देहरादून: करोड़ों के घोटाले मामले में यूपीसीएल की जांच समिति द्वारा 13 इंजीनियर के खिलाफ चार्जशीट जारी किया गया है. जिसमें जूनियर इंजीनियर से लेकर मुख्य अभियंता तक शामिल है. यहां गौर करने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूरा मामला 16 वर्ष पहले का है. जिसे ऊर्जा सचिव राधिका के आदेश पर एक बार फिर जांच शुरू की गई थी.
दरअसल, साल 2004 में यूपीसीएल द्वारा एक कंपनी से बिजली घर बनाने और अन्य कामों के लिए 30 करोड़ रुपए के छह एग्रीमेंट किए गए थे. इस पर 28 करोड़ से ज्यादा का भुगतान हुआ, लेकिन यूपीसीएल के कुछ अफसरों ने कई काम एग्रीमेंट से बाहर जाकर कराए और भुगतान के वक्त दो करोड़ की फाइल रोक दी. जिसके बाद फाइल रोके जाने पर जब कंपनी कोर्ट पहुंची तो कोर्ट के निर्देश पर आर्बिट्रेटर नियुक्त हुए और 2 करोड़ रुपए के काम का 32 करोड़ के भुगतान का फैसला कंपनी के पक्ष में आ गया.
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उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार, यूपीसीएल को 32 करोड़ में से 30 करोड़ बिना किसी काम के ही देने हैं. कंपनी को भुगतान में जितनी देरी होगी यूपीसीएल को 12.50 ब्याज दर से पैसा चुकाना होगा. ऐसे में हर रोज एक लाख का जुर्माना बढ़ता जा रहा है.
पूरे मामले पर यूपीसीएल के जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच समिति द्वारा चार्जशीट जारी की गई है. उसमें मुख्य अभियंता आर एस अग्रवाल, जीएम मोहम्मद इकबाल, एसई डीएस खाती, मोहित जोशी, राहुल जैन, आरसी मयाल, ईई विरेंद्र सिंह पवार, वाईएस तोमर समेत तीन एई और दो जेई का नाम शामिल हैं.