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बाल आयोग जुटा रहा अनाथ बच्चों की जानकारी, अबतक मिले 139 बच्चे

कोविड काल में अनाथ 139 बच्चों की जानकारी बाल आयोग तक पहुंच चुकी है, इसमें ज्यादातर बच्चे देहरादून हरिद्वार और उधम सिंह नगर जनपद के हैं.

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Published : Jun 3, 2021, 8:41 PM IST

President Usha Negi
President Usha Negi

देहरादून: कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोकर अनाथ हो चुके बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए राज्य सरकार वात्सल्य योजना लेकर आई है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार के पास अब तक कोरोना का हाल में अनाथ हुए बच्चों का सही आंकड़ा ही नहीं है. ऐसे में किस तरह बच्चों तक इस योजना का लाभ पहुंचेगा यह बड़ा सवाल है ?

बाल आयोग को मिली 139 अनाथ बच्चों की जानकारी.

ETV Bharat ने जब इस विषय में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी से बात की तो उन्होंने भी इस विषय पर चिंता जाहिर की. साथ ही सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार इस विषय में आंगनबाड़ी वर्करों के माध्यम से डोर-टू-डोर सर्वे कराए, जिससे यदि किसी गांव या कस्बे में ऐसे बच्चे हैं तो उनका पता चल सके.

पढ़ें- ग्रामीणों के अनुशासन के आगे कोरोना भी फेल! उत्तराखंड के इस गांव में कोरोना की NO ENTRY

ऊषा नेगी ने बताया कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग अपने स्तर से भी ऐसे बच्चों का पता लगाने का प्रयास कर रहा है. ऐसे में अब तक उनकी ओर से कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की जा चुकी है, जिससे कई बातें उभर कर सामने आई है. वहीं, कई लोग उनसे संपर्क कर इस तरह के बच्चों की जानकारी दे रहे हैं. कोविड काल में अनाथ हुए 139 बच्चों की जानकारी उन तक पहुंच चुकी है, इसमें ज्यादातर बच्चे देहरादून हरिद्वार और उधम सिंह नगर जनपद के हैं.

देहरादून: कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोकर अनाथ हो चुके बच्चों के भविष्य को सुधारने के लिए राज्य सरकार वात्सल्य योजना लेकर आई है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार के पास अब तक कोरोना का हाल में अनाथ हुए बच्चों का सही आंकड़ा ही नहीं है. ऐसे में किस तरह बच्चों तक इस योजना का लाभ पहुंचेगा यह बड़ा सवाल है ?

बाल आयोग को मिली 139 अनाथ बच्चों की जानकारी.

ETV Bharat ने जब इस विषय में बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी से बात की तो उन्होंने भी इस विषय पर चिंता जाहिर की. साथ ही सरकार से अपील करते हुए कहा कि सरकार इस विषय में आंगनबाड़ी वर्करों के माध्यम से डोर-टू-डोर सर्वे कराए, जिससे यदि किसी गांव या कस्बे में ऐसे बच्चे हैं तो उनका पता चल सके.

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ऊषा नेगी ने बताया कि बाल अधिकार संरक्षण आयोग अपने स्तर से भी ऐसे बच्चों का पता लगाने का प्रयास कर रहा है. ऐसे में अब तक उनकी ओर से कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की जा चुकी है, जिससे कई बातें उभर कर सामने आई है. वहीं, कई लोग उनसे संपर्क कर इस तरह के बच्चों की जानकारी दे रहे हैं. कोविड काल में अनाथ हुए 139 बच्चों की जानकारी उन तक पहुंच चुकी है, इसमें ज्यादातर बच्चे देहरादून हरिद्वार और उधम सिंह नगर जनपद के हैं.

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