देहरादून: जंगलों में आग लगने की मुख्य वजह पिरूल के निस्तारण और अन्य उपयोग किए जाने को लेकर मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में मुख्य रूप से चर्चा की गई कि एक उत्पाद क्षेत्र से पिरूल को बाहर किया जाए, ताकि स्थानीय निवासियों को पिरूल एकत्र करने में सुविधा हो सके.
वहीं, मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जंगलों को आग से बचाने के लिए पिरूल का निस्तारण आवश्यक है. उन्होंने पिरूल के निस्तारण के लिए उसके विभिन्न उपयोगों पर शोध किए जाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि पिरूल से बिक्रेट बनाकर ईंधन के रूप में उपयोग की सम्भावनाएं तलाशी जाएं.
उन्होंने कहा कि प्रयोग के रूप में स्कूलों में मिड डे मील के लिए प्रयोग हो रहे रसोई गैस आदि के उपलब्ध न होने के समय इन बिक्रेट को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे पिरूल का उपयोग हो सकेगा, इस रोजगार से जुड़े लोगों को एक बाजार भी मिलेगा. साथ ही, जंगलों को आग से बचाया जा सकेगा.
उन्होंने पिरूल के निस्तारण के लिए अन्य राज्य क्या कर रहे हैं, इसका भी अध्ययन कराए जाने के निर्देश दिए. मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि पिरूल को वन उत्पाद की श्रेणी से बाहर किए जाने हेतु शीघ्र शासनादेश किया जाए. इससे पिरुल एकत्र करने वाले लोगों को पिरूल एकत्र करने में सुविधा होगी.
उन्होंने पिरूल से विद्युत उत्पादन हेतु लगाए गए प्लांट्स का खुद दौरा करने की भी बात कही, कहा कि पिरूल से विद्युत उत्पादन को व्यवहारिक बनाए जाने के लिए और क्या सुधार किया जा सकता है और पॉलिसी में और क्या बदलाव किया जा सकता है, इस पर भी विचार किया जाए.
इसके बाद मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में सोलर प्लांट लगाए जाने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. मुख्य सचिव ने कहा कि सभी सरकारी भवनों एवं स्कूलों की छत पर सोलर प्लांट्स लगाए जाने हेतु शीघ्र कार्रवाही सुनिश्चित की जाए, उन्होंने कहा कि एक ओर सोलर एनर्जी पर्यावरण के अनुकूल हैं. वहीं दूसरी ओर यह विद्युत व्यय को बहुत कम करने में सक्षम है. इसे पूरे प्रदेश में जहां भी संभव हो, सरकारी भवनों में शुरू कराया जाना चाहिए.