देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा सरकार अपने 100 दिनों का उत्सव भी मना चुकी है और आगामी योजनाओं का खाका भी रख चुकी है. लेकिन हैरत की बात ये है कि तीन महीने से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की टीम तय नहीं हो पाई है. अभी तक सीएम के सलाहकार, विशेष कार्याधिकारी और पीआरओ को लेकर कोई सूची जारी नहीं हुई है.
दोबारा सीएम बने धामी: पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर राज्य के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया है. एक युवा मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी वापसी से लोगों को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं. लेकिन छोटे-छोटे कुछ ऐसे फैसले भी हैं, जिनको लेकर मुख्यमंत्री धामी विपक्ष की निगाहों में कमजोर दिखने लगे हैं. दरअसल धामी इतने महीनों में भी अपनी निजी टीम का गठन नहीं कर पाए हैं.
सीएम की टीम पर जानकारों की राय: जानकारों का मानना है कि बतौर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बेहतर समन्वय और अलग-अलग कामों की जिम्मेदारी के लिए सलाहकार से लेकर विशेष कार्याधिकारी और पीआरओ की टीम का गठन कर लेना चाहिए था. वहीं, विपक्ष ने इसको लेकर धामी पर सवाल खड़े किए हैं कि जो मुख्यमंत्री अपनी निजी टीम का ही गठन नहीं कर पा रहा है, वह प्रदेश के विकास को लेकर बड़े फैसले लेने में कैसे सक्षम हो सकता है.
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कांग्रेस ने सीएम धामी को घेरा: कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट ने कहा जो सरकार दिल्ली से चलती है, उसके लिए छोटे-छोटे निर्णय लेने के लिए भी दिल्ली से ही इजाजत लेनी होती है. इसीलिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने सलाहकारों और स्टाफ की नियुक्ति नहीं कर पा रहे हैं.
पुराने लोगों को नई टीम में जगह नहीं: खबरों की मानें तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी पुरानी टीम के कई सदस्यों को रिपीट करने के मूड में नहीं हैं. हालांकि, पुरानी टीम से जुड़े कई लोगों द्वारा मुख्यमंत्री की नई टीम में भी शामिल होने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इस बीच विपक्ष का मुख्यमंत्री धामी की निर्णय क्षमता पर सवाल उठाना बेहद गंभीर माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री की टीम का कई मामलों में बेहद अहम रोल होता है और महीनों तक इन नामों पर भी कोई अंतिम फैसला ना हो पाना कई इशारे भी करता है.
नई टीम को लेकर बीजेपी का तर्क: भारतीय जनता पार्टी इस मामले पर अपना अलग तर्क रख रही है. बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री की टीम बेहद सटीक होनी चाहिए. लिहाजा कई दौर की वार्ता के बाद विभिन्न नामों पर चर्चा की गई है. जल्द ही नई टीम के नामों का फैसला कर लिया जाएगा.
टीम गठन में देरी पर कांग्रेस का सवाल: नई टीम गठन में देरी को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर सवाल उठा रही है. माना जा रहा है कि पहली पारी में खराब परफॉर्मेंस और सवालों के घेरे में आने वाले लोगों को मुख्यमंत्री अपनी टीम का हिस्सा नहीं बनाना चाहते. उधर जाहिर तौर पर कुछ लॉबी ऐसी भी हैं, जो करीबियों को मुख्यमंत्री के करीब पहुंचाने के लिए सिफारिशों का सहारा भी लेती हैं. ऐसे में देखना होगा कि कब तक मुख्यमंत्री अपनी इस नई टीम को तय कर पाएंगे और कब तक सरकार पूरी ताकत के साथ जनता के बीच विकास को लेकर अपनी टीम के साथ दिखाई देगी ?