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भारत का ही रहेगा कालापानी, नेपाल को CM त्रिवेंद्र की दो टूक - मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत

कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 35 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है. यहां ITBP के जवान तैनात हैं. नेपाल और भारत के बीच इस क्षेत्र को लेकर विवाद है.

कालापानी विवाद
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Published : Nov 18, 2019, 4:46 PM IST

Updated : Nov 18, 2019, 5:29 PM IST

देहरादून: हाल ही में भारत की तरफ से जारी किए गये नए मानचित्र ने भारत और नेपाल के बीच कालापानी क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ा दिया है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कालापानी पर सख्त रुख अपनाया तो वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इसका खुलकर विरोध किया है.

नेपाल को CM त्रिवेंद्र की दो टूक

भारत के नये नक्शे को लेकर अबतक केवल पाकिस्तान और चीन की तरफ से ही आपत्ति जताई जाती थी, लेकिन नए मानचित्र पर अब नेपाल ने भी आपत्ति जतानी शुरू कर दी है. नए मानचित्र में उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ में नेपाल बार्डर पर पड़ने वाले कालापानी इलाके को भारत का हिस्सा दिखाया गया है. जिस पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली आपत्ति दर्ज कराई है.

पढ़ें- फीस बढ़ोत्तरी मामला: धन सिंह रावत ने झाड़ा-पल्ला, केंद्रीय मंत्री को ठहराया जिम्मेदार

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने भारत को कालापानी क्षेत्र से फौरन अपनी सेना हटाने के लिए कहा है. खास बात यह है कि सामरिक दृष्टि से भारत के लिए यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन की इस क्षेत्र में मौजूदगी भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. शायद यही कारण है कि भारत क्षेत्र पर अपना कब्जा नहीं खोना चाहता है.

हालांकि नेपाल के प्रधानमंत्री की तरफ से सख्त टिप्पणी किए जाने के बाद भारत की तरफ से बातचीत के जरिए इस मसले को हल करने की बात कही जा रही है. हालांकि इस मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एतराज जताया है. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि नेपाल की संस्कृति से हटकर कुछ एलिमेंट्स नेपाल में दाखिल हो गए हैं और नेपाल की तरफ से कालापानी को लेकर जो बयान दिया गया है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, जो हिस्सा भारत का है वह भारत में ही रहेगा. हालांकि, इस मसले को मित्र राष्ट्र नेपाल के साथ बैठकर सुलझाने की भी बात भी मुख्यमंत्री ने कही है.

पढ़ें- रुड़की: चलती मालगाड़ी दो हिस्सों में बंटी, एक घंटे तक यातायात रहा बाधित

कालापानी पर विवाद क्या है?

  • कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 35 वर्ग किलोमीटर जमीन है.
  • यहां इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवान तैनात हैं.
  • उत्तराखंड की नेपाल से 80.5 किलोमीटर सीमा लगती है और 344 किलोमीटर दूर चीन से काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी ही है.
  • भारत ने इस नदी को भी नए नक्शे में शामिल किया है.
  • 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई थी. तब काली नदी को पश्चिमी सीमा पर ईस्ट इंडिया और नेपाल के बीच रेखांकित किया गया था.
  • 1962 में भारत और चीन में युद्ध हुआ तो भारतीय सेना ने कालापानी में चौकी बनाई.
  • नेपाल का दावा है कि 1961 में यानी भारत-चीन युद्ध से पहले नेपाल ने यहां जनगणना करवाई थी और तब भारत ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी.
  • नेपाल का कहना है कि कालापानी में भारत की मौजूदगी सुगौली संधि का उल्लंघन है.

देहरादून: हाल ही में भारत की तरफ से जारी किए गये नए मानचित्र ने भारत और नेपाल के बीच कालापानी क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ा दिया है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने कालापानी पर सख्त रुख अपनाया तो वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इसका खुलकर विरोध किया है.

नेपाल को CM त्रिवेंद्र की दो टूक

भारत के नये नक्शे को लेकर अबतक केवल पाकिस्तान और चीन की तरफ से ही आपत्ति जताई जाती थी, लेकिन नए मानचित्र पर अब नेपाल ने भी आपत्ति जतानी शुरू कर दी है. नए मानचित्र में उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ में नेपाल बार्डर पर पड़ने वाले कालापानी इलाके को भारत का हिस्सा दिखाया गया है. जिस पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली आपत्ति दर्ज कराई है.

पढ़ें- फीस बढ़ोत्तरी मामला: धन सिंह रावत ने झाड़ा-पल्ला, केंद्रीय मंत्री को ठहराया जिम्मेदार

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने भारत को कालापानी क्षेत्र से फौरन अपनी सेना हटाने के लिए कहा है. खास बात यह है कि सामरिक दृष्टि से भारत के लिए यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि चीन की इस क्षेत्र में मौजूदगी भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. शायद यही कारण है कि भारत क्षेत्र पर अपना कब्जा नहीं खोना चाहता है.

हालांकि नेपाल के प्रधानमंत्री की तरफ से सख्त टिप्पणी किए जाने के बाद भारत की तरफ से बातचीत के जरिए इस मसले को हल करने की बात कही जा रही है. हालांकि इस मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एतराज जताया है. सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि नेपाल की संस्कृति से हटकर कुछ एलिमेंट्स नेपाल में दाखिल हो गए हैं और नेपाल की तरफ से कालापानी को लेकर जो बयान दिया गया है वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, जो हिस्सा भारत का है वह भारत में ही रहेगा. हालांकि, इस मसले को मित्र राष्ट्र नेपाल के साथ बैठकर सुलझाने की भी बात भी मुख्यमंत्री ने कही है.

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कालापानी पर विवाद क्या है?

  • कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 35 वर्ग किलोमीटर जमीन है.
  • यहां इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) के जवान तैनात हैं.
  • उत्तराखंड की नेपाल से 80.5 किलोमीटर सीमा लगती है और 344 किलोमीटर दूर चीन से काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी ही है.
  • भारत ने इस नदी को भी नए नक्शे में शामिल किया है.
  • 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई थी. तब काली नदी को पश्चिमी सीमा पर ईस्ट इंडिया और नेपाल के बीच रेखांकित किया गया था.
  • 1962 में भारत और चीन में युद्ध हुआ तो भारतीय सेना ने कालापानी में चौकी बनाई.
  • नेपाल का दावा है कि 1961 में यानी भारत-चीन युद्ध से पहले नेपाल ने यहां जनगणना करवाई थी और तब भारत ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी.
  • नेपाल का कहना है कि कालापानी में भारत की मौजूदगी सुगौली संधि का उल्लंघन है.
Intro:summary- हाल ही में भारत की तरफ से जारी किए गए मानचित्र ने भारत और नेपाल के बीच कालापानी क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ा दिया है.. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने कालापानी पर सख्त रुख अपनाया तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर खुलकर विरोध किया है.. दरअसल कालापानी क्षेत्र को देश के नए मानचित्र में उत्तराखंड में दिखाया गया है।।


Body:भारत के नये मानचित्र को लेकर अब तक जहां पाकिस्तान और चाइना की तरफ से आपत्ति जताई गई थी, तो वही नेपाल की तरफ से भी अब इसको लेकर सख्त रुख दिखाया गया है.. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने क्षेत्र को नेपाल का बताते हुए भारत को इससे फौरन अपनी सेना हटाने के लिए कहा है.. खास बात यह है कि सामरिक दृष्टि से भारत के लिए यह क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है.. और चीन की इस क्षेत्र में मौजूदगी भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.. शायद यही कारण है कि भारत क्षेत्र पर अपना कब्जा नहीं खोना चाहेगा... हालांकि नेपाल के प्रधानमंत्री की तरफ से सख्त टिप्पणी किए जाने के बाद भारत की तरफ से बातचीत के जरिए इस मसले को हल करने की बात कही जा रही है... लेकिन क्षेत्र उत्तराखंड में होने के चलते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर अपना सख्त एतराज दर्ज किया है.. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि नेपाल की संस्कृति से हटकर कुछ एलिमेंट्स नेपाल में दाखिल हो गए हैं और नेपाल की तरफ से काला पानी को लेकर बयाना अरब बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं... जो हिस्सा भारत का है वह भारत में ही रहेगा हालांकि इस मसले को मित्र राष्ट्र नेपाल के साथ मिल बैठकर सुलझा ने की भी बात मुख्यमंत्री ने कही।।

बाइट त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री उत्तराखंड


Conclusion:
Last Updated : Nov 18, 2019, 5:29 PM IST
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