देहरादून: चारधाम सड़क परियोजना कहे या ऑल वेदर रोड परियोजना ये उत्तराखंड में केवल चार धामों को जोड़ने की परियोजना भर नही है. बल्कि यह परियोजना राष्ट्र महत्व की योजना है. इस योजना के जरिए प्रदेश के गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़कर तीर्थाटन को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है. साथ ही यह परियोजना हमारे पड़ोसी दुश्मन देश चीन की चालबाजियों का मुकाबला करने के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है.
पीएम मोदी ने इस प्रोजेक्ट को 2013 की केदारनाथ त्रासदी में मृतकों के लिए श्रद्धांजलि बताया था. पहले इस प्रोजेक्ट का नाम 'ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट' था. लेकिन बाद में नाम बदलकर 'चारधाम प्रोजेक्ट' किया गया. आइए इस परियोजना के शुरू होने से लेकर अब तक किये गये कार्यों के साथ ही इसके निर्माण में हो रही देरी के कारणों पर नजर डालते हैं.
उत्तराखंड की सबसे बड़ी परियोजना: देश में हिंदुओं के चार प्रमुख तीर्थ स्थल गंगोत्री, यमुनोत्री केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़ने वाली चार धाम सड़क परियोजना फिलहाल गतिमान है. यह परियोजना उत्तराखंड के लिए जितनी जरूरी है, उतनी ही जरूरी राष्ट्र के सामरिक दृष्टिकोण से भी है. देखा जाए तो उत्तराखंड में सड़क निर्माण को लेकर ये अब तक की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है.
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पीएम मोदी ने रखी थी आधारशिला: उत्तराखंड में साल 2016 में हरीश रावत सरकार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की आधारशिला रखी थी. इस परियोजना के तहत चारधाम से जुड़ते राष्ट्रीय राजमार्ग को बेहतर और चौड़ा किया जाना है. इस परियोजना के तहत कुल 889 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है.
इस प्रोजेक्ट का बजट करीब 12000 करोड़ रुपए बताया गया है. इसमें पहले चरण में ही 3000 करोड़ रुपए चार धाम परियोजना के तहत स्वीकृत किए गए थे. इस प्रोजेक्ट को लेकर कहा गया कि करीब अगले 200 सालों तक इस सड़क मार्ग पर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी.
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2018 में करीब 400 किमी. सड़क का चौड़ीकरण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस परियोजना की आधारशिला रखने के बाद 2017 में इस प्रोजेक्ट पर टेंडर के काम शुरू किया गया. जिसके बाद इस परियोजना पर तेजी से काम शुरू हुआ. साल 2018 में करीब 400 किलोमीटर सड़कों का चौड़ीकरण किया भी गया.
इस परियोजना पर लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं आधारभूत ढांचा विकास निगम, सीमा सड़क संगठन, एनएचआईडीसीएल, एनएचएआई की तरफ से काम किया जा रहा है. इस परियोजना को 53 छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा गया है. जिसकी जिम्मेदारी अलग-अलग एजेंसियां संभाल रही हैं.
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13 मामलों में पर्यावरणीय आपत्ति: परियोजना को लेकर पर्यावरणविदों की बनाई गई कमेटी ने यह अनुमान लगाया था कि इस परियोजना में करीब 50000 पेड़ों को काटा जाएगा. जिसमें से करीब 32000 पेड़ों को काटा जा चुका है. इस परियोजना में 53 छोटे-छोटे हिस्सों में से 40 पर विभिन्न एजेंसियों की तरफ से काम चल रहा है.
जिसके लिए 9474 करोड़ की लागत लगनी है. उधर करीब 13 मामलों में पर्यावरणीय आपत्तियों के चलते दिक्कतें आ रही हैं. फिलहाल की स्थिति में 645 किलोमीटर पर काम चल रहा है. 645 में से 565 किलोमीटर क्षेत्र में चौड़ीकरण का काम हो चुका है. 526 किलोमीटर क्षेत्र में पेंटिंग का काम भी हो गया है. इस तरह से देखा जाए तो 526 किलोमीटर क्षेत्र में इस परियोजना का काम पूरा हो चुका है.
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कहां-कितने किमी पर हो रहा चारधाम सड़क परियोजना पर काम: चारधाम सड़क परियोजना के अंतर्गत ऋषिकेश से यमुनोत्री तक राष्ट्रीय राजमार्ग-94 है. जिसकी दूरी करीब 239 किलोमीटर है. ऋषिकेश से गंगोत्री तक राष्ट्रीय राजमार्ग 94 और राष्ट्रीय राजमार्ग 108 आता है. जिसकी दूरी करीब 268 किलोमीटर है. ऋषिकेश से केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 राष्ट्रीय राजमार्ग 109 पर काम होना है. जिसकी दूरी करीब 216 किलोमीटर है. ऋषिकेश से बदरीनाथ तक राष्ट्रीय राजमार्ग 58 और राष्ट्रीय राजमार्ग 94 है. जिसमें 280 किलोमीटर की सड़क पर काम होना है.
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सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण: उत्तराखंड में चारधाम सड़क परियोजना सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली जिला चीन बॉर्डर पर हैं, लिहाजा सामरिक दृष्टिकोण से भी यहां से सेना के हथियारों और जवानों को ले जाने के लिए बेहतर सड़क को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
इस प्रोजेक्ट को उत्तराखंड के पर्यटन के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. साथ ही इससे कारोबार बढ़ने और राज्य में नेटवर्क बढ़ने का फायदा प्रदेशवासियों को भी होगा. इस प्रोजेक्ट में 15 बड़े पुल बनाए जाने हैं. 101 छोटे पुल भी प्रस्तावित हैं. 3596 पुलिया बनेंगी. करीब 12 बाईपास सड़कें भी बनाई जाएंगी.
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विवादों में रही परियोजना: केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस परियोजना में मार्च 2020 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. एक रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में भी इस बात को कहा गया, लेकिन एनजीटी और कोर्ट की आपत्तियों के चलते यह परियोजना अब तक पूरी नहीं हो पाई है.
हालांकि, इस परियोजना में अधिकतर काम कर लिया गया है. इस परियोजना में पेड़ों के काटे जाने को लेकर भी कई सवाल खड़े किए गए. इसके अलावा परियोजना में सड़क चौड़ीकरण के दौरान ब्लास्टिंग में नए पहाड़ों को बेहद ज्यादा नुकसान होने पर भी पर्यावरणविदों ने नाराजगी जाहिर की. उधर चौड़ीकरण से निकले मलबे को भी बेतरतीब तरह से फेंके जाने पर भी सवाल उठत रहे.
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फिलहाल राज्य में चार धाम परियोजना को अलग-अलग जगहों पर बारिश के काफी नुकसान हुआ है. इस परियोजना के कारण अलग-अलग राजमार्गों पर कई हादसे भी हुए हैं. जिसके कारण इस पर सवाल खड़े होने लगे हैं.