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यूपीसीएल के निदेशक और उनकी पत्नी को बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भेजा नोटिस - UPCL Department

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिकायत किए जाने के आधार पर उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक एचआर और उनकी पत्नी को आयोग ने नोटिस जारी किया है.

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भेजा नोटिस
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Published : Nov 7, 2020, 6:41 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिकायत किए जाने के आधार पर उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक एचआर और उनकी पत्नी को आयोग ने नोटिस जारी किया है. साथ ही 23 नवंबर तक हाजिर होने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, इस मामले में कर्मचारी की पत्नी ने वर्ष 2019 में पटेलनगर कोतवाली में इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी. इसके साथ ही मानव अधिकार आयोग को भी पत्र लिखा था.

आयोग के निजी सचिव की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि आयोग को शिकायत मिली है कि विद्युत उपभोक्ता समिति के माध्यम से वर्ष 2008 से बिजली विभाग में लाइन श्रमिक के पद पर तैनात कर्मचारी से निदेशक एचआर और उनकी पत्नी द्वारा विभागीय कार्यों से हटाकर उससे घरेलू काम कराया जा रहा था. आरोप है कि कार्य न करने प्रताड़ित किया जा रहा है.

कर्मचारी की नौकरी से हटने के बाद अब कर्मचारी के घर की स्थिति काफी दयनीय हो गई है, क्योंकि कर्मचारी के पास अब कोई आय का साधन नही है. जिसके चलते कर्मचारी की पांच वर्षीय बेटी की देखभाल व स्कूल फीस जमा नहीं हो पा रही है.

ये भी पढ़ें : उत्तराखंड में पलंबर के लिए सरकार का बड़ा प्लान, राज्य स्थापना पर होगी घोषणा

हालांकि कर्मचारी की पत्नी द्वारा यह आरोप लगाए गए हैं कि निदेशक के घर में काम करने के लिए विभाग के अधिशासी अभियंता, उपखंड अधिकारी, अपर अभियंता सहित अन्य अधिकारियों द्वारा कर्मचारी पर दबाव बनाया जाता रहा है. जिसके चलते मजबूरी में कर्मचारी को निदेशक एचआर के घर काम करना पड़ रहा था.

देहरादून: उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिकायत किए जाने के आधार पर उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक एचआर और उनकी पत्नी को आयोग ने नोटिस जारी किया है. साथ ही 23 नवंबर तक हाजिर होने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, इस मामले में कर्मचारी की पत्नी ने वर्ष 2019 में पटेलनगर कोतवाली में इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी. इसके साथ ही मानव अधिकार आयोग को भी पत्र लिखा था.

आयोग के निजी सचिव की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि आयोग को शिकायत मिली है कि विद्युत उपभोक्ता समिति के माध्यम से वर्ष 2008 से बिजली विभाग में लाइन श्रमिक के पद पर तैनात कर्मचारी से निदेशक एचआर और उनकी पत्नी द्वारा विभागीय कार्यों से हटाकर उससे घरेलू काम कराया जा रहा था. आरोप है कि कार्य न करने प्रताड़ित किया जा रहा है.

कर्मचारी की नौकरी से हटने के बाद अब कर्मचारी के घर की स्थिति काफी दयनीय हो गई है, क्योंकि कर्मचारी के पास अब कोई आय का साधन नही है. जिसके चलते कर्मचारी की पांच वर्षीय बेटी की देखभाल व स्कूल फीस जमा नहीं हो पा रही है.

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हालांकि कर्मचारी की पत्नी द्वारा यह आरोप लगाए गए हैं कि निदेशक के घर में काम करने के लिए विभाग के अधिशासी अभियंता, उपखंड अधिकारी, अपर अभियंता सहित अन्य अधिकारियों द्वारा कर्मचारी पर दबाव बनाया जाता रहा है. जिसके चलते मजबूरी में कर्मचारी को निदेशक एचआर के घर काम करना पड़ रहा था.

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