देहरादून: असम के बाद अब उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू करने पर विचार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बारे में पहले मंत्रिमंडल से चर्चा करेंगे और फिर अगर जरुरत पड़ी तो उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किया जाएगा.
देहरादून में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड सीमांत राज्य है, इसलिए असम की तरह यहां भी एनआरसी लागू करने की जरुरत है. अभी तक सिर्फ असम में ही एनआरसी लागू हुआ है. अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरे होने के कारण यदि घुसपैठ जैसी कोई बात सामने आती है तो यह गंभीर विषय हो सकता है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड एक सीमांत राज्य है.
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क्या है एनआरसी ?
बता दें, नेशनल सिटिजन रजिस्टर (NRC) असम में रहने भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है. जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों की पहचान करना है. इसकी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है. सरकार ने 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया था. अब उत्तराखंड सरकार भी एनआरसी लागू करने की बात कह रही है.
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उत्तराखंड में क्यों है एनआरसी की जरूरत?
उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य है. कई जिलों की सीमा चीन और नेपाल से जुड़ी हुई है. प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई 625 किलोमीटर है. जिसमें से चीन सीमा रेखा की लंबाई 350 किलोमीटर है, नेपाल सीमा रेखा की लंबाई 275 किलोमीटर है.
सबसे बड़ी बात ये है कि इससे पहले भी प्रदेश में कई बांग्लादेशियों के बसे होने की खबरें सामने आती रही हैं. इसमें नेपाल के रास्ते उत्तराखंड में बांग्लादेशियों और दूसरे लोगों के घुसपैठ करने की भी चर्चाएं रही हैं. इसी को देखते हुए उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किए जाने की जरुरत महसूस की गई है. हालांकि मंत्रिमंडल में चर्चा के बाद ही त्रिवेंद्र सरकार एनआरसी लागू करने पर निर्णय लेगी.