देहरादून/मसूरीः आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि (Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary) है. उनकी पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. साथ ही योगदान को याद किया. उधर, बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी श्रद्धांजलि देकर उन्हें याद किया. वहीं, मसूरी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अटल जी को श्रद्धांजलि दी.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तराखंड से गहरा नाता रहा था. दशकों की लंबी मांग के बाद अगर 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के मानचित्र पर अलग राज्य के रूप में वजूद में आ पाया तो उसमें सबसे निर्णायक भूमिका अटल जी की थी. राज्य गठन के अलावा प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड को विशेष औद्योगिक पैकेज और विशेष राज्य के दर्जे से भी नवाजा था.
अटल जी ने राज्य आंदोलनकारियों को दिया था आश्वासन: उत्तराखंड राज्य के निर्माण को लेकर लंबा आंदोलन चला था. 42 लोग अलग राज्य के लिए शहीद हो चुके थे. साल 1996 में अपने देहरादून दौरे के दौरान अटल जी ने राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर विचार करने का भरोसा दिया था. वाजपेयी ने इस भरोसे को कायम भी रखा और उनके प्रधानमंत्रित्वकाल में ही उत्तराखंड बना.
उत्तराखंड के दिया था विशेष औद्योगिक पैकेजः साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे तो नैनीताल आए थे. उस समय राज्य की पहली निर्वाचित सरकार नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में थी. मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के अनुरोध पर अटल जी ने उत्तराखंड के लिए दस साल के विशेष औद्योगिक पैकेज की घोषणा की थी. यह उत्तराखंड के प्रति उनकी दूरदर्शी सोच ही थी कि औद्योगिक पैकेज देकर उन्होंने नए-नवेले राज्य को खुद के पैरों पर खड़ा होने का मौका दिया था.
देहरादून में स्कूटर पर घूमते थे अटल जी: उत्तराखंड को लेकर अटल जी के लगाव का आलम ये था कि वो अक्सर ही यहां आया करते थे. उन्हें पहाड़ों की रानी मसूरी बहुत आकर्षित करती थी. जब भी अवसर मिलता, वह मसूरी जाते और पहाड़ी की शांत वादियों में आत्ममंथन कर राजनीति के आगे के समर के लिए खुद को तैयार करते.
देहरादून में उनके गहरे पारिवारिक मित्र नरेंद्र स्वरूप मित्तल रहते थे. जब भी वाजपेयी जी देहरादून आते, उनके साथ काफी वक्त गुजारते थे. स्व. नरेंद्र स्वरूप मित्तल के पुत्र बीजेपी नेता पुनीत मित्तल ने उनके साथ बिताए दिनों को याद करते हुए बताया कि वे बचपन से ही अटल जी को घर आते हुए देखते रहे हैं. अटल जी जब भी देहरादून आते थे, उन्हीं के घर रुकते थे. उनके पापा के साथ स्कूटर पर घूमते थे.
मित्तल परिवार के स्कूटर से जुड़ी 'अटल' यादें: वहीं, अटल जी को याद करते हुए बीजेपी नेता पुनीत मित्तल ने उनके घर में मौजूद एक पुराने स्कूटर के बारे में भी बताया जिससे आज भी अटल बिहारी वाजपेयी की यादें जुड़ी हुई हैं. बीजेपी नेता पुनीत मित्तल बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी सभी पार्टी कार्यकर्ताओं से बेहद लगाव रखते थे. यही कारण है कि एक बार जब वह देहरादून पहुंचे तो उन्होंने पार्टी के एक कार्यकर्ता के बारे में पूछा.
ऐसे में जब उनके पिताजी नरेंद्र स्वरूप मित्तल ने बताया की उस पार्टी कार्यकर्ता की तबीयत खराब है तो अटल जी तुरंत उनके पिताजी के स्कूटर में बैठकर उस कार्यकर्ता के घर उनका हालचाल जानने पहुंच गए. वह स्कूटर आज भी उनके घर में मौजूद है जिसे देखकर वह अक्सर अटल जी के सरल स्वभाव को याद करते हैं.
झील संरक्षण के लिए दिया था 200 करोड़ का पैकेज: भारतीय राजनीति के अजातशत्रु व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भले ही इस दुनियां में नहीं रहे, मगर नैनीताल वासियों के दिलो-दिमाग में वो अमर हैं. 2003 में प्रधानमंत्री रहते जब वो नैनीताल आए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के आग्रह पर उन्होंने ना केवल झील संरक्षण के लिए दो सौ करोड़ की घोषणा की थी, बल्कि इस बजट की बदौलत ही नैनी झील समेत आसपास की झीलें प्रदूषण मुक्त हो सकी थी. इससे भी बड़ी बात ये थी कि अटल जी ने उत्तराखंड को विशेष औद्योगिक पैकेज और विशेष राज्य के दर्जे से भी नवाजा था.
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मसूरी में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि दीः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चौथी पुण्यतिथि के मौके पर मसूरी में बीजेपी ने श्रद्धांजलि दी. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी अमर रहे के नारे लगाए. साथ ही उनके बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. मसूरी बीजेपी मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल और पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने कहा कि बीजेपी को खड़ा करने में वाजपेयी और आडवाणी का सबसे ज्यादा योगदान रहा. वे अपनी विचारधारा एवं सिद्धांतों के लिए जाने गए. उन्होंने सत्ता के लिए कभी समझौता नहीं किया.