ETV Bharat / state

आज भी बालश्रम करने को मजबूर हैं मासूम - मध्यप्रदेश में बालश्रम करते बच्चे

सरकार के लाख दावों के बाद भी प्रदेश भर में बाल मजदूरी के मामले आए दिन सामने आ रहे है. इस पर आकड़ों की बात की जाए तो प्रदेश में सात लाख बच्चे बाल मजदूरी कर रहे है.

आखिर कब खत्म होगा बालश्रम
author img

By

Published : Nov 14, 2019, 8:16 AM IST

Updated : Nov 14, 2019, 8:30 AM IST

भोपालः बाल श्रम को लेकर सरकार चाहे कितने भी दावे कर ले पर अभी भी कहीं न कहीं 14 साल से कम उम्र वाले बच्चों से काम कराया जाता है या फिर गरीबी के चलते वह खुद काम करने को मजबूर होते हैं. अब भी बच्चे सिग्नल, चौराहों पर पेपर बेचते हुए मिल जाते हैं तो कहीं होटल, ढाबों में भी काम करते दिखाई देते हैं. कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि घर में माता-पिता के न होने के कारण भी बच्चों को ऐसे काम करना पड़ता है.

MIKITA
आकड़ों में बालश्रम के मामले.

अगर आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में बालश्रम के आंकड़े चौकाने वाले है. 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में 7 लाख बच्चे बाल मजदूरी करते बताए गए थे. इनमें प्रदेश के पांच बड़े जिले धार, भोपाल, रीवा, इंदौर और अलीराजपुर का नाम सबसे आगे है.

केएससीएफ के मुताबिक बाल मजदूरी के अंदर रजिस्टर होने वाले केस की संख्या 2017 तक 509 प्रतिशत बढ़ी है. 2017 में रजिस्टर होने वाले केस की संख्या 1121 जिसमें लगभग हर जिले से तीन केस दर्ज किए गए हैं.वहीं बाल मजदूरी रोकने में केंद्र और राज्य सरकारें दोनों नाकाम साबित हुई है. यानि मध्यप्रदेश में कुल सात लाख बच्चे बाल मजदूरी अभी भी कर रहे हैं.

आखिर कब खत्म होगा बालश्रम

हर सरकार की कोशिश होनी चाहिए की ऐसी योजनाओं को बनाया जाए जो इन बच्चों के लिए बेहतर साबित हों, किसी भी स्थिति में वो बालश्रम करने को मजबूर न हों, सरकारें कई आती जाती रहती हैं लेकिन इन मासूमों को समस्याएं जस के तस रहती हैं. ऐसे यही सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार वाकई में इस मुद्दे को लेकर गंभीर है ?

बाल श्रम वे है जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से अलग कर देता है और जो बच्चों के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से हानिकारक है. बालश्रम में काम करने वाला व्यक्ति कानून की निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है. इस स्थिति में सुधार के लिए सरकार ने 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया. जिसके तहत बाल मजदूरी या बाल श्रम को अपराध माना गया औप रोजगार पाने की न्यूनतम आयु 14 वर्ष कर दी गई.

भोपालः बाल श्रम को लेकर सरकार चाहे कितने भी दावे कर ले पर अभी भी कहीं न कहीं 14 साल से कम उम्र वाले बच्चों से काम कराया जाता है या फिर गरीबी के चलते वह खुद काम करने को मजबूर होते हैं. अब भी बच्चे सिग्नल, चौराहों पर पेपर बेचते हुए मिल जाते हैं तो कहीं होटल, ढाबों में भी काम करते दिखाई देते हैं. कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि घर में माता-पिता के न होने के कारण भी बच्चों को ऐसे काम करना पड़ता है.

MIKITA
आकड़ों में बालश्रम के मामले.

अगर आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में बालश्रम के आंकड़े चौकाने वाले है. 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में 7 लाख बच्चे बाल मजदूरी करते बताए गए थे. इनमें प्रदेश के पांच बड़े जिले धार, भोपाल, रीवा, इंदौर और अलीराजपुर का नाम सबसे आगे है.

केएससीएफ के मुताबिक बाल मजदूरी के अंदर रजिस्टर होने वाले केस की संख्या 2017 तक 509 प्रतिशत बढ़ी है. 2017 में रजिस्टर होने वाले केस की संख्या 1121 जिसमें लगभग हर जिले से तीन केस दर्ज किए गए हैं.वहीं बाल मजदूरी रोकने में केंद्र और राज्य सरकारें दोनों नाकाम साबित हुई है. यानि मध्यप्रदेश में कुल सात लाख बच्चे बाल मजदूरी अभी भी कर रहे हैं.

आखिर कब खत्म होगा बालश्रम

हर सरकार की कोशिश होनी चाहिए की ऐसी योजनाओं को बनाया जाए जो इन बच्चों के लिए बेहतर साबित हों, किसी भी स्थिति में वो बालश्रम करने को मजबूर न हों, सरकारें कई आती जाती रहती हैं लेकिन इन मासूमों को समस्याएं जस के तस रहती हैं. ऐसे यही सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार वाकई में इस मुद्दे को लेकर गंभीर है ?

बाल श्रम वे है जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और उनकी गरिमा से अलग कर देता है और जो बच्चों के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से हानिकारक है. बालश्रम में काम करने वाला व्यक्ति कानून की निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है. इस स्थिति में सुधार के लिए सरकार ने 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया. जिसके तहत बाल मजदूरी या बाल श्रम को अपराध माना गया औप रोजगार पाने की न्यूनतम आयु 14 वर्ष कर दी गई.

Intro:Body:

MIKITA 


Conclusion:
Last Updated : Nov 14, 2019, 8:30 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.