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अब पलायन रोकने के लिए त्रिवेंद्र सरकार करेगी माइग्रेशन मिटीगेशन फंड प्लान पर काम

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में पलायन को रोकने के लिए बैठक की. बैठक में सीएम ने चयनित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित करने के निर्देश दिए हैं. वहीं सीएम ने कहा कि माइग्रेशन मिटीगेशन फंड स्थापित किया जाए और एक माह में सभी विभाग पलायन को रोकने के लिए कार्य योजना प्रस्तुत करें.

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सीएम की बैठक
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Published : Jan 23, 2020, 8:36 PM IST

देहरादून: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय के विश्वकर्मा भवन में पलायन को लेकर बैठक की. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों पर खास फोकस किया जाए. पलायन रोकने के लिए बनाई जाने वाली योजनाएं फ्लेक्सीबल हों. कोशिश की जाए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले अधिक से अधिक स्थानीय लोग वहां रहने के लिए प्रेरित हों. सामरिक संवेदनशीलता को देखते हुए यह बहुत जरूरी है.

भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम भी दर्ज किए जाने की व्यवस्था हो

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में महिलाओं का अनुपात अधिक है. गांवों में संचालित योजनाएं महिला केंद्रित हों. जरूरी है भू-अभिलेखों में उनका नाम भी दर्ज हो. इससे उन्हें कृषि, पशुपालन, स्वरोजगार आदि के लिए ऋण मिलने में आसानी रहेगी. राजस्व विभाग इसके लिए आवश्यक प्रावधान करे.

सीएम की बैठक

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इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के निर्देश

सीएम ने पर्यटन विभाग को इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के लिए निर्देशित किया. इको टूरिज्म के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग आपसी समन्वय से काम करें. उन्होंने कहा कि होम स्टे को दूसरी पर्यटन गतिविधियों व मार्केट से लिंक किया जाए. होम स्टे करने वालों को हॉस्पिटेलिटी के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो. एडवेंचर स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दी जाए. पर्यटन विभाग एक मोबाइल एप बनाए, जिसमें जिलावार वहां के वन्य जीवन, वनस्पति, पर्यटन स्थलों, ट्रेकिंग स्थलों, होटल, होम स्टे आदि की जानकारी मौजूद हो.

ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता है. पेयजल की उपलब्धता पर भी विशेष ध्यान देना होगा. किसानों की आय दुगुनी करने के लिए ऑफ सीजन सब्जियों के उत्पादन, मत्स्य पालन, बकरी पालन, फ्लोरीकल्चर महत्वपूर्ण हो सकते हैं. क्लस्टर बेस्ड एप्रोच अपनानी होगी. एमएसएमई के तहत पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को स्वरोजगार के लिए लघु ऋणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए.

रेखीय विभाग करें गैप एनालिसिस

मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन से सर्वाधिक प्रभावित गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि रेखीय विभाग गैप एनालिसिस करें और जहां कमी नजर आती है, उसे प्राथमिकता से दूर किया जाए. एक माइग्रेशन मिटिगेशन फंड स्थापित किया जाए. राज्य के चिन्हित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित की जाए. मुख्यमंत्री सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना को फ्लेक्सीबल बनाया जाए। सभी विभाग पलायन को लेकर एक माह में कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करें.

उत्तराखंड ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि राज्य के 36 विकासखण्ड चिन्हित किए गए हैं. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की अधिक समस्या रही है. इनमें अल्मोड़ा के 7, बागेश्वर के 1, चमोली के 5, पौड़ी के 12, पिथौरागढ़ के 5, रुद्रप्रयाग का 1 और टिहरी के 5 ब्लॉक शामिल हैं. गांवों से निकटवर्ती छोटे कस्बों में बसने की प्रवृत्ति देखने को मिली है. योजनाओं को महिला केंद्रित किए जाने की जरुरत है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मार्केट से लिंक करना होगा. कई क्षेत्रों में बकरी पालन आय का बड़ा जरिया बना है.

देहरादून: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय के विश्वकर्मा भवन में पलायन को लेकर बैठक की. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों पर खास फोकस किया जाए. पलायन रोकने के लिए बनाई जाने वाली योजनाएं फ्लेक्सीबल हों. कोशिश की जाए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले अधिक से अधिक स्थानीय लोग वहां रहने के लिए प्रेरित हों. सामरिक संवेदनशीलता को देखते हुए यह बहुत जरूरी है.

भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम भी दर्ज किए जाने की व्यवस्था हो

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में महिलाओं का अनुपात अधिक है. गांवों में संचालित योजनाएं महिला केंद्रित हों. जरूरी है भू-अभिलेखों में उनका नाम भी दर्ज हो. इससे उन्हें कृषि, पशुपालन, स्वरोजगार आदि के लिए ऋण मिलने में आसानी रहेगी. राजस्व विभाग इसके लिए आवश्यक प्रावधान करे.

सीएम की बैठक

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इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के निर्देश

सीएम ने पर्यटन विभाग को इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के लिए निर्देशित किया. इको टूरिज्म के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग आपसी समन्वय से काम करें. उन्होंने कहा कि होम स्टे को दूसरी पर्यटन गतिविधियों व मार्केट से लिंक किया जाए. होम स्टे करने वालों को हॉस्पिटेलिटी के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो. एडवेंचर स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दी जाए. पर्यटन विभाग एक मोबाइल एप बनाए, जिसमें जिलावार वहां के वन्य जीवन, वनस्पति, पर्यटन स्थलों, ट्रेकिंग स्थलों, होटल, होम स्टे आदि की जानकारी मौजूद हो.

ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता है. पेयजल की उपलब्धता पर भी विशेष ध्यान देना होगा. किसानों की आय दुगुनी करने के लिए ऑफ सीजन सब्जियों के उत्पादन, मत्स्य पालन, बकरी पालन, फ्लोरीकल्चर महत्वपूर्ण हो सकते हैं. क्लस्टर बेस्ड एप्रोच अपनानी होगी. एमएसएमई के तहत पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को स्वरोजगार के लिए लघु ऋणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए.

रेखीय विभाग करें गैप एनालिसिस

मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन से सर्वाधिक प्रभावित गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि रेखीय विभाग गैप एनालिसिस करें और जहां कमी नजर आती है, उसे प्राथमिकता से दूर किया जाए. एक माइग्रेशन मिटिगेशन फंड स्थापित किया जाए. राज्य के चिन्हित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित की जाए. मुख्यमंत्री सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना को फ्लेक्सीबल बनाया जाए। सभी विभाग पलायन को लेकर एक माह में कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करें.

उत्तराखंड ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि राज्य के 36 विकासखण्ड चिन्हित किए गए हैं. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की अधिक समस्या रही है. इनमें अल्मोड़ा के 7, बागेश्वर के 1, चमोली के 5, पौड़ी के 12, पिथौरागढ़ के 5, रुद्रप्रयाग का 1 और टिहरी के 5 ब्लॉक शामिल हैं. गांवों से निकटवर्ती छोटे कस्बों में बसने की प्रवृत्ति देखने को मिली है. योजनाओं को महिला केंद्रित किए जाने की जरुरत है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मार्केट से लिंक करना होगा. कई क्षेत्रों में बकरी पालन आय का बड़ा जरिया बना है.

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Summary-मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य के चयनित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित करने के निर्देश दिए हैं। माइग्रेशन मिटीगेशन फंड स्थापित किया जाए। एक माह में सभी विभाग पलायन को थामने के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करें। भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम भी दर्ज किए जाने की व्यवस्था की जाए। इको-टूरिज्म पॉलसी जल्द से जल्द बनाई जाए। मुख्यमंत्री विश्वकर्मा भवन, सचिवालय में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन को लेकर आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।




Body:मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों पर खास फोकस किया जाए। वहां पलायन को रोकने बनाई जाने वाली योजनाएं फ्लेक्सीबल हों। कोशिश की जाए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले अधिक से अधिक स्थानीय लोग वहां रहने के लिए प्रेरित हों। सामरिक संवेदनशीलता को देखते हुए यह बहुत जरूरी है।
भू-अभिलेखों में महिलाओं का नाम भी दर्ज किए जाने की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों के गांवों में महिलाओं का अनुपात अधिक है। गांवों में संचालित योजनाओं को महिला केंद्रित हों। जरूरी है भू-अभिलेखों में उनका नाम भी दर्ज हो। इससे उन्हें कृषि, पशुपालन, स्वरोजगार आदि के लिए ऋण मिलने में आसानी रहेगी। राजस्व विभाग इसके लिए आवश्यक प्रावधान करे। 
इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को इको टूरिज्म पॉलिसी जल्द से जल्द बनाने के लिए निर्देशित किया। इको टूरिज्म के लिए वन विभाग व पर्यटन विभाग आपसी समन्वय से काम करें। उन्होंने कहा कि होम स्टे को दूसरी पर्यटन गतिविधियों व मार्केट से लिंक किया जाए। होम स्टे करने वालों को हॉस्पिटेलिटी के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो। एडवेंचर स्पोर्ट्स को प्राथमिकता दी जाए। पर्यटन विभाग एक मोबाईल एप बनाए जिसमें जिलावार वहां के वन्य जीवन, वनस्पति, पर्यटन स्थलों, ट्रेकिंग स्थलों, होटल, होम स्टे आदि की जानकारी मौजूद हो। 
ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रों में फील्ड स्टाफ की कमी को दूर करने की आवश्यकता है। पेयजल की उपलब्धता पर भी विशेष ध्यान देना होगा। किसानों की आय दुगुनी करने के लिए ऑफ सीजन सब्जियों के उत्पादन, मत्स्य पालन, बकरी पालन, फ्लोरीकल्चर महत्वपूर्ण हो सकते हैं। क्लस्टर बेस्ड एप्रोच अपनानी होगी। एमएसएमई के तहत पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को स्वरोजगार के लिए लघु ऋणों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
रेखीय विभाग करें गैप एनालिसिस
मुख्यमंत्री  ने कहा कि पलायन से सर्वाधिक प्रभावित गांवों  में शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा आदि रेखीय विभाग गैप एनालिसिस करें। और जहां कमी नजर आती है, उसे  प्राथमिकता से दूर किया जाए। एक माईग्रेशन मिटिगेशन फंड स्थापित किया जाए। राज्य के चिन्हित ब्लॉकों में पलायन पर केंद्रित विशेष योजना संचालित की जाए। मुख्यमंत्री सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना को फ्लेक्सीबल बनाया जाए। सभी विभाग पलायन को लेकर एक माह में कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत करें।
उत्तराखण्ड ग्रामीण विकास व पलायन आयोग के उपाध्यक्ष श्री एसएस नेगी ने बताया कि राज्य के 36 विकासखण्ड चिन्हित किए गए हैं जहां ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की अधिक समस्या रही है। इनमें अल्मोड़ा के 7, बागेश्वर के 1, चमोली के 5, पौड़ी के 12, पिथौरागढ़ के 5, रूद्रप्रयाग का 1 और टिहरी के 5 ब्लॉक शामिल हैं। गांवों से निकटवर्ती छोटे कस्बों में बसने की प्रवृत्ति देखने को मिली है। योजनाओं को महिला केंद्रित किए जाने की जरूरत है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए मार्केट से लिंक करना होगा। कई क्षेत्रों में बकरी पालन आय का बड़ा जरिया बना है। 


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