देहरादून: हाल ही में भारत की तरफ से जारी किए गये नए मानचित्र ने भारत और नेपाल के बीच कालापानी क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ा दिया है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कालापानी पर सख्त रुख अपनाया तो वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इसका खुलकर विरोध किया है.
भारत के नये नक्शे को लेकर अबतक केवल पाकिस्तान और चीन की तरफ से ही आपत्ति जताई जाती थी, लेकिन नए मानचित्र पर अब नेपाल ने भी आपत्ति जतानी शुरू कर दी है. नए मानचित्र में उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ में नेपाल बार्डर पर पड़ने वाले कालापानी इलाके को भारत का हिस्सा दिखाया गया है. जिस पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली आपत्ति दर्ज कराई है.
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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने भारत को कालापानी क्षेत्र से फौरन अपनी सेना हटाने के लिए कहा है. खास बात यह है कि सामरिक दृष्टि से भारत के लिए यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन की इस क्षेत्र में मौजूदगी भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. शायद यही कारण है कि भारत क्षेत्र पर अपना कब्जा नहीं खोना चाहता है.
हालांकि नेपाल के प्रधानमंत्री की तरफ से सख्त टिप्पणी किए जाने के बाद भारत की तरफ से बातचीत के जरिए इस मसले को हल करने की बात कही जा रही है. हालांकि इस मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एतराज जताया है. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि नेपाल की संस्कृति से हटकर कुछ एलिमेंट्स नेपाल में दाखिल हो गए हैं और नेपाल की तरफ से कालापानी को लेकर जो बयान दिया गया है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, जो हिस्सा भारत का है वह भारत में ही रहेगा. हालांकि, इस मसले को मित्र राष्ट्र नेपाल के साथ बैठकर सुलझाने की भी बात भी मुख्यमंत्री ने कही है.
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कालापानी पर विवाद क्या है?
- कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 35 वर्ग किलोमीटर जमीन है.
- यहां इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवान तैनात हैं.
- उत्तराखंड की नेपाल से 80.5 किलोमीटर सीमा लगती है और 344 किलोमीटर दूर चीन से काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी ही है.
- भारत ने इस नदी को भी नए नक्शे में शामिल किया है.
- 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई थी. तब काली नदी को पश्चिमी सीमा पर ईस्ट इंडिया और नेपाल के बीच रेखांकित किया गया था.
- 1962 में भारत और चीन में युद्ध हुआ तो भारतीय सेना ने कालापानी में चौकी बनाई.
- नेपाल का दावा है कि 1961 में यानी भारत-चीन युद्ध से पहले नेपाल ने यहां जनगणना करवाई थी और तब भारत ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी.
- नेपाल का कहना है कि कालापानी में भारत की मौजूदगी सुगौली संधि का उल्लंघन है.