देहरादून: जल संरक्षण और आम लोगों को साफ पानी की उपलब्धता जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर देहरादून में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत 12 राज्यों के विशेषज्ञ शामिल हुए. इस दौरान उत्तराखंड में पानी की बढ़ती डिमांड पर चिंता जाहिर करते हुए आम लोगों को सस्ती टेक्नोलॉजी के जरिए साफ पानी मुहैया कराने पर जोर दिया गया.
बता दें, इंडिया वाटर वर्क्स एसोसिएशन की तरफ से राजधानी देहरादून में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया. सेमिनार में बढ़ती जनसंख्या को पानी की उपलब्धता, सीवेरज सिस्टम को दुरुस्त कैसे किया जाए, मामलों पर चर्चा की गई. सेमिनार में 12 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिन्होंने जल संरक्षण को लेकर अनुभव साझा किए.
इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच साल में हर घर में जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. हर घर तक शुद्ध जल पहुंचे, इसके लिए इंजीनियरों को मंथन करने की जरूरत है कि कैसे पानी की बचत हो और कैसे बेहतर इस्तेमाल किया जाये. सीएम ने कहा कि देहरादून में आयोजित सेमिनार में विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों को साझा किया, जिसके परिणाम भविष्य में अच्छे मिलेंगे.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि पानी का कैसे बेहतर तरीके से संरक्षण और पूर्ति हो, इसके लिए लोगों में जागरुकता लाने की जरूरत है. जल संचय का सबसे अच्छा तरीका वर्षा जल का एकत्रीकरण है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. राज्य सरकार का प्रयास है कि उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रेविटी का जल मिल सके. इसके लिए सौंग, सूर्यधार व मलुढूंग बांध पर कार्य किया जा रहा है. सौंग बांध का कार्य शुरू होने से 350 दिनों में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है. सूर्यधार डैम पर का कार्य शुरू हो गया है. इससे 29 गांवों को ग्रेविटी वाटर उपलब्ध होगा. पंचेश्वर बांध बनने से उधमसिंह नगर एवं चंपावत के तराई क्षेत्र में ग्रेविटी का पेयजल उपलब्ध होगा.