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सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सेना की ली जाएगी मदद: सीएम त्रिवेंद्र सिंह

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र नेलांग, बड़ाहोती, माणा पास समेत अन्य जो पास हैं, उनमें काफी आगे तक जाया जा सकता है. लिहाजा इन क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहनी चाहिए.

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सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन
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Published : Jan 25, 2020, 5:27 PM IST

देहरादूनः हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. जिसे देखते हुए अब प्रदेश सरकार राज्य के बॉर्डर क्षेत्रों में भी पर्यटन के जरिए पर्यटकों को लुभाने की तैयारी में है. जिससे प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्र में आवाजाही बना रहे और पर्यटक सुकून की तलाश में उत्तराखंड का रुख करें. वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि मामले को लेकर जल्द ही देश के रक्षामंत्री, सेना के अधिकारियों के साथ बैठक किया जाएगा. जिसमें सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही और पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा.

सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा.

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने में तमाम दिक्कतें आती हैं. जिसकी वजह से यहां पर्यटकों की आमद कम रहती है. वहीं, जब कोई भी पर्यटक इन सीमांत क्षेत्र में पहुंचता है तो उसे काफी सुकून मिलता है. जोकि महानगरों में नहीं मिल सकता. उन्होंने कहा कि अंतिम लक्ष्य सुख का ही होता है और कुछ पल सुख के निकल जाए तो सारे दु:ख भूल जाते हैं. लिहाजा, सुकून चाहने वाले लोग उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में आएं.

ये भी पढे़ंः पौड़ी: जिला पंचायत में चल रहा अनियमितताओं का खेल, हो सकती है SIT जांच

बॉर्डर एरिया में आवाजाही को रक्षा मंत्री से करेंगे बातः CM त्रिवेंद्र
सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि सेना अधिकारियों और रक्षा मंत्री से बात हुई है. जल्द ही रक्षा मंत्री, उत्तराखंड की सीमा क्षेत्र में तैनात रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. जिसमें सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा. सेना सैद्धांतिक रूप से इस बात पर सहमत है कि निषेध एरिया के दायरे को कम किया जा सकता है. जिससे सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहे.

साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र नेलांग, बड़ाहोती, माणा पास समेत अन्य जो पास हैं, उनमें काफी आगे तक जाया जा सकता है. लिहाजा, इन क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहनी चाहिए. इतना ही नहीं इन सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही नहीं होगी तो कारगिल जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. सरकार नहीं चाहती है कि यह स्थिति हो और यह नागरिक दायित्व भी है. प्रदेश का मुखिया होने के नाते ये उनकी बड़ी जिम्मेदारी भी है.

देहरादूनः हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. जिसे देखते हुए अब प्रदेश सरकार राज्य के बॉर्डर क्षेत्रों में भी पर्यटन के जरिए पर्यटकों को लुभाने की तैयारी में है. जिससे प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्र में आवाजाही बना रहे और पर्यटक सुकून की तलाश में उत्तराखंड का रुख करें. वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि मामले को लेकर जल्द ही देश के रक्षामंत्री, सेना के अधिकारियों के साथ बैठक किया जाएगा. जिसमें सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही और पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा.

सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा.

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने में तमाम दिक्कतें आती हैं. जिसकी वजह से यहां पर्यटकों की आमद कम रहती है. वहीं, जब कोई भी पर्यटक इन सीमांत क्षेत्र में पहुंचता है तो उसे काफी सुकून मिलता है. जोकि महानगरों में नहीं मिल सकता. उन्होंने कहा कि अंतिम लक्ष्य सुख का ही होता है और कुछ पल सुख के निकल जाए तो सारे दु:ख भूल जाते हैं. लिहाजा, सुकून चाहने वाले लोग उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में आएं.

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बॉर्डर एरिया में आवाजाही को रक्षा मंत्री से करेंगे बातः CM त्रिवेंद्र
सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि सेना अधिकारियों और रक्षा मंत्री से बात हुई है. जल्द ही रक्षा मंत्री, उत्तराखंड की सीमा क्षेत्र में तैनात रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. जिसमें सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा. सेना सैद्धांतिक रूप से इस बात पर सहमत है कि निषेध एरिया के दायरे को कम किया जा सकता है. जिससे सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहे.

साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र नेलांग, बड़ाहोती, माणा पास समेत अन्य जो पास हैं, उनमें काफी आगे तक जाया जा सकता है. लिहाजा, इन क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहनी चाहिए. इतना ही नहीं इन सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही नहीं होगी तो कारगिल जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. सरकार नहीं चाहती है कि यह स्थिति हो और यह नागरिक दायित्व भी है. प्रदेश का मुखिया होने के नाते ये उनकी बड़ी जिम्मेदारी भी है.

Intro:Ready To Air....

हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है इस दिशा में उत्तराखंड राज्य, प्रदेश  के बॉर्डर क्षेत्र में भी पर्यटकों को लुभाने की तैयारी में है। ताकि प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्र में आवाजाही बना रहे और पर्यटक सुकून की तलाश में उत्तराखंड के बॉर्डर क्षेत्र पहुंचे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस संबंध में जल्द ही  देश के रक्षामंत्री, सेना के अधिकारीयो के साथ बैठक करेंगे। जिसमें सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही और पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा।


Body:वही कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ाने में तमाम दिक्कतें हैं जिस वजह से चिंता करनी पड़ रही है लेकिन जब कोई भी पर्यटक, सीमांत क्षेत्र में पहुंचता है तो उसे बहुत सुकून मिलता है। जो इन महानगरों में नहीं मिल सकता। साथ ही बताया कि अंतिम लक्ष्य सुख का ही होता है और अगर कुछ पल सुख के निकल जाए तो पीछले सारे दुख भूल जाते हैं लिहाजा सुकून चाहने वाले उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में आएं।


बॉर्डर एरिया में आवाजाही को रक्षा मंत्री से करेंगे बात....

वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने बताया कि सेना अधिकारियों और रक्षा मंत्री से बात हुई है की जल्द ही रक्षा मंत्री, उत्तराखंड की सीमा क्षेत्र में तैनात रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। जिसमें सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा। और सेना सैद्धांतिक रूप से इस बात पर सहमत है की निषेध एरिया के दायरे को कम किया जा सकता है ताकि सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही बना रहे। 

साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र नेलांग, बड़ाहोती, माणा पास समेत अन्य जो पास हैं उनमें काफी आगे तक जाया जा सकता है लिहाजा इन क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहनी चाहिए। यही नहीं अगर सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही नहीं होगी तो कारगिल जैसी स्थिति उत्पन्न सकती है। लिहाजा सरकार चाहती है कि यह स्थिति ना हो यह नागरिक दायित्व भी है और प्रदेश का मुखिया होने के नाते ये उनकी बड़ी जिम्मेदारी भी है।




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