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चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन प्रस्ताव को मंजूरी, तीर्थ पुरोहितों ने जताया आक्रोश - केदारनाथ यात्रा

प्रदेश सरकार ने वैष्णोदेवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. वहीं, तीर्थ पुरोहितों ने इस गठन के प्रस्ताव का विरोध जताया है.

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चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन प्रस्ताव को मंजूरी.
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Published : Nov 28, 2019, 5:46 PM IST

Updated : Nov 28, 2019, 5:58 PM IST

देहरादून: विश्व प्रसिद्ध चार धामों को वैष्णो देवी और बालाजी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड किए जाने के फैसले पर तीर्थ पुरोहितों ने अपना विरोध जाहिर किया है. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ऐसा होता है तो आगामी समय में एक उग्र आंदोलन किया जाएगा. उनका कहना है कि सरकार यदि ये फैसला उनपर थोपती है तो तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जा सकते हैं.

चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन प्रस्ताव को मंजूरी

दरअसल, उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है. इसके तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाएं अब चार धाम विकास बोर्ड के तहत संचालित होगी. ऐसे में अब वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर ही चार धाम की व्यवस्था संचालित होने जा रही है. वहीं, यमुनोत्री मंदिर समिति सचिव करतेश्वर उनियाल ने बताया कि सरकार ने इतना बड़ा निर्णय लिया है, लेकिन पंडा समाज को जानकारी तक नहीं दी गई.

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ये काला कानून सनातन संस्कृति को नष्ट करने वाला है. इसे हक हकूक धारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे. अगर सरकार अपने निर्णय में बदलाव नहीं करती है तो विधानसभा घेराव के साथ ही उग्र आंदोलन किया जाएगा. इस फैसले के खिलाफ चार धामों के कपाट खोले जाने का भी विरोध तक दर्ज कराया जाएगा.

ये भी पढ़ें: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट: दून में सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू, जाम लगाने वालों पर होगी कार्रवाई

समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि सरकार जिस तरह से काला कानून लाई है, उसकी जानकारी सरकार को नहीं है क्योंकि वैष्णो देवी और तिरुपति बाला की व्यवस्थाएं भिन्न है. जबकि, चार धामों की व्यवस्थाएं वैष्णो देवी से बिल्कुल अलग है. सरकार ने तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए बगैर बंद कमरे में यह फैसला लिया है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार तत्काल इस फैसले को वापस ले और तीर्थ पुरोहितों से वार्ता की जाए.

उन्होंने सतपाल महाराज पर हमला करते हुए कहा कि वो एक धार्मिक व्यक्ति हैं और उनके पास करोड़ों रुपयों की संपत्ति है. वो भी सिर्फ धर्म के नाम पर अर्जित की है. ऐसे में उनको सोचना चाहिए कि उन्होंने धर्म के नाम पर करोड़ों रुपये इकट्ठे कर लिए है. लेकिन, चारों धामों के हजारों परिवार के पेट में उन्होंने लात मार दी है. उनका आरोप है कि ये सरकार की चार धामों की व्यवस्थाओं को भंग करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में इस फैसले के खिलाफ आगामी समय में भारी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और सनातन धर्म को बचाने के लिए तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जाएंगे.

देहरादून: विश्व प्रसिद्ध चार धामों को वैष्णो देवी और बालाजी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड किए जाने के फैसले पर तीर्थ पुरोहितों ने अपना विरोध जाहिर किया है. तीर्थ पुरोहितों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ऐसा होता है तो आगामी समय में एक उग्र आंदोलन किया जाएगा. उनका कहना है कि सरकार यदि ये फैसला उनपर थोपती है तो तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जा सकते हैं.

चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन प्रस्ताव को मंजूरी

दरअसल, उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है. इसके तहत गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाएं अब चार धाम विकास बोर्ड के तहत संचालित होगी. ऐसे में अब वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर ही चार धाम की व्यवस्था संचालित होने जा रही है. वहीं, यमुनोत्री मंदिर समिति सचिव करतेश्वर उनियाल ने बताया कि सरकार ने इतना बड़ा निर्णय लिया है, लेकिन पंडा समाज को जानकारी तक नहीं दी गई.

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ये काला कानून सनातन संस्कृति को नष्ट करने वाला है. इसे हक हकूक धारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे. अगर सरकार अपने निर्णय में बदलाव नहीं करती है तो विधानसभा घेराव के साथ ही उग्र आंदोलन किया जाएगा. इस फैसले के खिलाफ चार धामों के कपाट खोले जाने का भी विरोध तक दर्ज कराया जाएगा.

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समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि सरकार जिस तरह से काला कानून लाई है, उसकी जानकारी सरकार को नहीं है क्योंकि वैष्णो देवी और तिरुपति बाला की व्यवस्थाएं भिन्न है. जबकि, चार धामों की व्यवस्थाएं वैष्णो देवी से बिल्कुल अलग है. सरकार ने तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए बगैर बंद कमरे में यह फैसला लिया है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार तत्काल इस फैसले को वापस ले और तीर्थ पुरोहितों से वार्ता की जाए.

उन्होंने सतपाल महाराज पर हमला करते हुए कहा कि वो एक धार्मिक व्यक्ति हैं और उनके पास करोड़ों रुपयों की संपत्ति है. वो भी सिर्फ धर्म के नाम पर अर्जित की है. ऐसे में उनको सोचना चाहिए कि उन्होंने धर्म के नाम पर करोड़ों रुपये इकट्ठे कर लिए है. लेकिन, चारों धामों के हजारों परिवार के पेट में उन्होंने लात मार दी है. उनका आरोप है कि ये सरकार की चार धामों की व्यवस्थाओं को भंग करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में इस फैसले के खिलाफ आगामी समय में भारी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और सनातन धर्म को बचाने के लिए तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जाएंगे.

Intro:विश्व प्रसिद्ध चारों धामों को वैष्णो देवी बालाजी के पैटर्न पर साइन बोर्ड किए जाने के सरकार के फैसले के खिलाफ चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों ने अपना भारी आक्रोश व्यक्त किया है तीर्थ पुरोहितों ने चेतावनी दी है यदि ऐसा होता है तो आगामी समय में एक भारी आंदोलन किया जाएगा, सरकार ने यदि यह फैसला थोपा तो तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जा सकते हैं।


Body:गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह काला कानून सनातन संस्कृति को नष्ट करने वाला है इसे हक हकूक धारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे अगर सरकार अपने निर्णय में बदलाव नहीं करती है तो विधानसभा घेराव के साथ ही उग्र आंदोलन किया जाएगा, इस फैसले के खिलाफ चार धामों के कपाट खोले जाने का भी विरोध तक दर्ज कराया जाएगा। सुरेश सेमवाल ने कहा कि सरकार जिस तरह से काला कानून लाई है उसकी जानकारी सरकार को नहीं है क्योंकि वैष्णो देवी तिरुपति बाला की व्यवस्थाएं भिन्न है जबकि चार धामों की व्यवस्थाएं वैष्णो देवी से बिल्कुल अलग है सरकार ने तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए बगैर बंद कमरे में यह फैसला लिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार तत्काल इस फैसले को वापस ले इसके बाद तीर्थ पुरोहितों से वार्ता की जाए उन्होंने सतपाल महाराज पर हमला करते हुए कहा कि वह एक धार्मिक व्यक्ति हैं और उनके पास करोड़ों रुपयों की अकूत संपत्ति है और वह भी सिर्फ धर्म के नाम पर अर्जित की है। ऐसे में उन को सोचना चाहिए कि उन्होंने धर्म के नाम पर करोड़ो रुपए इकट्ठे कर लिए लेकिन चारों धामों के हजारों परिवार के पेट में उन्होंने लात मार दी है। यह सरकार की चार धामों की व्यवस्थाओं को भंग करने की कोशिश है। इस फैसले के खिलाफ आगामी समय में भारी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और सनातन धर्म को बचाने के लिए तीर्थ पुरोहित न्यायालय की शरण में भी जाएंगे
बाइट सुरेश सेमवाल अध्यक्ष गंगोत्री मंदिर समिति
बाइट तीर्थ पुरोहित केदारनाथ
बाइट तीर्थ पुरोहित यमुनोत्री


Conclusion:दरअसल उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है जिसके तहत गंगोत्री यमुनोत्री बद्रीनाथ केदारनाथ समेत 51 मंदिरों की व्यवस्थाएं अब चार धाम विकास बोर्ड के तहत संचालित होगी वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी मंदिर की तर्ज पर ही चार धाम की व्यवस्था संचालित होने जा रही है। वहीं यमुनोत्री मंदिर समिति सचिव करतेश्वर उनियाल ने कहा कि सरकार इतने बड़े निर्णय लिया है लेकिन पंडा समाज को जानकारी तक नहीं दी गई इससे सभी आहत हैं इस निर्णय से लगभग 8000 परिवार बेघर हो जाएंगे इसके साथ ही पूजा की संस्कृति आस्था और स्तुतियां हमारी पूरी तरह नष्ट हो जाएंगी ऐसे में हम हम अपनी वर्षों से चली आ रही परंपरा खो देंगे।
Last Updated : Nov 28, 2019, 5:58 PM IST
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