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उत्तराखंड की बर्फीली चोटियों पर लापरवाही ट्रेकर्स के लिए बन रही आफत, एडवेंचर पॉलिसी की जरूरत - एडवेंचर पॉलिसी की जरूरत

उत्तराखंड की चोटियों को फतह करने के लिए पर्वतारोहियों की दिलचस्पी पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है. इसी के तहत उच्च हिमालयी क्षेत्रों के ग्लेशियरों में घटनाएं भी देखने को मिली हैं. लिहाजा घटती घटनाओं को देखते हुए एडवेंचर पॉलिसी की जरूरत अब होने लगी है.

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एडवेंचर पॉलिसी
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Published : Jun 2, 2022, 2:00 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 2:14 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड की बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ने का ट्रेंड पिछले कुछ सालों में बेहद तेज गति से बढ़ा है. लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि जितनी तेजी से उत्तराखंड की चोटियों को फतह करने के लिए पर्वतारोही पहुंच रहे हैं, उतनी ही तेज गति से उच्च हिमालयी क्षेत्रों के ग्लेशियरों में घटनाएं भी बढ़ी हैं. लिहाजा किसी बर्फीले ट्रैक पर चढ़ाई करने से पहले कुछ जानकारियां होना बेहद जरूरी है. या फिर ये कहें कि एक सख्त एडवेंचर पॉलिसी की जरूरत है.

एडवेंचर पॉलिसी की जरूरतः उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म को लगातार नया आयाम मिल रहा है. विदेशों से ही नहीं, बल्कि अब देश और आसपास के इलाकों के लोग भी एडवेंचर टूरिज्म में खासा रुचि दिखा रहे हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में ट्रेकिंग, माउंटेनियरिंग, स्कीइंग जैसी साहसिक गतिविधियों में काफी इजाफा देखने को मिला है. साहसिक खेलों को सरकार भी अपनी तरफ से खूब बढ़ावा दे रही है. लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में घटती घटनाओं को देखते हुए सेफ्टी मेजरमेंट की जरूरत अब होने लगी है. लिहाजा सरकार को चाहिए कि साहसिक गतिविधियों को बढ़ाने से पहले सावधानियों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए. उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म को लेकर अभी तक कोई ठोस नीति नहीं है ना ही कोई पॉलिसी है. यही वजह है कि पिछले कुछ समय में कई दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं.
ये भी पढ़ेंः VIDEO: सविता कंसवाल ने 15 दिन में फतह किया एवरेस्ट-मकालू पर्वत, बनाया नेशनल रिकॉर्ड

इन बातों का रखें ख्यालः उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र और बर्फीले इलाकों मे जब भी कोई ट्रेकर फंसता है या फिर कोई दुर्घटना होती है तो प्रदेश की एसडीआरएफ टीम सर्च और रेस्क्यू अभियान में सबसे आगे होती है. लिहाजा डीआईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल का कहना है कि पिछले कुछ सालों में एडवेंचर टूरिज्म को लेकर काफी जोश देखने को मिला है और अब पहले की तुलना में ज्यादा लोग उत्तराखंड में ट्रेकिंग के अलावा बर्फीली चोटियों पर क्लाइंबिंग कर रहे हैं.

इमरजेंसी नंबर पर करें कॉलः यही वजह है कि दुर्घटनाएं भी ज्यादा हो रही हैं. इसी को देखते हुए डीआईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने बर्फीली चोटियों पर ट्रेक करने वाले सभी एडवेंचर प्रेमियों को सुझाव दिया है कि वह हेल्थ कंडीशन खराब होने और जरूरी ट्रेनिंग के बिना ट्रेक ना करें और एक कुशल ट्रेकर की तरह ही अपने सभी सेफ्टी मेजरमेंट के साथ वेदर फोरकास्ट का ख्याल रखें. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसी भी परिस्थिति में दुर्घटना होती है तो इमरजेंसी नंबर 1070, 0135-2710334 हमेशा ध्यान रखें ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर जल्द से जल्द मदद को बुलाया जा सके.

देहरादूनः उत्तराखंड की बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ने का ट्रेंड पिछले कुछ सालों में बेहद तेज गति से बढ़ा है. लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि जितनी तेजी से उत्तराखंड की चोटियों को फतह करने के लिए पर्वतारोही पहुंच रहे हैं, उतनी ही तेज गति से उच्च हिमालयी क्षेत्रों के ग्लेशियरों में घटनाएं भी बढ़ी हैं. लिहाजा किसी बर्फीले ट्रैक पर चढ़ाई करने से पहले कुछ जानकारियां होना बेहद जरूरी है. या फिर ये कहें कि एक सख्त एडवेंचर पॉलिसी की जरूरत है.

एडवेंचर पॉलिसी की जरूरतः उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म को लगातार नया आयाम मिल रहा है. विदेशों से ही नहीं, बल्कि अब देश और आसपास के इलाकों के लोग भी एडवेंचर टूरिज्म में खासा रुचि दिखा रहे हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में ट्रेकिंग, माउंटेनियरिंग, स्कीइंग जैसी साहसिक गतिविधियों में काफी इजाफा देखने को मिला है. साहसिक खेलों को सरकार भी अपनी तरफ से खूब बढ़ावा दे रही है. लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में घटती घटनाओं को देखते हुए सेफ्टी मेजरमेंट की जरूरत अब होने लगी है. लिहाजा सरकार को चाहिए कि साहसिक गतिविधियों को बढ़ाने से पहले सावधानियों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए. उत्तराखंड में एडवेंचर टूरिज्म को लेकर अभी तक कोई ठोस नीति नहीं है ना ही कोई पॉलिसी है. यही वजह है कि पिछले कुछ समय में कई दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं.
ये भी पढ़ेंः VIDEO: सविता कंसवाल ने 15 दिन में फतह किया एवरेस्ट-मकालू पर्वत, बनाया नेशनल रिकॉर्ड

इन बातों का रखें ख्यालः उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र और बर्फीले इलाकों मे जब भी कोई ट्रेकर फंसता है या फिर कोई दुर्घटना होती है तो प्रदेश की एसडीआरएफ टीम सर्च और रेस्क्यू अभियान में सबसे आगे होती है. लिहाजा डीआईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल का कहना है कि पिछले कुछ सालों में एडवेंचर टूरिज्म को लेकर काफी जोश देखने को मिला है और अब पहले की तुलना में ज्यादा लोग उत्तराखंड में ट्रेकिंग के अलावा बर्फीली चोटियों पर क्लाइंबिंग कर रहे हैं.

इमरजेंसी नंबर पर करें कॉलः यही वजह है कि दुर्घटनाएं भी ज्यादा हो रही हैं. इसी को देखते हुए डीआईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने बर्फीली चोटियों पर ट्रेक करने वाले सभी एडवेंचर प्रेमियों को सुझाव दिया है कि वह हेल्थ कंडीशन खराब होने और जरूरी ट्रेनिंग के बिना ट्रेक ना करें और एक कुशल ट्रेकर की तरह ही अपने सभी सेफ्टी मेजरमेंट के साथ वेदर फोरकास्ट का ख्याल रखें. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसी भी परिस्थिति में दुर्घटना होती है तो इमरजेंसी नंबर 1070, 0135-2710334 हमेशा ध्यान रखें ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर जल्द से जल्द मदद को बुलाया जा सके.

Last Updated : Jun 2, 2022, 2:14 PM IST
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