देहरादूनः हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. जिसे देखते हुए अब प्रदेश सरकार राज्य के बॉर्डर क्षेत्रों में भी पर्यटन के जरिए पर्यटकों को लुभाने की तैयारी में है. जिससे प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्र में आवाजाही बना रहे और पर्यटक सुकून की तलाश में उत्तराखंड का रुख करें. वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि मामले को लेकर जल्द ही देश के रक्षामंत्री, सेना के अधिकारियों के साथ बैठक किया जाएगा. जिसमें सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही और पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा.
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने में तमाम दिक्कतें आती हैं. जिसकी वजह से यहां पर्यटकों की आमद कम रहती है. वहीं, जब कोई भी पर्यटक इन सीमांत क्षेत्र में पहुंचता है तो उसे काफी सुकून मिलता है. जोकि महानगरों में नहीं मिल सकता. उन्होंने कहा कि अंतिम लक्ष्य सुख का ही होता है और कुछ पल सुख के निकल जाए तो सारे दु:ख भूल जाते हैं. लिहाजा, सुकून चाहने वाले लोग उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में आएं.
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बॉर्डर एरिया में आवाजाही को रक्षा मंत्री से करेंगे बातः CM त्रिवेंद्र
सीएम त्रिवेंद्र ने बताया कि सेना अधिकारियों और रक्षा मंत्री से बात हुई है. जल्द ही रक्षा मंत्री, उत्तराखंड की सीमा क्षेत्र में तैनात रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे. जिसमें सीमा क्षेत्रों में पर्यटन को लेकर रास्ता निकाला जाएगा. सेना सैद्धांतिक रूप से इस बात पर सहमत है कि निषेध एरिया के दायरे को कम किया जा सकता है. जिससे सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहे.
साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्र नेलांग, बड़ाहोती, माणा पास समेत अन्य जो पास हैं, उनमें काफी आगे तक जाया जा सकता है. लिहाजा, इन क्षेत्रों में आवाजाही बनी रहनी चाहिए. इतना ही नहीं इन सीमांत क्षेत्रों में आवाजाही नहीं होगी तो कारगिल जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. सरकार नहीं चाहती है कि यह स्थिति हो और यह नागरिक दायित्व भी है. प्रदेश का मुखिया होने के नाते ये उनकी बड़ी जिम्मेदारी भी है.