देहरादूनः राजधानी दून में सिटी बसों को दोगुना किराया वसूलने के साथ संचालन की अनुमति तो मिल गई है, लेकिन विक्रम और ई-रिक्शा के डग्गामार वाहनों की वजह से उनकी हालत बदतर हो गई है. ऐसे में उन्हें लॉकडाउन के चलते हुए घाटे से उभरने का मौका तक नहीं मिल पा रहा है. इसी कड़ी में सिटी बस यूनियन ने आरटीओ से मुलाकात एक ज्ञापन सौंपा. जिसमें उन्होंने कहा है कि टेंपों, विक्रम और ई-रिक्शा से न्यायालय के आदेशों का अनुपालन कराया जाए. ऐसा नहीं होने पर 10 दिन बाद वो अपनी गाड़ियों को सरेंडर कर देंगे. साथ ही उन्होंने होईकोर्ट जाने की भी चेतावनी दी.
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान देहरादून शहर में सार्वजनिक बस सेवा पूरी तरह से प्रतिबंधित रही. जिसके बाद अनलॉक-1.0 में राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी कर 50 फीसदी सवारी के हिसाब से सिटी बसों के संचालन की अनुमति दी, लेकिन सिटी बस यूनियन ने बस संचालित करने से मना कर दिया था. जबकि, ऑटो और विक्रम 50 फीसदी सवारी की गाइडलाइन के अनुरूप संचालित हो गए.
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वहीं, बीते 18 जून को कैबिनेट बैठक में सिटी बसों को दोगुना किराये के साथ संचालित करने की अनुमति दी. जिसके बाद यूनियन ने बसों का संचालन शुरू कर दिया था, लेकिन विक्रम और ऑटो न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए फुटकर सवारियों को बैठने का काम कर रहे हैं. जिस कारण सिटी बसों को सवारी नहीं मिल पा रही है. उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है.
गौर हो कि, नैनीताल हाईकोर्ट ने बीते 27 मई 2014 में टेपों और विक्रम को फुटकर सवारियों के चढ़ाने व उतराने पर रोक लगाई थी. सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडियाल ने बताया कि आरटीओ को सिटी बस संचालकों की आर्थिक स्थिति से अवगत कराया गया है. जिसमें उन्होंने विक्रम और ई-रिक्शा की डग्गामारी बंद करने को कहा है. साथ ही आरटीओ को 10 दिन का अल्टीमेटम भी दिया गया है. उसके बाद कार्रवाई नहीं होने पर वो हाईकोर्ट की शरण में जाएंगे.