देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट अपनी नियत तिथि पर खुलेंगे. लेकिन बदरीनाथ और केदारनाथ धाम को लेकर अभी संशय बरकरार है. हालांकि बदरीनाथ के कपाट खोलने के लिए सरकार टिहरी राजपरिवार से संपर्क साध रही है.
सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या रावल (मुख्य पुजारी) की उपस्थित को लेकर है. क्योंकि दोनों मंदिरों के रावल दूसरे राज्यों से आते है. ऐसे में उनको समय से प्रदेश में लाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है.
गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास पर हुई कैबिनेट बैठक में लॉकडाउन 2.0 को पर चर्चा हुई. जिसमें एक निर्णय केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने को लेकर हुआ.
बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट खोलने के लिए रावत दक्षिण भारत यानी केरल केरल से आते हैं. लेकिन समस्या यह है कि लॉकडाउन के चलते रावल दक्षिण भारत से उत्तराखंड कैसे पहुंचेंगे? इसको लेकर संशय बरकरार है.
मंत्री कौशिक ने बताया कि रावल को सड़क मार्ग से लाने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय और केरल के मुख्य सचिव को पत्र भेजा जा चुका है. वहां से स्वीकृति मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी. साथ ही इस बात पर भी विमर्श किया गया कि यदि रावल सड़क मार्ग से प्रदेश में प्रवेश करते हैं तो उन्हें पहले 14 दिन एक क्वारंटाइन करना होगा. लेकिन ये मुश्किल है, क्योंकि रावत के 14 दिन क्वारंटाइन होने पर कपाट खुलने की तिथि फिट नहीं बैठ रही है.
इन हालत में उत्तराखंड सरकार अन्य विकल्प तलाश रही है. ऐसे में बदरीनाथ धाम के लिए टिहरी राजघराने से अनुरोध किया जाएगा कि वे इस मसले पर निर्णय लें.
इन विकल्पों पर निर्णय लिया गया
- केंद्रीय गृहमंत्रालय और केरल सरकार को पत्र भेजें कि चौपहिया वाहन से रावल को उत्तराखंड आने की अनुमति दी जाए.
- कपाट खोलने के लिए रावल नहीं पहुंचते तो केदारनाथ धाम में उनके बदले स्थानीय पुजारी से पूजा अर्चना करवाई जाए.
- बदरीनाथ धाम में टिहरी राजघराने को विशेष अधिकार है कि वह कपाट खोलने की तिथि बढ़ा सकता है या फिर किसी अन्य को कपाट खोलने के लिए नामित कर सकता है.