देहरादून: राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है. इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने कहा है कि वो प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत करते हैं. तो वहीं, राज्य सभा सांसद व उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम (Dushyant kumar gautam) ने कहा है कि पीएम मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में फैसला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का सीएम धामी ने स्वागत किया है. तो वहीं, दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा है कि पीएम मोदी के इस फैसले को किसानों के हित में बताया है. उन्होंने कहा है कि इससे किसानों की आय दोगुनी होगी साथ ही किसान अपनी खेती अच्छी तरह कर पाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने पीएम का आभार व्यक्त किया है.
केंद्र सरकार के बैकफुट पर आने के बाद भाजपा सरकार और इससे जुड़े नेताओं ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है. उत्तराखंड में मौजूद हिमाचल के कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि किसान आंदोलन का हिमाचल में कोई असर नहीं था और ना ही हिमाचल के किसान इस आंदोलन में शामिल थे. लिहाजा किसान कानूनों के वापस लेने के फैसले से हिमाचल पर राजनीतिक रूप से कोई असर नहीं होने वाला है.
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उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत कहते हैं कि प्रधानमंत्री के इस फैसले को राजनीतिक रूप से नहीं देखना चाहिए. उन्होंने इस मामले पर बड़ा दिल दिखाया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि हरीश रावत विपक्ष के नेता होने के चलते अपना राजनीतिक धर्म निभा रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि नरेंद्र मोदी ने किसानों की बातों को मानते हुए फैसले को वापस लेने का निर्णय लिया है.
उत्तराखंड में राजनीतिक नुकसान का आशंका: कृषि कानून को लेकर उत्तराखंड में परिस्थितियां कुछ अलग हैं. प्रदेश के मैदानी जिलों में भी किसान कृषि कानूनों को लेकर विरोध करते हुए दिखाई देते रहे. खासतौर पर हरिद्वार और उधम सिंह नगर में बड़ी संख्या में किसान कृषि कानून के खिलाफ रहे हैं और इसका राजनीतिक रूप से भी भाजपा को भारी नुकसान होने की आशंका जताई जाती रही है.
गौर हो, कृषि कानून को लेकर देशभर के किसान केंद्र सरकार के खिलाफ पिछले 14 महीने से लामबंद दिखाई दिए. खास तौर पर उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत उत्तरभारत के अन्य राज्य में किसानों का आंदोलन सड़कों तक भी उग्र रूप में जारी रहा. किसानों के इस विरोध को देखते हुए आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोलबैक किया और कानून को वापस लेने का ऐलान भी कर दिया.