देहरादून: देशभर में लागू आदर्श आचार संहिता की वजह से विकास कार्यों पर रोक लगी हुई है. हालांकि, उत्तराखंड में पहले चरण में ही लोकसभा चुनाव की पांचों सीटों के लिए मतदान हो चुके हैं. लेकिन आदर्श आचार संहिता की वजह से प्रदेश में विकास कार्य नहीं किये जा सकते हैं. एक ओर आचार संहिता चारधाम यात्रा के लिए रोड़ा बन गई है. वहीं, दूसरी ओर राज्य में बरसात शुरू होने की वजह से सड़कें नालों में तब्दील होने लगी हैं, लेकिन सरकार किसी तरह का कार्य आचार संहिता की वजह से नहीं कर रही है. इस गंभीर स्थिति को ध्यान में देखते हुए राज्य सरकार ने आचार संहिता के दौरान ठप पड़े विकास कार्यों को गति देने की निर्वाचन आयोग से अनुमति मांगी है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि सरकार लगातार निर्वाचन आयोग के संपर्क में है. चुनाव आयोग से अनुरोध कर उनसे विकास कार्यों के लिए अनुमति मांगी जा रही है. उम्मीद है कि जल्द आयोग की तरफ से उन्हें अनुमति दे दी जाएगी, जिससे वो जरूरी कार्य कर सकेंगे.
दरअसल, उत्तराखंड मे बारिश का सीजन कई चुनौतियां लेकर आता है. एक ओर बरसात के चलते प्रदेश में हर साल भारी नुकसान होता है तो इस मौसम में राज्य के सभी विकास कार्य पूरी तरह ठप पड़ जाते हैं. यूं तो उत्तराखंड में 15 जून के बाद बरसात का मौसम शुरू होता है. लेकिन बीते दिनों उत्तराखंड में झमाझम हुई बारिश की वजह से नालों का पानी पूरा सड़कों पर आ गया. लेकिन सरकार के हाथ आदर्श आचार संहिता की वजह से बंधे हुए हैं.
खास बात यह है कि मई माह के शुरुआत में उत्तराखंड में चारों धाम के कपाट खुलने हैं. इसी के साथ ही प्रदेश में चार धाम यात्रा की शुरुआत होगी. ऐसे में इससे पहले ही यात्रा की तैयारियों के लिए तमाम तरह के विकास कार्यों को पूरा करना सरकार के लिए चुनौती होती है. लेकिन, इस बार चुनावी आचार संहिता के चलते सरकार आधे-अधूरे कामों को पूरा नहीं करवा पा रही है. इसी को देखते हुए सरकार ने अब निर्वाचन आयोग से अनुमति मांग कर तमाम विकास कार्यों को पूरे करने की दिशा में एक पहल की है.