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देहरादून: सीएम ने पेयजल अनुश्रवण परिषद की ली बैठक, कार्यों में गुणवत्ता के दिये निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखंड राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण परिषद की बैठक की गयी. बैठक में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पेयजल योजनाओं के बेहतर संचालन और पेयजल आपूर्ति में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिये हैं.

Dehradun Secretariat
देहरादून हिंदी न्यूज
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Published : Nov 17, 2020, 10:43 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पेयजल योजनाओं के बेहतर संचालन और पेयजल आपूर्ति में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिये हैं. पेयजल लाइनों को क्षतिग्रस्त होने से बचाये जाने के लिये पाइप लाइन को जमीन से दो फीट नीचे से रखे जाने पर विशेष ध्यान और पेयजल योजनाओं के लिये चिन्हित कार्यदायी संस्था की जानकारी, ठेकेदार का नाम, लागत आदि के बोर्ड भी योजना स्थल पर लगाये जाने के निर्देश दिये हैं, जिससे लोगों को जानकारी रहे कि योजना का निर्माण किसके द्वारा किया गया है, ताकि उसमें कमी पाए जाने पर स्थानीय लोगों द्वारा उसकी शिकायत की जा सके.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखंड राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण परिषद की बैठक की गयी. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिंचाई विभाग को ट्यूबवेल एवं पंपों का स्वामित्व जल निगम को दिये जाने के भी निर्देश दिये, ताकि सिंचाई के साथ इनके माध्यम से पेयजल की भी आपूर्ति की जा सके.

मुख्यमंत्री ने पेयजल से जुड़े अभियंताओं को सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में संचालित योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण के भी निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा कि योजनाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिये जाने के साथ ही यह व्यवस्था बनायी जाए, जिससे बड़ी योजनाओं के मेंटेनेंस का कार्य भी 2 साल तक कार्यदायी संस्था के स्तर पर किया जा सके.

गांवों में पेयजल योजनाओं के रख-रखाव और प्लम्बर कार्य के लिये स्थानीय युवाओं का कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में जनहित का ध्यान सर्वोपरि रखा जाए. जिस मकसद से योजना बनायी जाती है वह पूरी हुई या नहीं अथवा उसका लाभ जब तक लाभार्थी को नहीं मिल जाता, तब तक वह मकसद पूरा नहीं हो सकता है. मुख्यमंत्री ने परिषद की बैठकों में वन विभाग के अधिकारियों को शामिल होने के भी निर्देश दिये.

पढ़ें- बुधवार को त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल की अहम बैठक, कई अहम प्रस्तावों पर लगेगी मुहर

वहीं, पेयजल अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष रिपुदमन सिंह रावत ने पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने की दशा में उसकी तुरंत मरम्मत कराने के लिए कहा है. साथ ही जिन गांवों में जल स्त्रोत गांवों के नीचे हैं वहां पर सोलर पम्पिंग की व्यवस्था किये जाना सुनिश्चित किया है. विभाग में अभियंताओं की नियुक्ति के साथ ही जिन पेयजल योजनाओं का निर्माण ग्राम समूह द्वारा अपने संसाधनों से किया जा रहा है. उन्हें आर्थिक मदद पर विचार करने की बात कही है.

बैठक में सचिव पेयजल नितेश झा ने विभागीय स्तर पर संचालित कार्यक्रमों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि साल 2022 तक हर घर को नल से जोड़ने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभागीय स्तर पर तैयार की गई कार्य योजना के तहत कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी पेयजल कनेक्शन लगाये जाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है.

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पेयजल योजनाओं के बेहतर संचालन और पेयजल आपूर्ति में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिये हैं. पेयजल लाइनों को क्षतिग्रस्त होने से बचाये जाने के लिये पाइप लाइन को जमीन से दो फीट नीचे से रखे जाने पर विशेष ध्यान और पेयजल योजनाओं के लिये चिन्हित कार्यदायी संस्था की जानकारी, ठेकेदार का नाम, लागत आदि के बोर्ड भी योजना स्थल पर लगाये जाने के निर्देश दिये हैं, जिससे लोगों को जानकारी रहे कि योजना का निर्माण किसके द्वारा किया गया है, ताकि उसमें कमी पाए जाने पर स्थानीय लोगों द्वारा उसकी शिकायत की जा सके.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में उत्तराखंड राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण परिषद की बैठक की गयी. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिंचाई विभाग को ट्यूबवेल एवं पंपों का स्वामित्व जल निगम को दिये जाने के भी निर्देश दिये, ताकि सिंचाई के साथ इनके माध्यम से पेयजल की भी आपूर्ति की जा सके.

मुख्यमंत्री ने पेयजल से जुड़े अभियंताओं को सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में संचालित योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण के भी निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा कि योजनाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिये जाने के साथ ही यह व्यवस्था बनायी जाए, जिससे बड़ी योजनाओं के मेंटेनेंस का कार्य भी 2 साल तक कार्यदायी संस्था के स्तर पर किया जा सके.

गांवों में पेयजल योजनाओं के रख-रखाव और प्लम्बर कार्य के लिये स्थानीय युवाओं का कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में जनहित का ध्यान सर्वोपरि रखा जाए. जिस मकसद से योजना बनायी जाती है वह पूरी हुई या नहीं अथवा उसका लाभ जब तक लाभार्थी को नहीं मिल जाता, तब तक वह मकसद पूरा नहीं हो सकता है. मुख्यमंत्री ने परिषद की बैठकों में वन विभाग के अधिकारियों को शामिल होने के भी निर्देश दिये.

पढ़ें- बुधवार को त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल की अहम बैठक, कई अहम प्रस्तावों पर लगेगी मुहर

वहीं, पेयजल अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष रिपुदमन सिंह रावत ने पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने की दशा में उसकी तुरंत मरम्मत कराने के लिए कहा है. साथ ही जिन गांवों में जल स्त्रोत गांवों के नीचे हैं वहां पर सोलर पम्पिंग की व्यवस्था किये जाना सुनिश्चित किया है. विभाग में अभियंताओं की नियुक्ति के साथ ही जिन पेयजल योजनाओं का निर्माण ग्राम समूह द्वारा अपने संसाधनों से किया जा रहा है. उन्हें आर्थिक मदद पर विचार करने की बात कही है.

बैठक में सचिव पेयजल नितेश झा ने विभागीय स्तर पर संचालित कार्यक्रमों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि साल 2022 तक हर घर को नल से जोड़ने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभागीय स्तर पर तैयार की गई कार्य योजना के तहत कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों में भी पेयजल कनेक्शन लगाये जाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है.

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