देहरादून: कई साल से अधर में लटका सैन्य धाम का सपना जल्द ही धरातल पर उतरने वाला है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार को राज्य स्तरीय सैन्य धाम का शिलान्यास करेंगे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में एक रैली के दौरान यहां पांचवां धाम (सैन्य धाम) बनाने की घोषणा की थी, तभी से राज्य सरकार इस काम कर रही थी.
सैन्य धाम को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड के पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम का नाम लिया था. अब देहरादून में सैन्य धाम बनने जा रहा है. इसके लिये पर्याप्त भूमि व धनराशि की व्यवस्था की गई है.
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सैनिकों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने की योजना
उन्होंने कहा कि सैनिकों का हित उनके लिए सर्वोपरि है. सैनिकों और पूर्व सैनिकों की समस्याओं के समाधान के लिए शासन स्तर अपर मुख्य सचिव और जिला स्तर अपर जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी तैनात किया है. सैनिकों और पूर्व सैनिकों की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिये सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं. राज्य सरकार द्वारा शहीद सैनिकों व अर्ध सैनिकों के एक परिजन को योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी में समायोजित करने की व्यवस्था की है. अबतक 14 आश्रितों को सेवायोजित किया जा चुका है, जबकि 06 की नियुक्ति प्रक्रिया गतिमान है.
सचिवालय में अलग से प्रवेश पत्र बनवाने की आवश्यकता नहीं
इसी के साथ मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड सचिवालय में प्रवेश के लिए सैनिकों और पूर्व सैनिकों को अलग से प्रवेश पत्र बनवाने की आवश्यकता नहीं है. वे अपने आईकार्ड से ही सचिवालय में प्रवेश कर सकते हैं.
शहीदों के आश्रितों को दिया जाने वाला अनुदान
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के हित में कई निर्णय भी लिये हैं. उत्तराखंड वीरता पदक से अलंकृत सैनिकों के अनुदान में सबसे अधिक वृद्धि करने वाला राज्य है. वीरता पदक प्राप्तकर्ता सैनिक और उनकी विधवाओं को दी जाने वाली वार्षिक राशि 30 साल की जगह अब आजीवन दिए जाने की व्यवस्था की गई हैं. विभिन्न युद्धों, सीमांत झड़पों व आंतरिक सुरक्षा में शहीद हुए सैनिकों व अर्द्ध सैनिक बलों की विधवाओं/आश्रितों को एकमुश्त 10 लाख रुपए का अनुदान दिए जान की व्यवस्था की गई है.
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युद्ध में शहीद सैनिकों की विधवाओं और युद्ध अपंगता के कारण सेवामुक्त हुए सैनिकों को आवासीय सहायता अनुदान दो लाख रुपए दिया जा रहा है. सेवारत और पूर्व सैनिकों को 25 लाख रुपए तक की स्थावर सम्पत्ति के अन्तरण पर 25 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी में छूट अनुमन्य भी की गई है.
गृहकर से किया गया मुक्त
मुख्यमंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व सैनिकों और उनकी विधवाओं को जिन्हें किसी भी श्रोत से पेंशन नहीं मिल रही है. उन्हें दिसंबर 2017 से पेशन की राशि चार हजार रुपये से बढ़ाकर आठ हजार रुपए प्रतिमाह दी जाएगी. राज्य के विभिन्न नगर निगमों/नगर पालिकाओं की सीमाओं में जो सेवारत और पूर्व सैनिक स्वयं के मकान में निवास कर रहे हैं, उन्हें गृहकर से मुक्त रखा गया हैं.
मुख्यमंत्री कारगिल शहीद परिवार सहायता कोष से इजीनियरिंग, मेडिकल और पीएचडी शिक्षा हेतु 12 हजार, 15 हजार और दस हजार रुपए की छात्रवृति हर साल देने के साथ ही पूर्व सैनिकों को राज्य सरकार की सेवाओं में समूह ‘ग’ की रिक्तियों में 05 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण अनुमन्य किया गया है.