देहरादूनः सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है. जिसके बाद से ही राष्ट्रीय स्तर पर जहां एक ओर विपक्षी दल लगातार नोटबंदी पर सवाल खड़े कर रहा है तो वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पष्ट करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो नोटबंदी का फैसला लिया था, वो देशहित में था. उसमें सभी प्रावधानों का पालन किया गया था. साथ ही आरबीआई से भी बात की गई थी, लेकिन इससे कुछ विपक्षी दलों के पेट में दर्द हुआ था.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को अचानक देश में नोटबंदी लागू की थी. इसके तहत 1000 और 500 रुपए के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था. नोटबंदी के फैसले के बाद देशभर में विपक्ष ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे. इस फैसले के खिलाफ 58 याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार के 2016 के 1000 और 500 रुपए के नोटों को बंद करने के फैसले को सही ठहराया.
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नोटबंदी (CM Pushkar Dhami reaction to Supreme Court Verdict) को लेकर साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो निर्णय लिया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है. साथ ही कहा कि देश के अंदर बड़ा बदलाव करने के लिए नोटबंदी की गई. क्योंकि, देश में कालाबाजारी और काला धन पर रोक लगाने को लेकर यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है. बड़े बहुमत से इस फैसले को सही करार दिया है.
उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के 2016 में नोटबंदी के फैसले को सही माना है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले को आर्थिकी के आधार पर लिया गया था. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले के बाद देश के कई राज्यों में चुनाव हुए, जिस पर बीजेपी की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ बनी. उन्होंने कहा कि जनता ने भी मोदी सरकार के नोट बंदी के फैसले को सही (Supreme Court Verdict on Demonetisation) ठहराया था.
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गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को 7 दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 में 1000 और 500 रुपए के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें. पीठ ने फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान समेत याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनी थीं.
वहीं, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना वाले 5 जजों की पीठ ने 7 दिसंबर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत का कहना है कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था. 4:1 बहुमत का फैसला सुनाते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया को सिर्फ इसलिए गलत नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से आया था.
सिलसिले वार जानिए नोटबंदी के बाद क्या-क्या हुआ? 8 नवंबर, 2016ः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और 500 और 1000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर किए जाने की घोषणा की.
9 नवंबर 2016ः सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई.
16 दिसंबर 2016ः तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार के फैसले की वैधता और अन्य सवालों को विचारार्थ पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ के पास भेजा.
11 अगस्त 2017ः भारतीय रिजर्व बैंक के दस्तावेज के अनुसार नोटबंदी के दौरान 1.7 लाख करोड़ रुपए की असामान्य राशि जमा हुई.
23 जुलाई 2017ः केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पिछले तीन सालों में आयकर विभाग की ओर से बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई से करीब 71,941 करोड़ रुपए की 'अघोषित आय' का पता चला.
25 अगस्त 2017ः रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 50 रुपए और 200 रुपए के नए नोट जारी किए.
28 सितंबर 2022ः सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में न्यायमूर्ति एसए नजीर की अध्यक्षता में संविधान पीठ का गठन किया.
7 दिसंबर 2022ः सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा. केंद्र एवं आरबीआई को संबंधित दस्तावेज विचारार्थ रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया.
2 जनवरी 2023ः सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने नोटबंदी के फैसले को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया. पीठ ने कहा कि नोटबंदी की निर्णय प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी. पीठ ने ये भी कहा कि आर्थिक मामले में संयम बरतने की जरूरत होती है. अदालत सरकार के फैसले की न्यायिक समीक्षा करके उसके ज्ञान को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती.
2 जनवरी 2023ः न्यायाधीश बीवी नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति जताते हुए कहा कि 500 और 1000 रुपए की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने का फैसला गजट अधिसूचना के बजाए कानून के जरिए लिया जाना चाहिए था, क्योंकि इतने महत्वपूर्ण मामले से संसद को अलग नहीं रखा जा सकता.