरीबन 600 लोगों की जान: साल 2024 में अगर अलग-अलग घटनाओं में हुई लोगों की मौतों की बात करें तो चारधाम यात्रा के दौरान 226 लोगों ने जान गंवाई. 15 जून से शुरू हुए मानसून सीजन के बाद अलग-अलग जगह पर हुई प्राकृतिक घटनाओं के चलते 82 लोगों की जान गई. 28 लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं. प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा जान रुद्रप्रयाग जिले में गई. यहां 20 लोगों की मौत हुई. साल भर में सड़क दुर्घटनाओं में 64 लोगों की जान गई. दो अभी भी मिसिंग बताए जा रहे हैं. इस तरह साल भर में अलग-अलग घटनाओं की बात करें तो यात्रा सीजन के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से और सड़क दुर्घटनाओं से लापता लोगों को मिलाकर कल 596 लोगों की जान गई है.

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आफत बनकर बरसा मानसून (ETV BHARAT)


साल 2024 में क्या सीखा, भविष्य की क्या है रणनीति: साल दर साल उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन में कई आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. बात चाहे पॉलिसी स्तर की हो या फिर आपदा के दौरान क्विक रिस्पांस की, सभी को धीरे धीपे बेहतर किया जा रहा है. रेस्क्यू तंत्र को मजबूत किया जा रहा है. साल 2013 आपदा के बाद आज 2024 के आपदा प्रबंधन तंत्र को देखा जाए तो कई बड़े बदलाव पॉलिसी और तकनीक के स्तर पर देखने को मिलते हैं.

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन बताते हैं सरकार आपदा प्रबंधन को लेकर के लगातार रिफॉर्म कर रही है. इस साल सबसे बड़ा बदलाव आपदा राहत राशि वितरण को लेकर के किया गया है. इसे त्वरित गति से पीड़ितों को दिया गया है. पहले इसमें काफी समय लगता था. तकनीकी तौर पर अगर बदलाव की बात की जाए तो आपदा प्रबंधन तंत्र ने इस बार अर्ली वॉर्निंग सिस्टम पर काफी काम किया है. इसके अलावा टिहरी बूढ़ा केदार में जिला प्रशासन की सूझबूझ ने गांव के सेकड़ों लोगों की जान त्वरित कार्रवाई से बचाई. भविष्य के रणनीतियों को लेकर के आपदा प्रबंधन तंत्र पिछले 10 से 15 सालों की आपदाओं पर एक विश्लेषण डाटा कलेक्ट कर रहा है. जिसका अध्यन किया जाएगा.

खबरें ये भी हैं खास:

देहरादून: दिसंबर के बीतते दिनों के साथ ही 2024 विदाई की ओर बढ़ रहा है. विदा होते 2024 के साथ कई ऐसी यादें हैं जो दिलों को झकजोर गई. ये सभी यादें आपदा के जख्मों की हैं. साल 2024 में बारिश, बादल फटना, लैंडस्लाइड जैसी कई घटनाएं हुई. जिसमें 82 लोगों की जान गई. साथ ही कई लोग घायल भी हुये. इसके साथ ही इन आपदाओं में प्रदेश का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.

2024 में अब तक 154 करोड़ का नुकसान, 600 करोड़ की राहत: उत्तराखंड में हर साल सैकड़ों लोग प्राकृतिक आपदाओं के चलते काल के गाल में समा जाते हैं. सैकड़ों करोड़ का नुकसान भी उत्तराखंड को प्राकृतिक आपदाओं में होता है. साल 2024 के शुरू से लेकर के अब आखरी तक की तमाम घटनाओं और उनसे जुड़े स्टैटिस्टिक्स पर नजर डालते हैं. अलग-अलग घटनाओं की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट (PDNA) रिपोर्ट के अनुसार अब तक 154 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया जा चुका है. जिसका आकलन भी जारी है. अब तक जनवरी 2024 से दिसंबर 2024 के बीच में बांटी गई की आपदा राशि की बात करें तो उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अब तक 600 करोड़ रुपए प्रदेश के सभी जिलों में बांटे हैं. जिलाधिकारी के माध्यम से आपदा राहत राशि देने का काम युद्ध स्तर पर जारी है.

साल 2024 में आपदाओं से 'जख्मी' हुआ उत्तराखंड (ETV BHARAT)

सालभर आपदा की जद में रहा उत्तराखंड: आपदाओं के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील हिमालय राज्य है. यहां साल भर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं. साल 2024 में भी उत्तराखंड ने कई आपदाओं का सामना किया. प्राकृतिक घटनाओं के चलते 82 लोगों की जान गई. 28 लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं. प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा जान रुद्रप्रयाग जिले में गई. यहां 20 लोगों की मौत हुई.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
साल 2024 में आपदाओं से 'जख्मी' हुआ उत्तराखंड (ETV BHARAT)



उत्तरकाशी जिले में आपदा, गंगोत्री, यमुनोत्री में हाहाकार: उत्तरकाशी जिला इस बार मानसून सीजन की शुरुआत से ही आपदाओं से घिरा रहा. 15 जून से शुरू होने वाले मानसून सीजन में पहली आपदा 25 जुलाई की रात यमुनोत्री धाम से शुरू हुई. यहां 26 जुलाई की सुबह भयावह मंजर था. यमुनोत्री धाम में आई इस आपदा में कई घरों और मवेशियों का नुकसान पहुंंचा. आपदा प्रबंधन के आंकड़ों के आंकलन में यमुनोत्री धाम में 18 करोड़ का नुकसान हुआ. इसी तरह से गंगोत्री में भी मानसून सीजन के दौरान 9 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. यही नहीं उत्तरकाशी जिले में एक बार फिर वरुणावत पर्वत ने भी लोगों को डराया. अगस्त महीने के आखिरी से शुरू हुए भूस्खलन ने सितंबर की शुरुआत तक उत्तराखंड सरकार के साथ ही आपदा प्रबंधन का ध्यान खींच लिया. तब वरुणावत पर्वत के दोबारा ट्रीटमेंट के लिए तकरीबन 5 करोड़ का बजट जारी किया गया.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
उत्तरकाशी, टिहरी में आपदा (ETV BHARAT)

टिहरी के गांवों में लैंडस्लाइड, एक्टिव आपदा प्रबंधन तंत्र: उत्तरकाशी से लगता टिहरी जिला भी साल 2024 में आपदा की जद में रहा. टिहरी जनपद बूढ़ा केदार आपदा इस साल की सबसे दर्दनाक आपदा रही. जुलाई महीने के आखिर में तकरीबन 24 से 27 जुलाई को टिहरी के घनसाली क्षेत्र में पड़ने वाले बूढ़ाकेदार क्षेत्र में लगातार आई एक के बाद एक आपदा ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया. इस दौरान उत्तराखंड आपदा प्रबंधन भी एक्टिव नजर आया. यहां जिलाधिकारी और आपदा प्रबंधन की वजह से बड़ा हादसा होने से रोका गया. सभी ने मिलकर एख पूरे गांव को घटना से 3 घंटे ही पहले खाली करवाया, जिससे बड़ा हादसा होते होते टला. इसके बाद कई दिनों तक ये क्षेत्र सुर्खियों में रहा. कई दिनों तक यहां रुक रुक कर भूस्खलन होता रहा. सीएम धामी खुद आपदा प्रभावितों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उत्तराखंड आपदा प्रबंधन ने तकरीबन 17 करोड़ के नुकसान का आकलन लगाया.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
आपदा के आंकड़े (ETV BHARAT)

केदारघाटी में याद आई 2013 की आपदा: इसके बाद आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों की बात करें को केदार घाटी भी इस साल इससे अधिक प्रभावित हुई. साल 2024 में जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह ने उत्तराखंड को बड़े जख्म दिए. जुलाई महीने की आखिरी सप्ताह में मानसून अपने चरम पर था. पूरे प्रदेश भर से बारिश, लैंडस्लाइड की घटनाओं की सूचना प्राप्त हो रही थी, लेकिन 31 जुलाई को आई एक सूचना ने एक बार फिर से 2013 की यादें ताजा कर दी. जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में जब मानसून अपने चरम पर था तो इस समय चारधाम यात्रा भी पीक पर चल रही थी.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
केदारघाटी आपदा (ETV BHARAT)

केदार घाटी में इस समय अलग-अलग जगह पर तकरीबन 15 से 20000 लोग केदारनाथ के लिए यात्रा कर रहे थे, लेकिन एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश के बाद 31 जुलाई सुबह 6 से 7 बजे के बीच में केदारनाथ पैदल मार्ग पर पड़ने वाले भीमबली में पांच जगहों पर लैंडस्लाइड हुआ. जिसने कई हजार यात्रियों की जान जोखिम में डाल दिया. यहां से आई तस्वीरें बेहद डरने वाली थी. आपदा प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान पूरी घाटी में तकरीबन 15000 यात्री अलग-अलग जगह पर मौजूद थे. तकरीबन 4 दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना की भी मदद लेनी पड़ी. इस तरह से तकरीबन एक सप्ताह के रेस्क्यू अभियान में 15000 लोगों को घाटी से बाहर निकाल गया. आपदा प्रबंधन विभाग की पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार यहां पर तकरीबन 48 करोड़ का नुकसान हुआ.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
वरुणावत पर्व त लैंडस्लाइड (ETV BHARAT)

कुमाऊं में भी बारिश से भारी नुकसान: - इसी तरह से मानसून सीजन के दौरान साल भर प्रदेश के कई अलग-अलग जगहों से भी इसी तरह की घटनाओं की जानकारी मिली. जुलाई और अगस्त महीने में उधम सिंह नगर और चंपावत जैसे अलग-अलग इलाकों में भारी नुकसान की खबरें आई. यहां अतिवृष्टि के चलते काफी नुकसान का अनुमान लगाया गया. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण PDMA रिपोर्ट के अनुसार उधम सिंह नगर में 21 करोड़ का नुकसान हुआ. गौला नदी से खेल विभाग के स्टेडियम को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए 36 करोड़ का आकलन किया गया.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
उत्तराखंड में आपदा की आफत (ETV BHARAT)


अलग-अलग घटनाओं में गई तकरीबन 600 लोगों की जान: साल 2024 में अगर अलग-अलग घटनाओं में हुई लोगों की मौतों की बात करें तो चारधाम यात्रा के दौरान 226 लोगों ने जान गंवाई. 15 जून से शुरू हुए मानसून सीजन के बाद अलग-अलग जगह पर हुई प्राकृतिक घटनाओं के चलते 82 लोगों की जान गई. 28 लोग अब तक लापता बताए जा रहे हैं. प्राकृतिक आपदाओं से सबसे ज्यादा जान रुद्रप्रयाग जिले में गई. यहां 20 लोगों की मौत हुई. साल भर में सड़क दुर्घटनाओं में 64 लोगों की जान गई. दो अभी भी मिसिंग बताए जा रहे हैं. इस तरह साल भर में अलग-अलग घटनाओं की बात करें तो यात्रा सीजन के दौरान प्राकृतिक आपदाओं से और सड़क दुर्घटनाओं से लापता लोगों को मिलाकर कल 596 लोगों की जान गई है.

UTTARAKHAND DISASTER YEAR ENDER
आफत बनकर बरसा मानसून (ETV BHARAT)


साल 2024 में क्या सीखा, भविष्य की क्या है रणनीति: साल दर साल उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन में कई आमूल चूल परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. बात चाहे पॉलिसी स्तर की हो या फिर आपदा के दौरान क्विक रिस्पांस की, सभी को धीरे धीपे बेहतर किया जा रहा है. रेस्क्यू तंत्र को मजबूत किया जा रहा है. साल 2013 आपदा के बाद आज 2024 के आपदा प्रबंधन तंत्र को देखा जाए तो कई बड़े बदलाव पॉलिसी और तकनीक के स्तर पर देखने को मिलते हैं.

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन बताते हैं सरकार आपदा प्रबंधन को लेकर के लगातार रिफॉर्म कर रही है. इस साल सबसे बड़ा बदलाव आपदा राहत राशि वितरण को लेकर के किया गया है. इसे त्वरित गति से पीड़ितों को दिया गया है. पहले इसमें काफी समय लगता था. तकनीकी तौर पर अगर बदलाव की बात की जाए तो आपदा प्रबंधन तंत्र ने इस बार अर्ली वॉर्निंग सिस्टम पर काफी काम किया है. इसके अलावा टिहरी बूढ़ा केदार में जिला प्रशासन की सूझबूझ ने गांव के सेकड़ों लोगों की जान त्वरित कार्रवाई से बचाई. भविष्य के रणनीतियों को लेकर के आपदा प्रबंधन तंत्र पिछले 10 से 15 सालों की आपदाओं पर एक विश्लेषण डाटा कलेक्ट कर रहा है. जिसका अध्यन किया जाएगा.

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