मसूरीः मसूरी गोलीकांड की 27वीं बरसी पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी मसूरी शहीद स्थल पर पहुंचे. उन्होंने शहीद स्थल पर मसूरी गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड अमर शहीदों के कारण ही मिला है. शहीदों के अनुरूप उत्तराखंड राज्य को बनाने का काम किया जाएगा. सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में नए उद्योग स्थापित किए जाएंगे. वहीं, जिन अधिकारियों का जो काम है, वह करना होगा. जो अधिकारी लापरवाही करेगा, उसकी जवाबदेही तय की जाएगी.
आंदोलनकारियों के परिजनों को पेंशनः उन्होंने कहा कि वह शहीदों और आंदोलनकारियों के सपने जानते हैं, क्योंकि वह खुद आंदोलनकारी हैं. ऐसे में आंदोलनकारियों को चिन्हित करने के लिए तारीख 31 दिसंबर 2021 तक कर दी गई है. आंदोलनकारियों के परिजनों को भी पेंशन का लाभ मिलेगा.
परियोजना का शुभारंभ लोगों के विस्थापन के बादः शिफन कोर्ट मामले पर उन्होंने कहा कि शिफन कोर्ट के बेघर लोगों का पुनर्वास किया जाएगा. वहीं, रोपवे परियोजना का शुभारंभ शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों के विस्थापन के बाद होगा. सीएम धामी ने ऐलान किया कि आंदोलनकारियों की पेंशन बढ़ाने पर विचार किया जाएगा. सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार लगातार प्रदेश हित में काम कर रही है. प्रदेश की जनता के अनुरूप ही उत्तराखंड का विकास किया जाएगा.
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अजय भट्ट ने शहीदों को श्रद्धांजलि दीः वहीं, केंद्रीय पर्यटन और रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि केंद्र की सरकार लगातार देश के विकास के लिए काम कर रही है. पर्यटन के क्षेत्र में आमूलचूल विकास हो इसको लेकर कई योजनाओं के तहत कार्य किया जा रहा है. उत्तराखंड में पर्यटन की कई संभावना हैं और उत्तराखंड स्वयं पर्यटन प्रदेश है. ऐसे में उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है.
मसूरी में भी पर्यटन के क्षेत्र में कई संभावनाएं हैं, जिसको लेकर लगातार काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हाल ही में उनके द्वारा कई बॉर्डर क्षेत्र का निरीक्षण किया गया. जिस तरीके से सैनिक बॉर्डर की सुरक्षा कर रहे हैं, वह अपने आप में साबित करता है कि सैनिक अपनी जान की परवाह न करते हुए देश की सुरक्षा बखूबी कर रहे हैं.
मसूरी गोलीकांडः राज्य आंदोलन के इतिहास के पन्नों में दो सितंबर 1994 का दिन बहुत ही खास है. ये वो दिन है जिसे याद कर आज भी लोगों के शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती है. 1994 में उत्तराखंड राज्य के लिए पूरे प्रदेश में आंदोलन चल रहा था. खटीमा गोलीकांड के अगले ही दिन 2 सितम्बर, 1994 को मसूरी गोलीकांड हुआ था. खटीमा की घटना के विरोध में मसूरी में मौन जुलूस निकाल रहे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस और पीएसी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर 6 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. ऐसे में फायरिंग के कारण शांत रहने वाले मसूरी की आबोहवा में बारूद की गंध फैल गई थी.