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उत्तराखंड में लागू हो सकता है NRC, CM त्रिवेंद्र ने दिए इस तरह के संकेत

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में एनआरसी लागू करने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि राज्य की सीमाएं दो देशों से मिलती हैं, इसलिए यहां एनआरसी लागू करने की जरुरत है.

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Published : Sep 16, 2019, 12:47 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 4:51 PM IST

ब्रेकिंग न्यूज

देहरादून: असम के बाद अब उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू करने पर विचार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बारे में पहले मंत्रिमंडल से चर्चा करेंगे और फिर अगर जरुरत पड़ी तो उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किया जाएगा.

उत्तराखंड में NRC लागू करने पर हो रहा विचार

देहरादून में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड सीमांत राज्य है, इसलिए असम की तरह यहां भी एनआरसी लागू करने की जरुरत है. अभी तक सिर्फ असम में ही एनआरसी लागू हुआ है. अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरे होने के कारण यदि घुसपैठ जैसी कोई बात सामने आती है तो यह गंभीर विषय हो सकता है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड एक सीमांत राज्य है.

पढ़ें- एक बार फिर चर्चा में कस्तूरबा गांधी विद्यालय, इस बार दो किशोरियों से जुड़ा है पूरा वाकया

क्या है एनआरसी ?
बता दें, नेशनल सिटिजन रजिस्टर (NRC) असम में रहने भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है. जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों की पहचान करना है. इसकी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है. सरकार ने 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया था. अब उत्तराखंड सरकार भी एनआरसी लागू करने की बात कह रही है.

पढ़ें- होटल के कमरे में मिला कर्मचारी का शव, मौत की गुत्थी में उलझी पुलिस

उत्तराखंड में क्यों है एनआरसी की जरूरत?
उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य है. कई जिलों की सीमा चीन और नेपाल से जुड़ी हुई है. प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई 625 किलोमीटर है. जिसमें से चीन सीमा रेखा की लंबाई 350 किलोमीटर है, नेपाल सीमा रेखा की लंबाई 275 किलोमीटर है.

सबसे बड़ी बात ये है कि इससे पहले भी प्रदेश में कई बांग्लादेशियों के बसे होने की खबरें सामने आती रही हैं. इसमें नेपाल के रास्ते उत्तराखंड में बांग्लादेशियों और दूसरे लोगों के घुसपैठ करने की भी चर्चाएं रही हैं. इसी को देखते हुए उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किए जाने की जरुरत महसूस की गई है. हालांकि मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद ही त्रिवेंद्र सरकार एनआरसी लागू करने पर निर्णय लेगी.

देहरादून: असम के बाद अब उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू करने पर विचार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बारे में पहले मंत्रिमंडल से चर्चा करेंगे और फिर अगर जरुरत पड़ी तो उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किया जाएगा.

उत्तराखंड में NRC लागू करने पर हो रहा विचार

देहरादून में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड सीमांत राज्य है, इसलिए असम की तरह यहां भी एनआरसी लागू करने की जरुरत है. अभी तक सिर्फ असम में ही एनआरसी लागू हुआ है. अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरे होने के कारण यदि घुसपैठ जैसी कोई बात सामने आती है तो यह गंभीर विषय हो सकता है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड एक सीमांत राज्य है.

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क्या है एनआरसी ?
बता दें, नेशनल सिटिजन रजिस्टर (NRC) असम में रहने भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है. जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों की पहचान करना है. इसकी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है. सरकार ने 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया था. अब उत्तराखंड सरकार भी एनआरसी लागू करने की बात कह रही है.

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उत्तराखंड में क्यों है एनआरसी की जरूरत?
उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य है. कई जिलों की सीमा चीन और नेपाल से जुड़ी हुई है. प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई 625 किलोमीटर है. जिसमें से चीन सीमा रेखा की लंबाई 350 किलोमीटर है, नेपाल सीमा रेखा की लंबाई 275 किलोमीटर है.

सबसे बड़ी बात ये है कि इससे पहले भी प्रदेश में कई बांग्लादेशियों के बसे होने की खबरें सामने आती रही हैं. इसमें नेपाल के रास्ते उत्तराखंड में बांग्लादेशियों और दूसरे लोगों के घुसपैठ करने की भी चर्चाएं रही हैं. इसी को देखते हुए उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किए जाने की जरुरत महसूस की गई है. हालांकि मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद ही त्रिवेंद्र सरकार एनआरसी लागू करने पर निर्णय लेगी.

*देहरादून। खाकी पर भी डेंगू का डंक।*

 ऋषिकेश में 5 एसआई समेत 25 पुलिसकर्मियों में डेंगू की  हुई पुष्टि।

 ऋषिकेश कोतवाली में पांच सब इंस्पेक्टर समेत कुल 25 पुलिस सिपाहियों में डेंगू की हुई पुष्टि।

 सभी पुलिसकर्मियों का प्राइवेट अस्पतालों में चल रहा है इलाज।

 कोतवाली में सफाई को लेकर इंस्पेक्टर रितेश साह ने फोगिंग और जगह-जगह गंदगी के अम्बार को कराया साफ़।

एक साथ 30 पुलिसकर्मियों में डेंगू की पुष्टि से डीजीपी भी हैरान।

सभी कोतवाली थाना चौकियों को पहले ही दिए थे डीजीपी अनिल रतूड़ी ने साफ सफाई के निर्देश।

इंस्पेक्टर रितेश साह ने सभी कर्मचारियों और अधीनस्थों को दिए निर्देश। कोतवाली पुलिस सदैव साथ है और रहेगी।

किसी भी प्रकार की जरुरत के लिए स्वयं हूँ तैयार।
Last Updated : Sep 16, 2019, 4:51 PM IST
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