देहरादून: प्रदेश के सभी जनपदों में बालिका दर में सुधार लाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना लाई गई है. इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री जनता दर्शन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया. इससे पहले इस योजना का शुभारंभ पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की ओर से बीती 30 जून को किया जाना था, लेकिन प्रदेश में अचानक राजनीतिक परिवर्तन होने के चलते इसका शुभारंभ टाल दिया गया था.
क्या है महालक्ष्मी किट योजना: इस योजना के तहत गर्भवती महिला के साथ ही पैदा होने वाली नवजात बालिकाओं के बेहतर स्वास्थ्य लाभ के लिए विशेष किट प्रदान की जा रही है. मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना के अंतर्गत मां एवं 2 नवजात बालिकाओं/जुड़वा बालिकाओं के जन्म पर महालक्ष्मी किट प्रदान की जा रही है. इसमें जच्चा-बच्चा से संबंधित विभिन्न प्रकार की वस्तुएं जैसे कंबल, बच्चे और मां के कपड़े और ड्राई फ्रूट्स इत्यादि शामिल हैं. इसके साथ ही इस एक किट में नवजात बालिका के टीकाकरण से संबंधित जानकारी भी उपलब्ध है.
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि प्रदेश भर में 16 हजार से ज्यादा महिलाओं को वर्चुअल माध्यम से मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट का वितरण किया गया. एक साल में 50 हजार से ज्यादा महिलाओं को यह किट बांटने का लक्ष्य रखा गया है.
![mahalaxmi scheme](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12486453_mahalaxmi2.jpg)
बात अगर मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना के उद्देश्यों की करें तो इसमें संस्थागत प्रसव के दौरान बालिका दर को बढ़ावा देना पहली प्राथमिकता है. मातृ मृत्यु दर एवं बालिका मृत्यु दर में कमी लाना भी इसका प्रमुख कारण है. प्रसव के समय मां एवं बालिका को आवश्यक सामग्री प्रदान करना, जिससे मां एवं बालिका की अतिरिक्त देखभाल की जा सके, उस लिहाज से भी ये योजना काफी लाभदायक है.
स्तनपान के बारे में जानकारी विशेषकर नवजात बालिका को पहले एक घंटे के अंदर स्तनपान कराए जाने के संबंध में प्रसव उपरांत स्वच्छता के बारे में जागरूक करना भी इस योजना का मुख्य उद्देश्य है.
![mahalaxmi scheme](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/12486453_mahalaxmi1.jpg)
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अगर कोई गर्भवती महिला मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना का लाभ लेना चाहती है, तो इसके लिए संबंधित गर्भवती महिला का आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकरण करवाना होगा. इसके साथ ही उत्तराखण्ड का स्थायी निवासी होना भी अति आवश्यक है.