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सीएम ने 'आई एम ए विलेज' योजना का किया शुभारंभ, कहा- किसानों से किया वादा किया पूरा

डोईवाला में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कृषि विभाग के 'आई एम ए विलेज' (एकीकृत मॉडल कृषि ग्राम योजना) का शुभारंभ किया है.

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Published : Oct 21, 2020, 3:35 PM IST

IMA Village Scheme in Uttarakhand
'आई एम ए विलेज' योजना का शुभारंभ

डोईवाला: माजरी ग्रांट ग्राम सभा में कृषि विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 'आई एम ए विलेज' योजना का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि माजरी ग्रांट को 'आई एम ए विलेज' विलेज घोषित होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि क्षेत्र की जनता और किसानों को इस योजना से बेहद फायदा मिलेगा.

'आई एम ए विलेज' योजना का शुभारंभ

इस दौरान किसानों और स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 'आई एम ए विलेज' की परिकल्पना उत्तराखंड के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. समय के साथ खेती का स्वरूप बदल रहा है. अब आधुनिक तकनीक से खेती की जा रही है. 40% स्वरोजगार के लिए सरकार किसानों को मदद दे रही है. कार्यक्रम में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि किसानों से किया वादा पूरा किया जा रहा है. डोईवाला में बनायी जा रही सूर्यधार झील हजारों किसानों को सिंचाई के लिए पानी और स्थानीय लोगों को पेयजल उपलब्ध होगी.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में सड़क हादसों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी हादसों की 'रफ्तार'

वहीं, कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि एकीकृत आदर्श ग्राम योजना के तहत कृषि योजनाओं को लाभ समय पर किसानों को उपलब्ध होगा. उत्तराखंड के प्रत्येक ब्लॉक से एक-एक गांव को एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम बनाया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है. वहीं, जिन गांवों को 'आई एम ए विलेज' घोषित किया गया है. उन्हें 10 लाख रुपए क्षेत्र के विकास के लिए दिए जाएंगे. साथ ही किसानों को मुर्गी पालन, पशु पालन, मछली पालन के लिए भी 15 लाख की धनराशि सहायता के तौर पर दी जा रही है.

आईएमए विलेज योजना क्या है

उत्तराखंड में 95 ब्लॉक हैं. सरकार प्रत्येक ब्लॉक में एक गांव को कृषि के लिहाज से मॉडल विलेज के रूप में विकसित करने जा रही है. इस घटती कृषि विकास दर और बड़े पैमाने पर कृषि भूमि के बंजर में तब्दील होने से सरकारकी चिंताएं बढ़ गई है. आंकड़े बताते हैं कि नौ साल पहले राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की जो भागीदारी सात फीसद थी, वह घटकर 4.67 प्रतिशत पर आ गई है. उत्तराखंड में अभी तक करीब एक लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर में तब्दील हुई है. इसके पीछे पलायन सबसे बड़ी वजह है. नतीजतन गांव खाली हो रहे और खेत- खलिहान बंजर में तब्दील हो रहे हैं. ऐसे में सरकार आईएमए विलेज के पलायन रोकने की कोशिशों में जुटी हुई है.

डोईवाला: माजरी ग्रांट ग्राम सभा में कृषि विभाग द्वारा कार्यक्रम आयोजित में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 'आई एम ए विलेज' योजना का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि माजरी ग्रांट को 'आई एम ए विलेज' विलेज घोषित होने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि क्षेत्र की जनता और किसानों को इस योजना से बेहद फायदा मिलेगा.

'आई एम ए विलेज' योजना का शुभारंभ

इस दौरान किसानों और स्थानीय जनता को संबोधित करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 'आई एम ए विलेज' की परिकल्पना उत्तराखंड के लिए मिल का पत्थर साबित होगा. समय के साथ खेती का स्वरूप बदल रहा है. अब आधुनिक तकनीक से खेती की जा रही है. 40% स्वरोजगार के लिए सरकार किसानों को मदद दे रही है. कार्यक्रम में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि किसानों से किया वादा पूरा किया जा रहा है. डोईवाला में बनायी जा रही सूर्यधार झील हजारों किसानों को सिंचाई के लिए पानी और स्थानीय लोगों को पेयजल उपलब्ध होगी.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में सड़क हादसों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी हादसों की 'रफ्तार'

वहीं, कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि एकीकृत आदर्श ग्राम योजना के तहत कृषि योजनाओं को लाभ समय पर किसानों को उपलब्ध होगा. उत्तराखंड के प्रत्येक ब्लॉक से एक-एक गांव को एकीकृत आदर्श कृषि ग्राम बनाया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है. वहीं, जिन गांवों को 'आई एम ए विलेज' घोषित किया गया है. उन्हें 10 लाख रुपए क्षेत्र के विकास के लिए दिए जाएंगे. साथ ही किसानों को मुर्गी पालन, पशु पालन, मछली पालन के लिए भी 15 लाख की धनराशि सहायता के तौर पर दी जा रही है.

आईएमए विलेज योजना क्या है

उत्तराखंड में 95 ब्लॉक हैं. सरकार प्रत्येक ब्लॉक में एक गांव को कृषि के लिहाज से मॉडल विलेज के रूप में विकसित करने जा रही है. इस घटती कृषि विकास दर और बड़े पैमाने पर कृषि भूमि के बंजर में तब्दील होने से सरकारकी चिंताएं बढ़ गई है. आंकड़े बताते हैं कि नौ साल पहले राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि की जो भागीदारी सात फीसद थी, वह घटकर 4.67 प्रतिशत पर आ गई है. उत्तराखंड में अभी तक करीब एक लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर में तब्दील हुई है. इसके पीछे पलायन सबसे बड़ी वजह है. नतीजतन गांव खाली हो रहे और खेत- खलिहान बंजर में तब्दील हो रहे हैं. ऐसे में सरकार आईएमए विलेज के पलायन रोकने की कोशिशों में जुटी हुई है.

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